जयपुर. राजस्थान में 25 फरवरी से 1 मार्च तक हुई सबसे बड़ी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सम्मिलित हुए 9 लाख 2 हजार 325 अभ्यर्थी अपने परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अभ्यर्थियों की ओर से आंसर की को लेकर 78 हजार आपत्तियां आने से अब कर्मचारी चयन बोर्ड चेयरमैन ने रिजल्ट आने में समय लगने की बात कही है. जबकि शिक्षा मंत्री ने कर्मचारी चयन बोर्ड को ऑटोनॉमस बॉडी बताते हुए लाखों की संख्या में कॉपी की जांच कर रिजल्ट जारी करने को टेढ़ी खीर बताया.
शिक्षा विभाग में द्वितीय श्रेणी और तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के बाद रिजल्ट अब तक जारी नहीं हो पाया है. इसे लेकर शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने कहा कि आरपीएससी हो या राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड दोनों ऑटोनॉमस बॉडी हैं. लेकिन जब कभी इनके चेयरमैन मिलते हैं, तो उन्हें भर्ती परीक्षा का परिणाम समयबद्ध तरीके से जारी करने के लिए कहते भी हैं. लेकिन इसे लेकर सिर्फ सुझाव ही दिया जा सकता है.
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द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हजारों पदों पर 16 लाख से ज्यादा कॉपियां जांचना टेढ़ी खीर है. लेकिन फिर भी विभाग की ओर से उन्हें आए दिन याद दिलाते रहते हैं कि इन भर्तियों के समय बद्ध तरीके से पूरा करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस दिन उनके पास सूची आ जाएगी, नियुक्ति का काम शुरू कर दिया जाएगा. उधर, कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमैन हरिप्रसाद शर्मा ने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के भर्ती परिणाम में लगे हुए हैं, लेकिन अभी बड़ी संख्या में इनफार्मेशन असिस्टेंट हड़ताल पर हैं. ऐसे में कुछ देरी होने की संभावना बन रही है. लगभग 78 हजार ऑब्जेक्शन आए थे. उन पर एक्सपर्ट्स के ओपिनियन लेना, उन प्रश्नों के जवाबों का निर्धारण करना एक लंबी प्रक्रिया है. निश्चित रूप से समय लगने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान में ही ये परंपरा बन गई है कि किसी भी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी करने के लिए संबंधित एजेंसी पर दबाव बनाया जाता है. यहां के अलावा कहीं भी भर्ती एजेंसी पर अनावश्यक दबाव नहीं बनाया जाता. परिणाम सही प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही जारी होना चाहिए, तभी वो सार्थक होता है. आपको बता दें कि हाल ही में प्रदेश के हजारों अभ्यर्थियों ने राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड का घेराव करते हुए तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी करने की मांग उठाई थी. साथ ही चिंता भी व्यक्त की है कि कहीं ये भर्ती चुनावी वर्ष में आचार संहिता की भेंट ना चढ़ जाए.