जयपुर. देश में आईपीसी और सीआरपीसी कानून में संशोधन के लिए संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने बिल पेश किए. ऐसे में अगर ये बिल पास हो जाते हैं तो कई नए प्रावधान लागू होंगे और अंग्रेजों के बनाए कानून में आज के समय की मांग के अनुरुप बदलाव होंगे. इस बीच जो बिल गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में रखे हैं, उसमें मॉब लिंचिंग की घटना पर मौत की सजा का प्रावधान है. इसके तहत 5 या उससे अधिक लोग जाति, नस्ल या फिर भाषा के आधार पर हत्या करते हैं तो उनके लिए फांसी की सजा का प्रावधान रखा गया है.
राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 - हालांकि राजस्थान देश का वो राज्य है, जिसने मॉब लिंचिंग रोकने के लिए साल 2019 में ही राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 को प्रस्तुत किया था. अब क्योंकि यह बिल केंद्रीय अधिनियम में संशोधन से जुड़ा था, ऐसे में केंद्र सूची का कानून होने के चलते राष्ट्रपति की अनुमति के लिए इसे भेजा गया था, जिसे अब तक अनुमति नहीं मिली है. राजस्थान में मॉब लिंचिंग को लेकर जो बिल आया था, उसके अनुसार सजा के तौर पर आजीवन कठोर कारावास और 5 लाख तक का जुर्माना लगाया गया था. लेकिन अब तक यह बिल राष्ट्रपति के अनुमति नहीं मिलने के चलते पेंडिंग है और अब अगर केंद्र के नए बिल को संसद से पास करा लिया जाता है तो ऐसे में अब इस बिल की आवश्यकता भी शायद नहीं होगी.
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पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले से शुरू हुई थी देश में बहस - आपको बता दें कि 1 अप्रैल, 2017 के दिन NH8 पर बहरोड से कुछ लोग पिकअप में गोवंश भरकर ले जा रहे थे. इस पर कुछ लोगों को गोवंश के गोकशी के लिए ले जाने के संदेह के चलते गाड़ी रुकवाकर भीड़ ने पिकअप में सवार पहलू खान और अन्य लोगों के साथ मारपीट की थी. जिसमें पहलू खान की 4 अप्रैल को मौत हो गई थी. पहलू खान के बाद 20 जुलाई, 2018 को अलवर के रामगढ़ के लाल मंडी इलाके से गौ तस्करी के शक में रकबर खान नाम के व्यक्ति से भी मारपीट हुई थी, जिसमें रकबर खान की मौत हो गई थी. इन्हीं मामलों के चलते जब राजस्थान में सरकार बदली तो सरकार ने अपने कार्यकाल के 1 साल के भीतर ही मॉब लिंचिंग रोकने के लिए बिल विधानसभा से पास किया था.
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सीएम गहलोत लिखेंगे पीएम मोदी को पत्र - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को केंद्र सरकार से यह मांग की, कि जो सीआरपीसी सीपीसी में बदलाव के तीन कानून लेकर आ रहे हैं, उनमें एक प्रावधान राजस्थान की तरफ से भी जोड़ा जाए. उन्होंने कहा कि पूरे देश में पुलिस थानों में एफआईआर कंपल्सरी होना चाहिए. सीएम ने कहा कि वो इसको लेकर केंद्र को पत्र भी लिखेंगे. उन्होंने कहा कि राजस्थान देश में पहला राज्य है, जहां सरकार बनते ही हमने एफआईआर दर्ज को अनिवार्य किया. गहलोत ने कहा कि थाने में होने वाले बर्ताव के चलते पहले लोग थानों में जाने से भी घबराते थे, लेकिन हमने उस माहौल को बदला. सीएम गहलोत ने कहा कि अगर फरियादी की फरियाद सुनी जाएगी तो उसे न्याय भी मिलेगा. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर देश के हर थाने में एफआईआर को कंपलसरी कराने की अपील करेंगे, ताकि लोगों को न्याय मिल सके.