जयपुर.आम जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों में इस बार युवा और अनुभव दोनों का संगम देखने को मिलेगा. प्रदेश की जनता ने विधानसभा चुनाव में अपना मत देकर हर आयु वर्ग के जनप्रतिनिधियों को विधानसभा तक पहुंचाया है. विधानसभा चुनाव 2018 की तुलना में युवाओं की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
पिछली बार जहां 25 से 30 आयु वर्ग के तीन विधायक चुने गए थे. वहीं इस बार विधानसभा में ये संख्या चार दिखेगी. इनमें सबसे कम आयु के शिव विधानसभा सीट से जीतकर आए रविंद्र सिंह भाटी हैं, जिनकी आयु महज 25 वर्ष है.वहीं सबसे अधिक उम्र के किशनगढ़ बास विधानसभा से 83 वर्ष के दीपचंद खैरिया की है. हालांकि 31 से 50 आयु वर्ग के 63 विधायक इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं जो राजनीति में युवा राजनेता के तौर पर ही माने जाते हैं.
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विधानसभा में युवा और अनुभव का संगम: 25 से 30 आयु वर्ग के बीच के 4 विधायक इस बार विधानसभा की दहलीज पर दस्तक दिए हैं. वहीं 31 से 50 उम्र के बीच 63 विधायक विधानसभा में अपना जोर दिखाएंगे. 116 विधायक 51 से 70 की उम्र सीमा के बीच के हैं जो इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं 71 वर्ष से ज्यादा के करीब 16 विधायक चुनकर इस बार आए हैं.
विधानसभा में युवाओं का दम: युवा विधायकों की बात की जाए तो इस बार सबसे कम्र उम्र के विधायक शिव सीट से 25 साल के रविंद्र सिंह भाटी चुनकर आए हैं. वहीं कोलायत सीट पर 27 साल के अंशुमन सिंह भाटी ने जीत का परचम लहराया है. आसपुर सीट से भी 30 साल के उमेश मीना विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.
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तजुर्बे का भी दिखेगा असर: बात अगर सबसे उम्रदराज विधायक की जाए तो किशनगढ़बास से 83 साल के दीपचंद खैरिया हैं जिनके तर्जुबा का लाभ युवा विधानसभा में ले सकेंगे. वहीं बूंदी से 83 साल के हरिमोहन शर्मा भी 20 सालों बाद विधानसभा में अपना दम दिखाएंगे. पांचवीं बार चुनाव जीतकर कोटा नॉर्थ से 80 साल के शांति धारीवाल भी विधानसभा में गरजेंगे. वहीं अजमेर नॉर्थ से बीजेपी के वासुदेव देवनानी 75 साल की उम्र में भी विधानसभा में अपना दम दिखाएंगे. सीकर से 75 साल के राजेंद्र पारीक भी विधानसभा में चुनाव जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है.
सदन में 10 फीसदी नजर आएंगी महिलाएं: हालांकि बीते दिनों नारी शक्ति वंदन कानून का राजनीतिक दलों ने एक सुर में स्वागत किया और सदन में पास भी हुआ. राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने टिकट वितरण में ये जज्बा नहीं दिखाई और अब विधानसभा में इस बार महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम ही रहने वाला है. सदन में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा कुल सीटों का महज 10% ही रहेगा, जो राजनीतिक दलों पर भी कई सवाल उठाता है. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार 20 महिला विधायक ही सदन में नजर आएंगी.