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नीट पीजी रेंक के बजाए साक्षात्कार के आधार दी गई नियुक्तियां गलत, वापस लौटाएं अभ्यर्थियों के मूल दस्तावेज - नीट पीजी रेंक

राज्य सरकार की ओर से सीनियर रेजिडेंटशिप की नियुक्तियों को राजस्थान हाईकोर्ट ने गलत माना (Court on Senior residents appointment) है. कोर्ट का कहना है कि सरकार ने 12 जुलाई को अपने ही परिपत्र के विपरीत जाकर नियुक्तियां कर दीं. इन नियुक्तियों को नर सिरे से आवंटित किया जाए. नीट पीजी के अभ्यर्थियों से लिए गए मूल दस्तावेज भी लौटाए जाएं. दस्तावेज अभ्यर्थी की अमानत होती है.

Court on Senior residents appointmen
नीट पीजी रेंक के बजाए साक्षात्कार के आधार दी गई नियुक्तियां गलत
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Published : Nov 11, 2022, 7:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नीट पीजी में प्राप्त रेंक के बजाए साक्षात्कार के आधार पर सीनियर रेजिडेंटशिप के लिए दी गई नियुक्तियों को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि इस संबंध में गत 12 जुलाई को जारी परिपत्र के विपरीत जाकर दी गई नियुक्तियों को नए सिरे से आवंटित किया जाए. वहीं अदालत ने कहा कि पीजी करने के बाद दो साल की सरकारी सेवा देने के बॉन्ड को लागू करने के लिए अभ्यर्थियों के दस्तावेज नहीं रोके जा सकते. यह दस्तावेज अभ्यर्थी की अमानत हैं.

इसके अलावा बॉन्ड में ऐसी कोई शर्त भी नहीं थी, जिससे अभ्यर्थी के वास्तविक दस्तावेज रोके जाएं. ऐसे में विभाग तीन सप्ताह में अभ्यर्थियों के दस्तावेज वापस (Court asked to return docs of aspirants) लौटाए. जस्टिस अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ निशांत गोपाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश किया है कि अभ्यर्थियों को पात्रता अनुसार पद देने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में इस बिन्दु पर याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

पढ़ें: Resident Doctors Boycott : सरकार की बॉन्ड नीति को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार, रखी ये मांग

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने नीट पीजी-2019 में प्रवेश लिया था. इस दौरान राज्य सरकार ने उनसे पीजी पास करने के बाद दो साल सरकारी सेवा करने को लेकर 25 लाख का बॉन्ड भराया. वहीं सत्यापन के नाम पर उनके समस्त वास्तविक शैक्षणिक दस्तावेज भी जमा कर लिए.

पढ़ें: बॉन्ड नीति में खामियों के विरोध में उतरे रेजिडेंट्स, सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चिकित्सक

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 12 जुलाई को एक परिपत्र जारी कर प्रावधान किया कि पीजी पास करने के बाद नीट पीजी रैंक के अनुसार पद आवंटित किए जाएंगे, लेकिन इसके विपरीत जाकर सरकार ने नीट पीजी की रैंक दरकिनार कर साक्षात्कार के जरिए नियुक्तियां दीं. इसके चलते नीट पीजी में उच्च वरीयता प्राप्त याचिकाकर्ताओं को अन्य पदों पर कार्य करने के निर्देश दिए गए.

पढ़ें: जयपुर में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल खत्म : सरकार से ज्यादातर मांगों पर बनी सहमति..11 दिन चली हड़ताल, JARD ने की घोषणा-आज से लौटेंगे रेजिडेंट्स

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार अपने परिपत्र के खिलाफ जाकर ही उच्च वरीयता रखने वाले अभ्यर्थियों को दूसरे पदों पर काम करने के लिए मजबूर कर रही है. वहीं बॉन्ड लागू करने के लिए उनके वास्तविक दस्तावेज भी रख लिए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने विभाग को दस्तावेज लौटाने के निर्देश देते हुए गत 12 जुलाई के परिपत्र के आधार पर नियुक्ति देने और परिपत्र के विरुद्ध दी गई नियुक्तियों को गलत माना है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नीट पीजी में प्राप्त रेंक के बजाए साक्षात्कार के आधार पर सीनियर रेजिडेंटशिप के लिए दी गई नियुक्तियों को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि इस संबंध में गत 12 जुलाई को जारी परिपत्र के विपरीत जाकर दी गई नियुक्तियों को नए सिरे से आवंटित किया जाए. वहीं अदालत ने कहा कि पीजी करने के बाद दो साल की सरकारी सेवा देने के बॉन्ड को लागू करने के लिए अभ्यर्थियों के दस्तावेज नहीं रोके जा सकते. यह दस्तावेज अभ्यर्थी की अमानत हैं.

इसके अलावा बॉन्ड में ऐसी कोई शर्त भी नहीं थी, जिससे अभ्यर्थी के वास्तविक दस्तावेज रोके जाएं. ऐसे में विभाग तीन सप्ताह में अभ्यर्थियों के दस्तावेज वापस (Court asked to return docs of aspirants) लौटाए. जस्टिस अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश डॉ निशांत गोपाल व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश किया है कि अभ्यर्थियों को पात्रता अनुसार पद देने की कोशिश की जाएगी. ऐसे में इस बिन्दु पर याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को स्वीकार नहीं किया जा रहा है.

पढ़ें: Resident Doctors Boycott : सरकार की बॉन्ड नीति को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार, रखी ये मांग

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर विधि अनुसार कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है. याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने नीट पीजी-2019 में प्रवेश लिया था. इस दौरान राज्य सरकार ने उनसे पीजी पास करने के बाद दो साल सरकारी सेवा करने को लेकर 25 लाख का बॉन्ड भराया. वहीं सत्यापन के नाम पर उनके समस्त वास्तविक शैक्षणिक दस्तावेज भी जमा कर लिए.

पढ़ें: बॉन्ड नीति में खामियों के विरोध में उतरे रेजिडेंट्स, सम्पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चिकित्सक

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 12 जुलाई को एक परिपत्र जारी कर प्रावधान किया कि पीजी पास करने के बाद नीट पीजी रैंक के अनुसार पद आवंटित किए जाएंगे, लेकिन इसके विपरीत जाकर सरकार ने नीट पीजी की रैंक दरकिनार कर साक्षात्कार के जरिए नियुक्तियां दीं. इसके चलते नीट पीजी में उच्च वरीयता प्राप्त याचिकाकर्ताओं को अन्य पदों पर कार्य करने के निर्देश दिए गए.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार अपने परिपत्र के खिलाफ जाकर ही उच्च वरीयता रखने वाले अभ्यर्थियों को दूसरे पदों पर काम करने के लिए मजबूर कर रही है. वहीं बॉन्ड लागू करने के लिए उनके वास्तविक दस्तावेज भी रख लिए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने विभाग को दस्तावेज लौटाने के निर्देश देते हुए गत 12 जुलाई के परिपत्र के आधार पर नियुक्ति देने और परिपत्र के विरुद्ध दी गई नियुक्तियों को गलत माना है.

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