जयपुर. बत करें जयपुर जिले की तो यहां कुल 4245 आंगनबाड़ी केंद्रों के विभागीय भवनों में सिर्फ 475 केंद्र हैं. इनमें 1315 केंद्र प्रतिमाह 3 हजार रुपए किराए के भवनों में चल रहे हैं. इससे विभाग को हर महीने 39 लाख रुपए किराया चुकाना पड़ रहा है. वहीं, बाकी सरकारी स्कूल, सरकारी भवन, सामुदायिक भवन और धार्मिक स्थलों पर हैं.
पुरानी दरों पर ही चल रहे केंद्र...
आपको बता दें सरकार ने भवन किराए की दर गांव में 200 रुपए और शहर में 750 रुपए रखी थी, लेकिन दरों में संशोधन किया गया और 2014 में नई दरें लागू की गईं. जिसमें किराया गांव में 200 रुपए से बढ़ाकर 750 रुपए किया गया और शहर का किराया 750 रुपये से 3 हजार किया गया. वहीं, तीसरा संशोधन 2018 में किया गया, जिसमें गांव में भवन किराया 750 रुपए से एक हजार किया गया और शहर में 3 हजार से 4 हजार रुपए किया गया. विभाग द्वारा किराए भवन की दरों में तीन बार संशोधन तो कर दिया गया, लेकिन आज भी पुरानी दरों पर ही किराया भवन चल रहा है. यानी कि गांव में 200 रुपए और शहर को 750 रुपए दिए जा रहे हैं.
किराए के भवनों का नहीं हो रहा भुगतान...
प्रदेश में पुरानी दरों पर चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों का पिछले एक साल से भुगतान नहीं हो पाया है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अपनी जेब से महीने के किराए का भुगतान करना पड़ रहा है. हालांकि 2018 में सरकार के स्तर पर चार-चार सदस्यों की कमिटी तक बन चुकी है, लेकिन कमिटी द्वारा एक बार भी मीटिंग नहीं हुई है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यकर्ताओं की स्थिति ऐसी है की उन्हें अपनी रोजी-रोटी बचाने के चलते भवन किराया खुद की जेब से देने को मजबूर होना पड़ रहा है. लेकिन सरकार इसमें कोई सुध नहीं ले रही है.