जयपुर. देशव्यापी लॉकडाउन से फूल की खेती करने वाले किसानों और उसके व्यवसाय से जुड़े लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. क्योंकि फूल जरूरी सामानों की सूची में शामिल नहीं हैं, ऐसे में फूल खेतों से मंडियों तक नहीं पहुंच रहे. रही सही कसर आंधी तूफान ने पूरी कर दी. जिससे खेत में ही फूल सड़ रहे हैं. ऐसे में किसानों के हजारों लाखों रुपए की खेती कोरोना की भेंट चढ़ गई.
राजधानी से 20 किलोमीटर दूर पालेड़ा गांव के किसानों में मायूसी छाई हुई है. दरअसल, यहां किसान सब्जी के साथ-साथ फूलों की भी खेती करते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ये फूल खेतों में ही रह गए. ना तो इनका बेचान हो सका और ना ही कोई खरीदार इन किसानों तक पहुंचा.
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फूलों की खेती करने वाले किसान गोपाल मीणा की माने तो हाड़तोड़ मेहनत करने पर ही फूलों की खेती होती है. पौधे लगाना, पानी देना और दिन भर इनकी देखभाल करना आसान काम नहीं है. इंतजार रहता है कि कब फूल आए उन्हें तोड़कर मंडी में ले जाकर बेचें, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से ये फूल ना तो तोड़े जा सके और तो और तेज अंधड़ और बारिश की वजह से खेतों में ही फूल सड़ रहे हैं.
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वहीं इसी गांव के एक अन्य किसान रामसहाय मीणा जिनकी आजीविका फूलों पर टिकी है, उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने उन्हें तबाह कर दिया. गुलाब और हजारे के फूल भी अब उन्हें चुभ रहे हैं. लॉकडाउन में मंदिर बंद हैं. मंडी बंद है. शादी समारोह बंद हैं. तीज त्यौहार नहीं मनाए जा रहे. ऐसे में आखिर इन फूलों को लेकर किसान जाएं तो जाएं कहां. यही वजह है कि किसानों के हजारों रुपए इस कोरोना की भेंट चढ़ गए.