बगरू (जयपुर). पूरा देश इस समय कोविड-19 की महामारी से गुजर रहा है. ये खतरनाक वायरस लगातार फैल रहा है. रोजाना ही आस-पास के क्षेत्र से अनेकों कोरोना संक्रमित लोग मिल रहे हैं. वहीं, कस्बे में मिले कोरोना पॉजिटिव की वजह से इलाके में अब पूरी तरह से दहशत का माहौल बन चुका है. इसका असर दुकानदारी पर भी पड़ रहा है. पहले करीब 50 दिन लॉकडाउन होने की वजह से कारोबार पूरी तरह से बंद था और अब कोरोना की मार राखी के त्योहार पर भी पड़ रही है.
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व्यापारी राहुल ताम्बी ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले काफी समय से हमारा कारोबार पूरी तरह से चौपट पड़ा है, मगर हमने हिम्मत नहीं हारी थी और सोचा था कि चलो राखी के त्योहार पर हमारा कारोबार चलेगा और हमें कुछ कमाई भी हो जाएगी. इससे हमारी बिगड़ी पड़ी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से आस-पास के क्षेत्र और कस्बे में मिले कोरोना मरीज की वजह से लोगों के मन में एक भय बैठ गया है. इसकी वजह से बाजार में बिल्कुल भी रौनक नहीं है और ग्राहक नदारद हो चुके हैं.
त्योहार को सिर्फ दो दिन बचे है, लेकिन ग्राहक कहीं नजर नहीं आ रहे. उन्होंने बताया कि पहले राखी के इस त्यौहार पर हमारा कारोबार काफी बढ़िया रहता था और राखी से करीब 10-15 दिन पहले से ही ग्राहक राखी लेने दुकानों पर पहुंचने शुरू हो जाते थे. इस बार कोरोना की दुकानदारी पर इतनी मार पड़ी है कि बाजार सूनसान दिखाई दे रहे है. इन दिनों जहां पहले इतना काम होता था, लेकिन अब सारा दिन दुकान पर खाली बैठ घर जा रहे है.
दुकानदार बोले-इस सीजन में घाटा होने की आशंका
दुकानदारों ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे इस बार राखी में बिल्कुल भी कमाई नहीं होगी. उल्टा घाटा उठाना हो सकता है. उन्होंने कहा कि कोरोना की बड़ी मार आम दुकानदारों पर काफी पड़ी है. जिसकी वजह से सभी काफी परेशान है. सरकार की तरफ से अभी तक दुकानदार वर्ग को किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई. उल्टा कोरोना के समय बंद दुकानों के भी बिजली के बड़े-बड़े बिल भेज दिए गए, इसकी वजह से सभी दुकानदार काफी परेशान है.
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मोदी के स्वदेशी नारे का दिख रहा असर
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले स्वदेशी की बात कहते हुए आत्मनिर्भर भारत की बात कही थी, जिसके बाद से लगातार चाइना के सामान का बहिष्कार हो रहा है. वहीं, छोटे बच्चों की राखियों में चाइना का कब्जा था, लेकिन इस बार लोग चाइनीज राखियों को नहीं खरीद रहे हैं. पुराना रखा हुआ माल केवल बाजार में कुछ जगहों पर नजर आ रहा है. अब लोग पूर्ण रूप से स्वदेशी सामान को खरीद रहे हैं.