जयपुर. धनतेरस पर प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में मरीजों को कई नई सौगात मिली. शनिवार को सीएम अशोक गहलोत ने न्यूरोसर्जरी डीएसए लैब, 256 स्लाइस स्पेक्ट्रल सीटी स्कैन मशीन, रेडियोलॉजी डीएसए लैब, कार्डियोलॉजी कैथ लैब मरीजों के इलाज के लिए समर्पित (New Labs in SMS Jaipur) किया. वहीं एक नया सेमीनार हॉल भी अस्पताल को मिला. इस दौरान सीएम ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र प्राथमिकता पर है. इसमें पैसे की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी. डॉक्टर्स से बस ये अपील है कि वो कम से कम स्ट्राइक पर ना जाएं. क्योंकि डॉक्टर और स्ट्राइक का रिश्ता ही नहीं होता.
प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में मरीजों के लिए करोड़ों रुपए की लागत से खर्च कर नवीन उपकरण लगाए गए. सीएम अशोक गहलोत इन का उद्घाटन करने पहुंचे इस दौरान एसएमएस अस्पताल के बांगड परिसर में स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, पीएचईडी मंत्री महेश्वर की खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह विधायक रफीक खान और कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे. वहीं प्रशासनिक स्तर पर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया, आरयूएचएस कुलपति डॉ सुधीर भंडारी, अस्पताल अधीक्षक डॉ.अचल शर्मा, प्राचार्य डॉ.राजीव बगरहट्टा और अन्य चिकित्सकों की मौजूदगी में मरीजों को इलाज की नई सौगात मिली.
बिना ओपन सर्जरी किए ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को लगेगा स्टंट: इनमें से एक करीब 4 करोड़ की लागत से थ्रीडी डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी मशीन शामिल है. ये मशीन लगाने वाला एसएमएस अस्पताल राज्य का पहला सरकारी अस्पताल होगा. इससे शरीर के विभिन्न ऑर्गन जैसे ब्रेन, लीवर, किडनी की एंजियोग्राफी की जा सकती है. इससे नई दवाओं पर रिसर्च करने में भी मदद मिलेगी. वहीं मेडिसिन, न्यूरोसर्जरी, यूरोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, गैस्ट्रोसर्जरी, आंकोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, ऑर्थोपेडिक जैसे विभाग के मरीजों को भी फायदा होगा. ब्रेन या स्पाइन की वेस्कुलर बीमारियों से जुड़े पेंशेंट को काफी राहत मिलेगी. ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को बिना चीर फाड़ के स्टंट लगाया जा सकेगा. न्यूरो इंटरवेंशनल लैब में ये मशीन लगाई गई है.
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प्रदेश का पहला इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ऑपरेशन थिएटर: कैंसर, धमनियों, ब्रेन स्टॉक जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज और डायग्नोस अब रेडियोलॉजी की एडवांस तकनीक से आसान हो जाएगा. एसएमएस में वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग शुरू किया है. एसएमएस अस्पताल में वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग का ऑपरेशन थिएटर (डीएसए मशीन) तैयार किया गया है. जहां नई बीमारियों के पता लगाने के अलावा धमनियों में प्रवाह, कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज सम्भव हुआ है. सीएसआर फंड से करीब 6 करोड़ की लागत से यह ऑपरेशन थिएटर तैयार किया गया है. इसमें पैर की धमनी में एक कैथेटर (एक छोटी पतली ट्यूब) डालकर और इसे पूरे शरीर की किसी भी रक्त वाहिकाओं तक पहुंचाया जाता है. जिससे रक्त वाहिकाओं के गुब्बारे, ब्लॉकेज, ब्लीडिंग आदि को ठीक किया जा सकता है और एंजियोप्लास्टी और छल्ला डाला जा सकता है. रक्त के थक्के द्वारा अवरुद्ध नसोंं को खोला जा सकता है.
256 स्लाइस स्पेक्ट्रल सीटी स्कैन की सौगात: एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रदेश का एकमात्र ऐसा सरकारी मेडिकल कॉलेज होगा जहां 256 स्लाइस स्पेक्ट्रल सीटी स्कैन की एडवांस सुविधा उपलब्ध होगी. इस मशीन के जरिए कम से कम समय में बेहतर स्कैन के माध्यम से वर्चुअल ब्रोंकोस्कॉपी (बिना दूरबीन डाले श्वास नलियों की दूरबीन से सटीक जांच), सीटी कोरोनरी एंजियो (बिना कैथेटर डाले ह्रदय की धमनियों की जांच), रिनल स्टोन कंपोजिशन (पथरी की सटीक रासायनिक संरचना) एवं टिशू कैरक्टराइजेशन जैसी कई नवीनतम डायग्नोस्टिक सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा.
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दिल के रोगियों के लिए नई कैथ लैब: गंभीर हृदय रोगियों के इलाज के लिए एसएमएस में नई कैथ लैब शुरू की गई है. लैब में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी समेत हृदय रोग के अन्य बड़े आपरेशन के लिए अत्याधुनिक मशीनों व तकनीक से हो सकेगी. सर्दी के दिनों में हार्ट अटैक के केस अचानक बढ़ने लगेंगे. ऐसे में मरीजों का भार अस्पताल पर बढ़ेगा. नई कैथ लैब से एंजियोग्राफी, एंजियोप्लासटी, स्टेंट लगाने, रोगी के सिकुड़े हुए वाल्व को बैलून से फुलाने आदि के इलाज की सुविधाएं मरीजों को मिल सकेगी.
मेडिकल प्राइम सेक्टर-सीएम: एसएमएस अस्पताल में नए उपकरणों को जनता को समर्पित करने के बाद मीडिया से रूबरू हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि जो फैसले किए हैं वो सारे उपकरण आ रहे हैं. कई उपकरण तो ऐसे हैं जो देश में शायद बहुत कम जगह होंगे. हर विभाग के अंदर, अब हार्ट ट्रांसप्लांट भी, लिवर ट्रांसप्लांट होने लग गए. आज एसएमएस पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली की तरह आगे बढ़ रहा है. एसएमएस पॉपुलर भी हो रहा है. साथ ही एफिशिएंसी, अच्छे डॉक्टर्स, अच्छा स्टाफ और अच्छा इलाज भी हो रहा है. इसलिए बाहर के राज्यों के कई लोग यहां आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पूरे राजस्थान के अंदर जितनी भी मेडिकल कॉलेज खुल रही हैं, अब 30 जगह खुल रही हैं, तो मेडिकल कॉलेज खुलना एक बात है. पर साथ में वहां पर स्पेशलिस्ट हों, ट्रेन्ड डॉक्टर्स हों, नर्सेज हों, इतना बड़ा एक मूवमेंट खड़ा करना बड़ी बात है. तभी तो वो कामयाब होंगे, खाली कॉलेज खुल गईं, मेडिकल के नाम से और वहां कुछ भी नहीं है. तो मतलब क्या है कॉलेज खोलने का. ये तमाम तरह की योजनाएं दिमाग के अंदर हैं, उसी रूप में प्लानिंग चल रही है. मेडिकल सेक्टर प्राइम सेक्टर बन चुका है. राजस्थान में मेडिकल सेक्टर देश में सबसे आगे प्राथमिकता में है. इस दौरान उन्होंने चिरंजीवी योजना, प्रदेश में हो रहे निशुल्क ऑर्गन ट्रांसप्लांट, फ्री दवाइयां, फ्री इलाज, ओपीडी-आईपीडी फ्री होने का जिक्र किया.
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डॉक्टर्स ना करे स्ट्राइक-सीएम: आईपीडी टॉवर को बनने में अभी 2 साल का समय लगेगा, ये एक ऐतिहासिक काम है. वहीं मेडिकल कॉलेज से जुड़े दूसरे अस्पतालों में भी इंप्रूवमेंट हो रहा है. उन्होंने डॉक्टर्स से बिल करते हुए कहा कि कृपा करके एक वादा करें कि स्ट्राइक नहीं करोगे. विरोध करना है तो काली पट्टी बांध लीजिए. डॉक्टर्स का और स्ट्राइक का तो रिश्ता होना ही नहीं चाहिए. क्योंकि डॉक्टर्स तो भगवान का रूप माने जाते हैं. स्ट्राइक होती है तो अंदर मरीज बेचारा तड़पता है, कई लोगों के ऑपरेशन रुक जाते हैं, पोस्टपॉन हो जाते हैं. सीएम ने डॉक्टर्स से कहा कि एक कम से कम ये मांग है, बाकी मांगें आपकी सब मांगें वो मंजूर कर लेंगे. उन्होंने कहा कि मेडिकल टॉप प्रायोरिटी के अंदर है. कोई धन की कमी नहीं आएगी.
उन्होंने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल वालों से भी मांग है कि उनको भी चाहिए कि वो संवेदनशीलता दिखाएं. ये शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं जो हैं, ये कॉमर्शियल काम नहीं हैं. संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं हैं, वो पैसा कमाने का धंधा नहीं हो सकती हैं. कोई कमाता है तो वो गलत काम करता है. इसीलिए सोसायटी बनती है, ट्रस्ट बनता है, जिससे कि पैसा वहीं सर्कुलेट हो, अगर पैसा बच रहा है, सेविंग हो रहा है, तो वापस आप वहीं खर्च करोगे, इन्वेस्टमेंट करोगे. लेकिन पूरे मुल्क के अंदर सब लोग इस भावना को नहीं मानते हैं. बड़े-बड़े अस्पताल ब्रीच कैंडी की तरह ऐसे भी हैं जो ट्रस्ट बनाकर चलते हैं और जहां तक उन्हें जानकारी है, हो सकता है कि वो गलत भी हों, कि कई अस्पताल उसको फॉलो भी करते हैं.
सीएम ने कहा कि मान लो बाहर का कोई आदमी आ गया. उसका एक्सीडेंट हो गया राजस्थान में, तो हमने कहा है कि जो नियरेस्ट अस्पताल है वहां उसको इलाज करना ही पड़ेगा. उसको लेकर क्या ऐतराज हो सकता है? सरकार तो कह रही है, कानून ला रही है, जरूरत क्यों पड़ी कानून लाने की? बिना कानून भी अस्पताल के मालिकों की, प्रबंधकों की, डॉक्टर्स की जिम्मेदारी है. बल्कि एंबुलेंस भेजकर खुद मालूम करते और उसका इलाज करवाते. कुछ बातें जिंदगी में ऐसी करनी चाहिए जो जिंदगी में खुद को संतोष मिले. सब काम सरकार नहीं कर सकती है. कोरोना में मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली में एक बेड नहीं मिल रहा था, लेकिन राजस्थान इस मामले में बहुत ही सुकून भरा रहा.
जनता क्लीनिक पहले चरण में 140 खुलने थे, मात्र 16 ही खुले: सीएम ने जनता क्लीनिक को लेकर कहा कि उसमें जितना सरकाए चाहती थी, उतना काम नहीं हो पाया है. उसमें कई प्रॉब्लम आती हैं, कोई दिल्ली की तरह छोटी जगह तो नहीं है. इतना बड़ा राजस्थान है. मोहल्ले में कुछ जगह नहीं मिलती कई बार, जगह मिलती है तो वो पूरी माफिक नहीं होती है. तो इसमें वो जितना चाहते थे, उस ढंग से काम नहीं हो पाया. पर थीम कांग्रेस सरकार की है, जहां जगह मिलेगी, खुद पब्लिक आगे आएगी, वहां सहयोग करेंगे.
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चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया को कार्यक्रम के दौरान पुलिसकर्मियों ने अंदर आने से रोका. तब गालरिया को यह तक कहना पड़ा कि 'आई एम सेक्रेटरी'. वहीं विधायक अमीन कागजी को भी रोका गया. इस पर वे नाराज हो गए. हालांकि बाद में दोनों को प्रवेश दे दिया गया. इस दौरान सीएम ने यहां वार्ड में ठेके पर लगे कर्मचारियों से बात की तो मानदेय बताते हुए कुछ महिला कर्मचारियों की आंखें छलक पड़ी. इस पर सीएम ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए इस संबंध में मंत्री परसादी लाल मीणा और चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया को संज्ञान लेने के निर्देश दिए. हालांकि इस दौरान एक महिला अपने लकवाग्रस्त पति की जांच के लिए एसएमएस पहुंची थी. लेकिन सीएम के कार्यक्रम के चलते उसे लैब तक नहीं जाने दिया गया. करीब डेढ़ घंटा इंतजार करने के बाद उसका नंबर आया.