जयपुर. छोटी कांशी के रामनगर क्षेत्र में हरिहर मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान-यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें आचार्य पीयूष जी महाराज के सानिध्य में कथा का श्रवण हो रहा है. शिवकुमार पारिक परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय कथा के तीसरे दिन आचार्य पीयूष जी महाराज ने बालक प्रहालाद की भक्ति का संजीव वर्णन किया.
कथावाचक आचार्य पीयूष जी महाराज ने कर्म के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा, कि किए गए कार्यों का फल आगे पीछे अवश्य ही भोगना पड़ता है. बालक ध्रुव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु निष्ठा और मंत्र पर विश्वास के कारण है.
ध्रुव को 6 मास में ही भगवान के दर्शन हो गए. भगवत भजन कि सफलता तभी है जब मन से द्वेष भाव मिट जाए. जबकि पिता की गोद में बैठने का अधिकार छीनने वाली माता सुरुचि को भी पहले प्रणाम करके सम्मानित किया.
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सती के पिता दक्ष ने शिव को अपमानित करने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा. ऐसे यज्ञ में शिव का निरादर देखकर सती ने यज्ञ में ही आत्माहुति दे दी. वही कथा के तीसरे दिन कथा का विषय नरसिंह भगवान के अवतार प्रसंग के साथ ही हुआ. जिसमें बड़ी संख्या में भक्तजन मौजूद रहे. 8 दिसंबर से शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा का 14 दिसंबर मलमास से पूर्व समापन होगा.