जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक हाल ही में हरियाणा के पानीपत जिले की समालखा तहसील में संपन्न हुई. जहां स्व आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लेने का आह्वान किया गया. इसके साथ ही संघ को समाज के साथ जोड़ने के लिए व्यवसायिक शाखाओं को अपनी शाखा क्षेत्र का सर्वेक्षण कर स्थानीय समस्याओं का निराकरण करने का टास्क दिया गया है. वहीं संघ की शाखाओं को संघ के शताब्दी वर्ष तक 1 लाख से ज्यादा स्थानों पर लगाने के लिए देशभर में 2500 शताब्दी विस्तारक निकलेंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी, षष्ठी, सप्तमी (12, 13, 14 मार्च 2023) को हरियाणा में संपन्न हुई. इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघ चालक डॉ रमेश चंद अग्रवाल ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में संघ के कार्य की वर्तमान स्थिति, कार्य के विस्तार, कार्य की गुणवत्ता से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जो शाखाएं हैं, जिसमें व्यवसायिक स्वयंसेवक जाते हैं.
उन्होंने बताया कि ऐसी सभी शाखाओं को आह्वान किया गया कि वो समाज परिवर्तन के काम में आगे बढ़ें और उसके लिए अपने शाखा क्षेत्र का सामाजिक सर्वेक्षण कर, समाज को साथ लेकर उस भौगोलिक क्षेत्र में किसी भी तरह की समस्या का निराकरण करने के लिए आवश्यक उपाय करें. इस प्रतिनिधि सभा में स्व आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पारित हुआ. इसमें स्वयंसेवक को विशेष रूप से और संपूर्ण समाज को संघ की ओर से आह्वान किया गया. जिसके तहत स्वदेशी, स्वधर्म, स्वराज और स्व के प्रति अभिमान का भाव जागृत करने का संकल्प लिया जाना है.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम वर्तमान में 80 हजार स्थानों पर चल रहा है. आने वाले शताब्दी वर्ष में 1 लाख से ज्यादा स्थानों पर संघ का सीधा काम संघ की शाखा या संघ का मिलन हो. इसे ध्यान में रखते हुए देश में 2 वर्ष के लिए पूरा समय देने वाले 2500 से ज्यादा शताब्दी विस्तारक काम करेंगे. वहीं उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह की ओर से तीन वक्तव्य प्रसारित किए गए. पहला वक्तव्य भगवान महावीर के निर्वाण के 2550वें वर्ष के संपन्न होने पर रहा. इसके अलावा आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती का ये 200वां जन्म जयंती वर्ष है. उस पर दूसरा वक्तव्य प्रसारित किया गया. जबकि तीसरा वक्तव्य छत्रपति शिवाजी के राज्यारोहण कार्य 450वां वर्ष को लेकर हुआ.