नई दिल्ली/जयपुर. एक तरफ राजस्थान में एकजुट होकर चुनाव लड़ने और सरकार रिपीट करने के लिए पायलट और गहलोत को आलाकमान साथ लाने का प्रयास कर रहा है. सचिन पायलट के बयानों से यह लग भी रहा है कि अब उन्हें गहलोत सरकार से कोई नाराजगी नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ बयानों के साथ ही सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस से जुड़े नेताओं से मुलाकातें भी कर रहे हैं, जिससे लग भी रहा है कि सचिन पायलट के साथ राजस्थान कांग्रेस से जुड़े नेताओं की चल रही दूरियां अब धीरे-धीरे कम हो रही हैं. शुक्रवार को दिल्ली में सचिन पायलट पंजाब भवन जाकर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से मिले और काफी देर तक उनसे चर्चा की.
आपको बता दें कि सचिन पायलट ने जब जयपुर में वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर अनशन किया था, तो रंधावा ने उन्हें चेतावनी का पत्र जारी किया था. उसके बाद से दोनों नेताओं के बीच रिश्तों में तल्खी थी और बातचीत भी बंद थी. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने जब गहलोत और पायलट को लेकर 29 मई को उनकी मौजूदगी में चर्चा की और 6 जून को राजस्थान कांग्रेस को लेकर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की बैठक में सचिन पायलट की मौजूदगी रही, उसके बाद से अब कांग्रेस आलाकमान से जुड़े नेताओं का यह प्रयास है कि किसी तरह अब दोनों नेताओं में भी दूरियां कम हों और पायलट राजस्थान कांग्रेस से जुड़े नेताओं के साथ मिलकर चुनाव में अपना योगदान दें.
पायलट और रंधावा के बीच हुई मुलाकात को भी इसी से जोड़ा जा रहा है कि पायलट अब राजस्थान कांग्रेस के उन नेताओं से करीबी बना रहे हैं जो किसी भी कारण से उनसे दूर रहे. आपको बता दें कि बीते दिनों सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी यह बयान दिया था कि सचिन पायलट उनके छोटे भाई की तरह हैं.