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न के बावजूद भी अशोक गहलोत लड़ सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव! - Rahul Gandhi discusses with Ashok Gehlot

सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद दिल्ली में मीडिया से मुखातिब हुए अशोक गहलोत ने गुरुवार को कहा था कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव (Congress President Election) नहीं लड़ेंगे. लेकिन गहलोत की ना के बावजूद भी वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का नामांकन भर सकते हैं. पढ़िए पूरी खबर...

Ashok Gehlot
अशोक गहलोत
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Published : Sep 30, 2022, 9:07 AM IST

जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसका निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष के नामांकन के बाद तय हो जाएगा. वैसे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से माफी मांगने के बाद यह बिल्कुल साफ शब्दों में कह दिया कि वह कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव (congress national president election) नहीं लड़ेंगे. गहलोत के साफ शब्दों में इनकार के बाद उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना चाहे कम हो, लेकिन अब भी बनी हुई है.

राहुल ने की गहलोत से बात- कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चर्चा की है, उसके बाद एक बार फिर दिल्ली में सियासी चर्चा है कि गहलोत से अगर सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन (Congress President Nomination) भरने को कहा तो वह नामांकन दाखिल कर सकते हैं. हालांकि, इसे लेकर अंतिम तस्वीर दोपहर 3:00 बजे तक साफ हो जाएगी क्योंकि 3:00 बजे तक ही आज राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन दाखिल किया जा सकता है.

पढ़ें- गहलोत ने माफी मांगी...कहा- नहीं लड़ूंगा अध्यक्ष पद का चुनाव, CM का फैसला करेंगी सोनिया गांधी

वैसे भी अब तक यक्ष प्रश्न यह बना हुआ है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने जो 2 फॉर्म खरीदे थे वह किसके लिए थे. ऐसे में अभी भी एक धूमिल सी संभावना बनी हुई है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन करने के लिए अगर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी कहे तो न करने के बाद भी गहलोत इसके लिए तैयार हो सकते हैं.

अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बने गहलोत तो ही राजस्थान में होगी शांति- गहलोत को कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष इसलिए भी बनाना चाहती है क्योंकि अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने, तो फिर राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद को लेकर रस्साकशी तेज होना तय है. जिस तरह से गहलोत समर्थक विधायक यह कह चुके हैं कि अगर 102 विधायकों को छोड़कर, अगर 2 साल पहले बगावत कर मानेसर जाने वाले विधायकों में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो वह इसके लिए तैयार नहीं हैं.

पढ़ें- कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लडूंगा, सोनिया गांधी से माफी मांग ली है: अशोक गहलोत

इन स्थितियों में जब गहलोत समर्थक विधायक बगावत कर चुके हैं तो फिर आलाकमान भी गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादा लंबे समय तक नहीं रखेगा. लेकिन अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने तो फिर पायलट के अलावा कोई तीसरा भी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकेगा. ऐसे में आज राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामांकन ही यह तय करेगा कि गहलोत पायलट का राजस्थान में राजनीतिक भविष्य क्या होने जा रहा है.

जयपुर. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसका निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष के नामांकन के बाद तय हो जाएगा. वैसे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से माफी मांगने के बाद यह बिल्कुल साफ शब्दों में कह दिया कि वह कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव (congress national president election) नहीं लड़ेंगे. गहलोत के साफ शब्दों में इनकार के बाद उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावना चाहे कम हो, लेकिन अब भी बनी हुई है.

राहुल ने की गहलोत से बात- कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चर्चा की है, उसके बाद एक बार फिर दिल्ली में सियासी चर्चा है कि गहलोत से अगर सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन (Congress President Nomination) भरने को कहा तो वह नामांकन दाखिल कर सकते हैं. हालांकि, इसे लेकर अंतिम तस्वीर दोपहर 3:00 बजे तक साफ हो जाएगी क्योंकि 3:00 बजे तक ही आज राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन दाखिल किया जा सकता है.

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वैसे भी अब तक यक्ष प्रश्न यह बना हुआ है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने जो 2 फॉर्म खरीदे थे वह किसके लिए थे. ऐसे में अभी भी एक धूमिल सी संभावना बनी हुई है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन करने के लिए अगर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी कहे तो न करने के बाद भी गहलोत इसके लिए तैयार हो सकते हैं.

अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बने गहलोत तो ही राजस्थान में होगी शांति- गहलोत को कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष इसलिए भी बनाना चाहती है क्योंकि अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने, तो फिर राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद को लेकर रस्साकशी तेज होना तय है. जिस तरह से गहलोत समर्थक विधायक यह कह चुके हैं कि अगर 102 विधायकों को छोड़कर, अगर 2 साल पहले बगावत कर मानेसर जाने वाले विधायकों में से किसी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो वह इसके लिए तैयार नहीं हैं.

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इन स्थितियों में जब गहलोत समर्थक विधायक बगावत कर चुके हैं तो फिर आलाकमान भी गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादा लंबे समय तक नहीं रखेगा. लेकिन अगर गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने तो फिर पायलट के अलावा कोई तीसरा भी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकेगा. ऐसे में आज राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नामांकन ही यह तय करेगा कि गहलोत पायलट का राजस्थान में राजनीतिक भविष्य क्या होने जा रहा है.

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