जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रिंग रोड के लिए जयपुर में अवाप्त की गई जमीन के बदले मुआवजा पाने से वंचित रहे किसानों को राहत देते हुए उन्हें 25 फीसदी विकसित भूमि देने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने अपीलार्थी किसानों को 15 दिन में इस संबंध में जेडीए के समक्ष अपना विकल्प पत्र पेश करने को कहा है. जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश वीरेन्द्र सिंह व अन्य की ओर से दायर अपील याचिकाओं का निस्तारण करते हुए दिए.
अपीलार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि जयपुर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2006 में रिंग रोड के लिए अपीलार्थी किसानों की जमीन अवाप्त की थी. प्राधिकरण ने 90 मीटर चौडे रिंग रोड और उसके दोनों ओर 135-135 मीटर अन्य कार्यों के लिए जमीन अवाप्त की. इसमें से ही अवाप्ति से प्रभावित किसानों को उनकी जमीन के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी जानी थी. एकलपीठ ने वर्ष 2016 में इन किसानों को 25 प्रतिशत विकसित भूमि देने का आदेश दिया, लेकिन किसान अवाप्ति प्रक्रिया के खिलाफ खंडपीठ चले गए.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के प्रकरण में वर्ष 2013 से पहले के अवाप्ति के मामलों में भी सरकार के पक्ष में आदेश दिया. जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से कहा गया कि अपीलार्थियों को अवाप्तशुदा जमीन के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूमि नहीं दी जा सकती, क्योंकि इनके मामले में मुआवजा कोर्ट में जमा हो चुका है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येंद्र सिंह राघव ने भी अपील खारिज करने का आग्रह किया. न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अपीलार्थी किसानों को 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाए और अपीलार्थी 15 दिन में अपना विकल्प पत्र जेडीए को सौंप दें.