जयपुर. 2023 में राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले कांग्रेस सरकार अपनी छवि बदलने की कवायद में 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की राह पर चल पड़ी है. बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस 'सॉफ्ट हिंदुत्व' का सहारा लेती नजर आ रही है. गहलोत सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से प्रदेश में लगातार धार्मिक आयोजन कराए जा रहे हैं. बीते दिनों रामनवमी पर रामायण पाठ और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड पाठ करवाए गए. फिर सावन में शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक कराया गया. यही नहीं, राधाष्टमी और व्यंजन द्वादशी पर भी मंदिरों में आयोजन कराए गए. हालांकि, बीजेपी ने इसे नकली हिंदुत्व करार दिया है.
देश में चल रही हिंदुत्व की राजनीति के बीच (Hindu Politics in Rajasthan) राजस्थान की गहलोत सरकार भी चर्चा में है. वजह है गहलोत सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से मंदिरों में करवाए जा रहे धार्मिक आयोजन. जिसकी शुरुआत इसी साल 1 मार्च से हुई, जब देवस्थान विभाग की ओर से पहली बार भागवत कथा का आयोजन कराया गया.
देवस्थान विभाग की ओर से अब तक कराए गए धार्मिक आयोजन :
- 1 से 7 मार्च तक भागवत कथा
- 11 मंदिरों में रामनवमी पर रामायण पाठ
- हनुमान जयंती पर 593 मंदिरों में सुंदरकांड
- सावन के चार सोमवार पर 44 मंदिरों में रुद्राभिषेक
- राधा अष्टमी पर ब्रज निधि मंदिर में आयोजन
- व्यंजन द्वादशी पर 8 मंदिरों में छप्पन भोग की झांकी
इन आयोजनों के लिए बाकायदा मंदिरों की सूची भी जारी की गई. वहीं, गहलोत सरकार के सभी मंत्री और विधायकों ने हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में अपने-अपने जिलों में हुए कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. खुद सीएम अशोक गहलोत ने श्री कृष्ण शोभा यात्रा में महाआरती की थी. गहलोत सरकार के इस कदम के सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर (Image of Government in Rajasthan) चलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
सरकार की ओर से बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति का जवाब माना जा रहा है. हालांकि, इसे लेकर देवस्थान विभाग की मंत्री ने कहा कि ये हिंदुस्तान है और यहां बसने वाले हिंदुस्तानी हैं. यहां बसने वाली 36 कॉम का हर व्यक्ति हिंदुस्तानी है. ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो ईश्वर का ध्यान नहीं करता हो. कांग्रेस का हर व्यक्ति ईश्वर में भरोसा करता है. ईश्वर शक्ति एक है और सीएम अशोक गहलोत तो हर प्राणी में ईश्वरीय रूप देखते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए देवस्थान विभाग ने वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना भी शुरू की. प्राणी सेवा ही ईश्वरत्व है, इसे मानते हुए चिरंजीवी योजना, किसान मित्र योजना, पशुओं को भी फ्री दवा योजना शुरू की. उन्होंने कहा कि जिसकी जो भावना रहती है वही दर्शाती है. कहा भी गया है, 'जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी'.
वहीं, पूर्वर्ती कांग्रेस सरकार में देवस्थान विभाग मंत्री रहे बृजकिशोर शर्मा ने कहा कि जिस वक्त (Congress Soft Hindutva) उन्होंने विभाग संभाला था उस समय देवस्थान विभाग के मंदिरों को मात्र 10 रुपये भोग के मिलते थे, जिसमें अगरबत्ती भी नहीं आती. कांग्रेस सरकार ने ही इस राशि को बढ़ाया. पुजारियों को 300 रुपये तनख्वाह मिलती थी, वो कांग्रेस सरकार ने बढ़ाई. बीजेपी सिर्फ दिखावा करती है, लेकिन कांग्रेस ने देवस्थानों के लिए काम किया है.
हालांकि, हिंदुत्व के मामले पर खुद को मजबूत मानने वाली बीजेपी ने कांग्रेस को फेक और नकली बताया. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस पर तंज (Rajyavardhan Singh Taunt on Congress) कसते हुए कहा कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए एक ओरिजिनल पार्टी है, तो फिर एक फेक पार्टी का समर्थन जनता क्यों करें. कांग्रेस वाले जो आज धर्म की बात कर रहे हैं, ये नकली हैं. बाजारों में मिलने वाली पायरेटेड कॉपी हैं, क्योंकि हिंदुत्व पर उनका कॉपीराइट हो रखा है. कांग्रेस कॉपीराइट का उल्लंघन कर रही है. लेकिन इन्हें कोशिश करने दीजिए, कम से कम इस बहाने कांग्रेस भी धर्म के रास्ते पर आए तो जय श्री राम.
बहरहाल, राजस्थान में विधानसभा चुनाव एक साल बाद होने हैं, लेकिन अभी से (Rajasthan Mission 2023) दोनों बड़े राजनीतिक दलों बीच रण सजा नजर आ रहा है. 2023 के चुनावी समर से पहले ही राजनीतिक दलों के पुरोधा अपने-अपने तरकस से फिलहाल हिंदुत्व के तीरों को निकालकर एक दूसरे पर चला रहे हैं.