जयपुर. जिले की स्थाई लोक अदालत ने बीमा होने के बावजूद बाइक का बीमा क्लेम निरस्त करने पर बुधवार को बीमा कंपनी पर 11 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने बीमा कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह बीमित बाइक की करीब 18 लाख रुपए की राशि ब्याज सहित अदा (Court orders to pay Rs 18 lakh in bike claim case) करे. अदालत ने यह आदेश अतेन्द्र पाल सिंह के परिवाद पर दिए. अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी के अनुसार यदि बीमित वाहन मेल नहीं खा रहे थे तो उसका वैज्ञानिक परीक्षण कराना चाहिए था, लेकिन बीमा कंपनी ने ऐसा नहीं किया और ना ही क्लेम राशि अदा की.
परिवाद में कहा गया कि अपनी बाइक सुजुकी हायाबुसा का यूनिवर्सल शैंपू जनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था. बीमा अवधि के दौरान 14 मार्च, 2021 को उसकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई. वहीं अधिकृत डीलर की वर्कशॉप पर निरीक्षण कराने पर कुल 11 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाया गया और बीमा कंपनी को इसकी जानकारी भेजी गई. वहीं बीमा कंपनी के सर्वेयर ने भी एस्टीमेट के अनुसार वाहन क्षतिग्रस्त माना. परिवादी की ओर से सारी कागजी कार्रवाई करने के बाद बीमा कंपनी ने कोरोना के चलते वाहन को ठीक नहीं कराया और बाद में सितंबर 2021 में यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि बीमा कराते समय और दुर्घटना के समय बाइक अलग-अलग थी.
परिवाद में कहा गया कि बीमा कंपनी ने वाहन का संपूर्ण निरीक्षण कर बीमा किया था और घटना के 9 माह बाद गलत तरीके से क्लेम खारिज किया है. इस दौरान वाहन पार्किंग चार्जेज और री-एस्टीमेट के तौर पर करीब 7 लाख रुपए और मांगे गए. ऐसे में परिवादी को 17 लाख 94 हजार रुपए का क्लेम दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बीमा कंपनी को आदेश दिए हैं कि वह करीब 18 लाख रुपए की बीमा राशि परिवाद दायर करने से 7 फीसदी ब्याज सहित अदा करे.