जयपुर. 23 जनवरी से राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है (Sanyam Lodha On CM Gehlot). इसकी तैयारी सरकार कर रही है. लेकिन इसी बीच रह-रहकर पायलट समर्थक प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का सुर छेड़ रहे हैं. ये अटकलबाजी ही है क्योंकि इसकी संभावना काफी कम है. वजह अहम और स्पष्ट है. इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव! कांग्रेस नहीं चाहेगी कि पंजाब कांग्रेस की कहानी दोहराई जाए और भीतरघात का फायदा विपक्षी दलों को थाली में परोस कर दे दिया जाए. इस बीच सीएम चेहरे को लेकर संयम लोढ़ा का बयान काबिल ए गौर है.
गहलोत का यशोगान- कयासबाजी के इस दौर में मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने अपनी बात शीर्ष नेतृत्व तक मीडिया के माध्यम से पहुंचाई है. दावा किया है कि विधायक अशोक गहलोत को ही अपना नेता मानते हैं और वो ही इस सरकार का कार्यकाल पूर्ण करेंगे. साथ ही आलाकमान को सलाह दी कि गहलोत के चेहरे को आगे रखकर ही कांग्रेस 2023 (Congress Mission 2023) के विधानसभा चुनाव में उतरे. लोढ़ा ने गहलोत की गौरवगाथा का बखान किया. कहा राजस्थान में इन 4 साल में अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार ने गांव, गरीब और पूरे क्षेत्र के विकास के लिए अच्छा काम किया. दम भरा- ऐसा काम हमने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में नहीं देखा.
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पायलट की हार दिलाई याद- संयम लोढ़ा ने सचिन पायलट के चेहरे पर चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि उनके अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री रहते जो लोकसभा चुनाव हुए उनके नतीजे हर किसी के सामने है. पार्टी लोकसभा में खाता भी नही खोल सकी. ऐसे में गहलोत के चेहरे और उनके विकास कार्यों को लेकर ही पार्टी को चुनावों में उतरना चाहिए. संयम ने दावा किया कि राजस्थान के विधायकों ने हर परिस्थिति में अशोक गहलोत को अपना नेता माना है और इस सरकार के पूरे कार्यकाल तक वही सरकार का नेतृत्व करेंगे.
सर्वे की सलाह- सचिन पायलट के पदाधिकारी रहते कांग्रेस का बंटाधार कितना हुआ इस ओर भी लोढ़ा ने ध्यान दिलाया. बोले- पायलट के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष थे जब लोकसभा के चुनाव हुए लेकिन नतीजे क्या आए सबको मालूम है. नेतृत्व परिवर्तन की बातें कोई समर्थक कर सकता है लेकिन कांग्रेस कोई भी सर्वे करवा ले अशोक गहलोत सर्वाधिक लोकप्रिय चेहरा हैं. आपको बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा के समय जयराम रमेश ने यह साफ कर दिया था की कांग्रेस पार्टी किसी नेता के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी.
क्या कहा था जयराम रमेश ने!- राजस्थान में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा के बीच पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने सीएम फेस को लेकर पूछे गए सवाल पर अपनी राय जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि अधिकांश मौकों पर चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा न करने की पार्टी की परंपरा रही है. रमेश ने कहा था कि चुनाव पार्टियों के सिंबल और पार्टी के मेनिफेस्टो के आधार पर लड़े जाते हैं. कौन मुख्यमंत्री बनेगा या बनेगी यह चुनाव के बाद ही तय होता है.
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बीते 4 साल में ऐसे कई मौके आए जब पायलट खेमा नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सजग और मुखर दिखा. तारीखों का एलान करता रहा लेकिन संभावित तारीखों के निकलने के बाद ये खेमा हाथ मलता रहा. इस बार भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है. वैसे, राजनीति संभावनाओं का खेल है इस सूत्र को अगर ध्यान में रखा जाए तो कुछ भी अनेपक्षित नहीं है (LS election under Pilot leadership). वहीं एक दूसरी बात भी मायने रखती है और वो है राजनीति में संख्या बल का महत्व! इस लिहाज से जो तस्वीर पेश की जा रही है उसमें गहलोत के पाले में खड़े होने वाले समर्थक ज्यादा दिखाई देते हैं. इसका प्रमाण 25 सितंबर 2022 का वो घटनाक्रम है जिसने कांग्रेस की खूब किरकिरी कराई और बाद में गहलोत गुट के नेताओं ने प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत अपना इस्तीफा पटक दिया.
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