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राज्य पशु के लिए गहलोत सरकार की पहल, उष्ट्र संरक्षण योजना का किया अनुमोदन - etv bharat Rajasthan news

ऊंटों के संरक्षण के लिए गहलोत सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन (camel conservation plan approved) किया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन किया है. इसमें 2.60 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान की सुविधा है.

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Gehlot government step for state animal
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Published : Nov 14, 2022, 4:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान में ऊंटों की कम होती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने इनके संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनाई है. ऊंटों के संरक्षण के लिए गहलोत सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन (camel conservation plan approved) किया है. इसमें 2.60 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान है. इसमें मादा ऊंट और बच्चे की पहचान पर मिलेंगे. योजना के तहत प्रथम किस्त के रूप में 5000 रुपए, दूसरी किस्त 5000 रुपए बच्चे के एक वर्ष पूर्ण होने पर मिलेगी.

2.60 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति
राज्य सरकार ऊंटों के संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन (Cm Gehlot Step for camel conservation) किया है. इसके लिए उन्होंने 2.60 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान (2 crore 60 lakh for camel conservation) को भी स्वीकृति दी है. योजना के अंतर्गत, पशु चिकित्सक और मादा ऊंट के साथ उनके बच्चे के टैग लगाकर पहचान पत्र देने के बाद ऊंट पालक को 5000 रुपए, प्रत्येक पहचान पत्र के लिए पशु चिकित्सक को 50 रुपए का मानदेय दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ऊंट के बच्चे के एक वर्ष पूर्ण होने पर द्वितीय किस्त के रूप में 5000 रुपए का प्रावधान किया गया है. दोनों किस्तों की राशि ऊंट पालक के बैंक खाते में भेजी जाएगी. सीएम गहलोत के इस निर्णय से ऊंट पालकों को आर्थिक संबल के साथ प्रोत्साहन मिल सकेगा. मुख्यमंत्री की ओर से वर्ष 2022-23 के बजट में ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति लागू करने के लिए 10 करोड़ रुपए के प्रावधान किया गया था.

पढ़ें. सीएम गहलोत ने दी वित्तीय स्वीकृति: 19 नर्सिंग महाविद्यालयों के लिए 18.38 करोड़ रुपए मंजूर

ऊंट राज्य पशु
ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वर्तमान में करीब दो लाख ऊंट बचे हैं. साल 2019 में हुई पशु गणना में ऊंटों की संख्या 2.52 लाख थी और इससे पहले 2012 में हुई पशुगणना में यह संख्या चार लाख थी. ऊंट रेगिस्तान में कृषि, सामान लाने और ले जाने के लिए काफी उपयोगी पशु है. पर्यटन के क्षेत्र में भी ऊंट की मांग है. कैमल सफारी देशी-विदेशी पर्यटक काफी पसंद करते हैं.

पढ़ें. कोचिंग स्टूडेंट्स को तनावमुक्त माहौल देने के लिए गहलोत सरकार की नई गाइड लाइन जारी ...जानिये क्या है खास

चार राज्यों में एक भी ऊंट नहीं है
देश में सबसे ज्यादा 85 फीसदी ऊंट अब भी राजस्थान में हैं. मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड सहित कुछ राज्यों में ऊंटों की संख्या शून्य है. गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी ऊंट है. हालांकि इन राज्यों में भी ऊंटों की संख्या में लगातार कमी हो रही है.

जयपुर. राजस्थान में ऊंटों की कम होती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने इनके संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनाई है. ऊंटों के संरक्षण के लिए गहलोत सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन (camel conservation plan approved) किया है. इसमें 2.60 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान है. इसमें मादा ऊंट और बच्चे की पहचान पर मिलेंगे. योजना के तहत प्रथम किस्त के रूप में 5000 रुपए, दूसरी किस्त 5000 रुपए बच्चे के एक वर्ष पूर्ण होने पर मिलेगी.

2.60 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति
राज्य सरकार ऊंटों के संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है. इसी क्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उष्ट्र संरक्षण योजना का अनुमोदन (Cm Gehlot Step for camel conservation) किया है. इसके लिए उन्होंने 2.60 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान (2 crore 60 lakh for camel conservation) को भी स्वीकृति दी है. योजना के अंतर्गत, पशु चिकित्सक और मादा ऊंट के साथ उनके बच्चे के टैग लगाकर पहचान पत्र देने के बाद ऊंट पालक को 5000 रुपए, प्रत्येक पहचान पत्र के लिए पशु चिकित्सक को 50 रुपए का मानदेय दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ऊंट के बच्चे के एक वर्ष पूर्ण होने पर द्वितीय किस्त के रूप में 5000 रुपए का प्रावधान किया गया है. दोनों किस्तों की राशि ऊंट पालक के बैंक खाते में भेजी जाएगी. सीएम गहलोत के इस निर्णय से ऊंट पालकों को आर्थिक संबल के साथ प्रोत्साहन मिल सकेगा. मुख्यमंत्री की ओर से वर्ष 2022-23 के बजट में ऊंट संरक्षण एवं विकास नीति लागू करने के लिए 10 करोड़ रुपए के प्रावधान किया गया था.

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ऊंट राज्य पशु
ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वर्तमान में करीब दो लाख ऊंट बचे हैं. साल 2019 में हुई पशु गणना में ऊंटों की संख्या 2.52 लाख थी और इससे पहले 2012 में हुई पशुगणना में यह संख्या चार लाख थी. ऊंट रेगिस्तान में कृषि, सामान लाने और ले जाने के लिए काफी उपयोगी पशु है. पर्यटन के क्षेत्र में भी ऊंट की मांग है. कैमल सफारी देशी-विदेशी पर्यटक काफी पसंद करते हैं.

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चार राज्यों में एक भी ऊंट नहीं है
देश में सबसे ज्यादा 85 फीसदी ऊंट अब भी राजस्थान में हैं. मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड सहित कुछ राज्यों में ऊंटों की संख्या शून्य है. गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी ऊंट है. हालांकि इन राज्यों में भी ऊंटों की संख्या में लगातार कमी हो रही है.

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