जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 17 मार्च को राजस्थान विनियोग एवं राजस्थान वित्त विधेयक 2023 को विधानसभा में पेश करेंगे. साफ है कि जब राजस्थान का बजट 17 मार्च को पास होगा तो विधायकों की नजर प्रदेश की सबसे बड़ी मांग नए जिलों पर होगी कि क्या 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ के रूप में बने 33वें जिले के 15 साल बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में नए जिलों की घोषणा करेंगे.
आपको बता दें कि राजस्थान में 26 जनवरी 2008 में भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रतापगढ़ के तौर पर 33वां जिला बनाया था और उसके बाद 15 साल गुजर गए हैं, लेकिन प्रदेश में कोई जिला नहीं बना है. लेकिन अब बड़े जिले के प्रशासनिक कामों में आने वाली दिक्कतों और आम जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने में देरी के चलते सरकार पर भी दबाव है तो वहीं बढ़ती आबादी का दबाव भी जिले के गठन का एक महत्वपूर्ण कारक है.
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राजस्थान में करीब 60 से ज्यादा तहसील को जिला बनाने की मांग हो रही है, जिसे लेकर कांग्रेस के नेता हों या भाजपा के, साथ ही अन्य दलों के नेता भी अपनी-अपनी तहसीलों को जिले बनाने की डिमांड कर रहे हैं. राजस्थान में वर्तमान में 33 में से 25 जिलों की करीब 60 तहसीलें ऐसी हैं जिनके लिए जिले का दर्जा मांगा जा रहा है. इनमें सबसे आगे जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर है, जहां चार तहसीलों को नए जिले बनाने की मांग हो रही है. जबकि अजमेर, उदयपुर, पाली और नागौर जैसे जिलों की तीन-तीन तहसीलों को जिला बनाने की मांग हुई है.
इन 6 तहसीलों के नए जिलों के बनने की प्रबल संभावना, दौड़ में करीब 4 दर्जन अन्य भी : राजस्थान में जिन जिलों की मांग हो रही है उनमें कोटपूतली, बालोतरा, फलोदी, डीडवाना, नीम का थाना और ब्यावर के नाम सबसे आगे हैं. लेकिन इन जिलों के साथ ही राजस्थान के फुलेरा, शाहपुरा, दूदू, विराटनगर, सीकर, नीमकाथाना, फतेहपुर, श्रीमाधोपुर, खंडेला, उदयपुरवाटी, नीमकाथाना, बहरोड़, खैरथल, भिवानी, नीमराणा, गुडामालानी, पोकरण, ब्यावर, केकड़ी, किशनगढ़, फलोदी, डीडवाना, कुचामन सिटी, मकराना, मेड़ता सिटी, सुजानगढ़, रतनगढ़, लाडनूं और जसवंतगढ़ को मिलाकर सुजला नाम से जिला, अनूपगढ़, सूरतगढ़, घढ़साना, श्री विजयनगर, नोहर, भादरा, नोखा, रामगंज मंडी, छाबड़ा, भवानी मंडी, डीग, बयाना, कामा, नगर और गंगापुर सिटी को जिले बनाए जाने की मांग की जा रही है. ऐसे में देश की करीब 60 से ज्यादा ऐसी तहसीलें हैं, जिन्हें जिला बनाने की मांग उठ रही है.
देश के क्षेत्रफल में राजस्थान नंबर 1, आबादी में भी आगे लेकिन जिलों में पिछड़ा : राजस्थान में कुल 33 जिले हैं, जिनकी आबादी 2023 में करीब 8 करोड़ है. राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भी देश में सबसे बड़ा राज्य है. क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किमी है. ऐसे में राजस्थान में एक जिले में औसत आबादी करीब 24 लाख है. राजस्थान की तुलना में पड़ोसी राज्यों और देश के अन्य बड़े राज्यों में इससे कम आबादी पर ही जिले हैं.
मध्य प्रदेश- राजस्थान के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की आबादी करीब 7 करोड़ 27 लाख है तो मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 3 लाख 8 हजार 245 किलोमीटर है. लेकिन मध्य प्रदेश में कुल 53 जिले हैं, जिसके हिसाब से करीब 13.5 लाख आबादी में एक जिला है.
गुजरात - राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात का क्षेत्रफल 1 लाख 96 हजार 24 वर्ग किमी है तो आबादी करीब 6 करोड़ 50 लाख है. गुजरात मे 27 जिले हैं. ऐसे में गुजरात मे करीब 22 लाख 50 हजार की आबादी पर एक जिला है.
पंजाब - राजस्थान का पड़ोसी राज्य पंजाब 79 हजार 284 वर्ग किमी में फैला हुआ है तो पंजाब की आबादी करीब 3 करोड़ 17 लाख है. पंजाब में 23 जिले हैं, जिसका मतलब है कि पंजाब में करीब 13 लाख 15 हजार की आबादी पर एक जिला है.
हरियाणा- राजस्थान का पड़ोसी राज्य हरियाणा 44 हजार 212 वर्ग किमी में है, जिसकी आबादी करीब 3 करोड़ है. हरियाणा में कुल 22 जिले हैं, जिसके हिसाब से हरियाणा में भी करीब 13 लाख 50 हजार की आबादी पर एक जिला है.
उत्तर प्रदेश- उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं और आबादी 24 करोड़ है तो क्षेत्रफ़ल 2 लाख 43 हजार 286 वर्ग किमी. ऐसे में उत्तर प्रदेश ही एकमात्र वो राज्य है, जहां जिलों में आबादी राजस्थान से ज्यादा है, लेकिन क्षेत्रफल के आधार पर देखें तो यहां भी राजस्थान आगे है. उत्तर प्रदेश में करीब 3200000 लोगों की आबादी पर एक जिला है.
छत्तीसगढ़ - छत्तीसगढ़ में कुल 33 जिले हैं तो छत्तीसगढ़ की आबादी करीब 3 करोड़ 15 लाख है. छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 1 लाख 35 हजार 192 वर्ग किलोमीटर है. ऐसे में आबादी के लिहाज से करीब 10 लाख की आबादी पर छत्तीसगढ़ में एक जिला है.
महाराष्ट्र- महाराष्ट्र में 36 जिले हैं और क्षेत्रफल 3 लाख 7 हजार 713 वर्ग किमी. महाराष्ट्र की आबादी करीब 13 करोड़ है जिसके हिसाब से महाराष्ट्र में करीब 3600000 की आबादी पर एक जिला है. ऐसे में महाराष्ट्र में आबादी के लिए आज तो जिले काम हैं, लेकिन महाराष्ट्र भी राजस्थान से क्षेत्रफल की दृष्टि में छोटा है. ऐसे में दूरी के लिहाज से राजस्थान महाराष्ट्र से भी आगे है.
जिलों के लिए क्या आवश्यकता ? : एक जिले के गठन के लिए आवश्यकता होती है कि वर्तमान जिला मुख्यालय से उसकी दूरी कम से कम 50 किलोमीटर हो. वहीं, आसपास के क्षेत्र तहसील को मिलाकर 1 जिले की आबादी भी करीब 10 लाख की होनी चाहिए और उसमें कम से कम तीन से चार तहसील और उपखंड मुख्यालय शामिल होने चाहिए. जिला बनाने के लिए भविष्य की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है.
इसके साथ ही जिला स्तरीय कार्यालय जिनमें कलेक्ट्रेट, एसपी ऑफिस, जिला न्यायालय, राजकीय कॉलेज सहित अन्य दफ्तर बनाने के लिए भवन व्यवस्था का होना और क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा और रेल परिवहन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. वहीं, अगर सरहदी क्षेत्र हो तो उस पर सेना या केंद्र की किसी एजेंसी या मंत्रालय को आपत्ति नहीं होना चाहिए और पड़ोसी राज्यों से उसका कोई सीमा विवाद भी नहीं होना चाहिए.
17 मार्च से पहले आ सकती है रिपोर्ट : राजस्थान में जिलों की मांग कोई नई नहीं है. 2008 दिसंबर में जब गहलोत सरकार दूसरी बार सत्ता में आई तब से नए जिलों की मांग चल रही है. यही कारण था कि गहलोत ने अपने दूसरे कार्यकाल में जिलों के गठन के लिए जीएस संधू की कमेटी बनाई, जिसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई. वहीं, इस बार गहलोत ने अपने तीसरे कार्यकाल में जिलों के गठन के लिए पूर्व आईएएस राम लुभाया के नेतृत्व में कमेटी बनाई है, जिसका कार्यकाल 31 मार्च 2023 तक है. अब जिस तरह से सत्ताधारी दल के बड़े नेता जिनमें रघु शर्मा और हरीश चौधरी भी शामिल हैं, मांग उठा रहे हैं तो लगता है कि यह कमेटी अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री के 17 मार्च को होने वाले रिप्लाई से पहले सौंप दे और अगर सब कुछ ठीक रहा तो प्रदेश का 15 साल से चल रहा जिले बनाने का सूखा 17 मार्च को समाप्त हो सकता है.
जिले की मांग को लेकर कोई विधायक नंगे पैर चल रहा, कोई कर रहा पैदल मार्च तो कोई कर रहा इस्तीफे की बात : राजस्थान में जिले की मांग को लेकर विधायक अपने-अपने तरीके से मांग रख रहे हैं, जहां बाड़मेर के पचपदरा से विधायक मदन प्रजापत पिछले 1 साल से बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर नंगे पैर घूम रहे हैं, तो वहीं कोटपूतली को जिला बनाने की मांग के साथ तो गहलोत सरकार के मंत्री राजेंद्र यादव मंत्री पद छोड़ने तक की बात कह चुके हैं. नीम का थाना को जिला बनाने की मांग के साथ विधायक सुरेश मोदी नीम का थाना से जयपुर तक पैदल मार्च कर चुके हैं और ब्यावर को जिला बनाने की मांग के साथ भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत ब्यावर से जयपुर तक पैदल मार्च निकाल चुके हैं.
वहीं, गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा अजमेर के केकड़ी को जिला बनाने की मांग के साथ ही यह कह चुके हैं कि जिस तरह के काम सरकार ने इस कार्यकाल में किए हैं, अगर जिले बनाए जाते हैं तो उससे जनता को लाभ होगा और कांग्रेस सरकार रिपीट होने का भी यह कारण बनेगा. रघु शर्मा ने तो मुख्यमंत्री से 17 मार्च को वित्त विनियोग पेश करते समय जीएस संधू कमेटी की रिपोर्ट और वर्तमान राम लुभाया कमेटी की रिपोर्ट को देखकर नए जिले बनाने की मांग रखी है. अब ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने संकट यह है कि वह किस विधायक की आस पूरी करें और किसके हाथ खाली रखें.