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गहलोत ने कहा- राजस्थान का बजट ऐतिहासिक, सभी मुख्यमंत्रियों को भेजूंगा इसकी कॉपी - राजस्थान बजट 2023

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत गुरुवार को बजट पर जवाब पेश करते हुए भाजपा पर जमकर हमला (CM Ashok Gehlot attack on BJP) बोला.

CM Ashok Gehlot attack on BJP
CM Ashok Gehlot attack on BJP
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Published : Feb 16, 2023, 7:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को बजट पर जवाब पेश करते हुए राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर कटाक्ष किए. गहलोत ने दावा किया कि राजस्थान के बेहतरीन वित्तीय प्रबंध के कारण ही शिक्षा, स्वास्थ्य ,सड़क ,सोशल सिक्योरिटी ,किसान, युवाओं, पेंशन धारियों के लिए बेहतरीन योजनाएं लागू हो सकी. गहलोत ने कहा कि आज राजस्थान के बजट की चर्चा पूरे देश में हो रही है. यह बजट डॉक्यूमेंट हम हर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं. गहलोत ने कहा कि मुझे लगता है कि जहां चुनाव होंगे वहां सभी राजनीतिक पार्टियां हमारे बजट को डॉक्यूमेंट मानकर अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेंगी. उन्होंने सदन में आंकड़े रखते हुए कहा कि राजस्थान में समग्र विकास वाला बजट पेश हुआ है. बीते 10 साल में प्रति व्यक्ति आय 18 फीसदी और इस साल 14 फीसदी बढ़ी है. गहलोत ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में जहां पूर्ववर्ती सरकार में राजस्थान 16 और 17 नंबर पर था वह अब साल 2020 -21 में नौवें स्थान पर आ गया है.

प्रधानमंत्री के कमेंट फेडरल सिस्टम पर कर रहे चोटः गहलोत ने बजट पर अपने रिप्लाई में कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यसभा और दौसा में जिस तरह की बातें कही और कमेंट किए, वह देश के फेडरल डेमोक्रेसी में उचित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों की इज्जत करनी चाहिए और हमारे यहां उलटी गंगा बह रही है. उन्होंने भारत सरकार पर विभिन्न मदों में लगातार कटौती करने के भी आरोप लगाए. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार एक और तो कटौती कर रही है और दूसरी और नई इनकम टैक्स स्लैब से देश के लोगों को भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ जिस तरह से भेदभाव कर रही है, उसका उदाहरण है कि जिन योजनाओं में केंद्र सरकार 100 फीसदी से लेकर 75 फीसदी तक हिस्सेदारी देती थी, उसे अब 60-40 में परिवर्तित कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि 60 फीसदी केंद्र की हिस्सेदारी और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी. उन्होंने कहा कि इस पैटर्न के साथ ही केंद्र सरकार ने यह अप्रोच भी अपना ली है कि अब पैसा बैंकों में जमा करवाया जा रहा है, जिसे राज्यों की लिक्विडिटी समाप्त हो रही है.

पैसा भले ही बैंकों में पड़ा रहे, केंद्र सरकार को इसकी उन्हें चिंता नहीं. लेकिन स्टेट के पास पैसा पीडीएफ खातों में नहीं हो वह इस पर ध्यान दे रहे हैं. गहलोत ने कहा कि अब तो केंद्र सरकार नया पायलट प्रोजेक्ट लेकर आ रही है, जिसके तहत राज्य सरकार और केंद्र सरकार का पूरा अंश पहले राज्य सरकार खर्च करेगी, उसके बाद केंद्र सरकार अपने हिस्से का अंश राज्य को देगा. कर्ज को लेकर गहलोत ने कहा कि जब 2013 में हमने सरकार छोड़ी तो प्रदेश पर 23.58 परसेंट जीडीपी का कर्ज था. जब आपने सत्ता छोड़ी तो यह कर्ज बढ़कर 34.16 फीसदी हुआ जबकि पिछले 4 साल में हमने केवल ढाई प्रतिशत जीडीपी पर कर्ज लिया है और यह कर्जा 36.78 फीसदी हुआ है. इससे साफ पता लगता है कि किस सरकार के समय कितना कर्जा लिया गया. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार के वित्तीय प्रबंधन शानदार है और इसी के चलते फिस्कल डेफिसिट और रिवेन्यू डिफिसिट के मामले में राजस्थान सरकार केंद्र सरकार से कहीं बेहतर है.

इसे भी पढ़ें - 1 lakh recruitment next year: गहलोत ने फिर खोला 'पिटारा': 1 लाख नई भर्तियों की घोषणा, किसानों को दी राहत

अध्यक्ष का बड़ा रुतबा होता है - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल मनोनीत किए जाने के बाद भाजपा के राजस्थान अध्यक्ष सतीश पूनिया की ओर से बात रखी जाने पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमारे 25 सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं और पहले भी कई राज्यो के सभी दलों के नेता मिलकर केंद्र सरकार के पास जाकर राज्य हित की बात कर चुके हैं. गहलोत ने कहा कि आप अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष का अलग रूतबा होता है. पार्टी के सभी लोग अध्यक्ष की रिस्पेक्ट करते हैं मैं भी तीन बार अध्यक्ष रहा, ऐसे में क्या आपको ईआरसीपी योजना को लेकर प्रधानमंत्री से बात नहीं करनी चाहिए. जबकि 2005 में भाजपा सरकार के समय ही मध्य प्रदेश से हमारा एमओयू साइन हुआ और उसी आधार पर मध्य प्रदेश ने अपने क्षेत्र में 2 बांध भी बनाए. लेकिन अब हमारी बारी आने पर आनाकानी हो रही है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह राज क्या है, ऐसा क्यों हो रहा है "क्या इसका कारण यह है कि यह योजना वसुंधरा राजे के समय की है और इसलिए जानबूझकर इस योजना को आप लोग आगे नहीं बढ़ाना चाहते".

हमारे कहने पर फ्री करनी पड़ी कोरोना वैक्सीन - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की गलत कोविड नीति पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने फरवरी 2020 में ही चेतावनी दे दी थी लेकिन उसके बाद भी केंद्र सरकार ने कोई तैयारी नहीं की. उन्होंने कहा कि गुजरात में जिस तरह से सड़क पर लोगों को ड्रिप लग रही थी और जो फेलियर कोरोना में गुजरात में हुआ उसके चलते ही गुजरात के मुख्यमंत्री और कैबिनेट को हटाना पड़ा. गहलोत ने कहा कि हमारे बार-बार दबाव के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैक्सीन फ्री करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि आप गौ भक्त हैं या सत्ता पक्ष के लोग यह बता दें, क्योंकि मैने गो निदेशालय बनाया, जिसे आपने केवल विभाग बना कर इतिश्री कर ली. हमने बीते 4 साल में 2313 करोड़ का अनुदान गायों के लिए दिया.

उन्होंने कहा कि लंपी के समय भी हमने कहा था कि लंपी को कोविड - 19 की तरह ट्रीट किया जाए और लोगों को मुआवजा दिया जाए, लेकिन हमारी बात स्वीकार नहीं की गई, जबकि हमने राजस्थान में मरने वाली हर गाय को 40,000 प्रति गाय मुआवजा देने का निर्णय लिया है. ऐसे में आप बताएं कि राम भक्त और गौ भक्त कौन हैं?. उन्होंने कहा कि आप राम भक्त और गौ भक्त उस समय हो जाते हैं, जब वोट लेने हो. जबकि आपको गाय के प्रति कोई हमदर्दी नहीं है. गहलोत ने इस दौरान कहा कि भाजपा हिंदू-मुस्लिम कर राज में आ गई और अब भी इस उम्मीद में है कि हमारी शानदार परफॉर्मेंस और एंटी इंकंबेंसी नहीं होने के बावजूद हिंदू मुस्लिम के नाम पर वह सत्ता में आ जाएगी.

अडानी-मोदी की दूरी दिखाने के लिए लगा रहे आरोप - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओपीएस की पैरवी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को अभी समय रहते मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए ओपीएस लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक जो कभी भी अपनी सैलरी बढ़ा लेते हैं क्या वह अपना पैसा एनपीएस में लगाएंगे?. उन्होंने कहा कि अडानी का शेयर जिस तरह नीचे आया अब सबको मालूम पड़ गया कि पैसा एनपीएस का कहां लगता है. उन्होंने अडानी को जमीन देने के आरोपों पर बोलते हुए कहा कि आप के समय में अडानी को कॉल ब्लॉक दिया गया. हमने भी उनको जमीने दी और आप के समय में भी अडानी को जमीनें दी गई. इसके साथ ही गहलोत ने सदन में भाजपा विधायकों की ओर से अडानी का नाम लेने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि मुझे इसमें यह राज लगता है की शायद आपको ऊपर से इशारा हुआ है कि अडानी और मोदी की दूरी दिखाओ इसलिए आप सदन में अडानी को लेकर बातें रख रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को बजट पर जवाब पेश करते हुए राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर कटाक्ष किए. गहलोत ने दावा किया कि राजस्थान के बेहतरीन वित्तीय प्रबंध के कारण ही शिक्षा, स्वास्थ्य ,सड़क ,सोशल सिक्योरिटी ,किसान, युवाओं, पेंशन धारियों के लिए बेहतरीन योजनाएं लागू हो सकी. गहलोत ने कहा कि आज राजस्थान के बजट की चर्चा पूरे देश में हो रही है. यह बजट डॉक्यूमेंट हम हर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेज रहे हैं. गहलोत ने कहा कि मुझे लगता है कि जहां चुनाव होंगे वहां सभी राजनीतिक पार्टियां हमारे बजट को डॉक्यूमेंट मानकर अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेंगी. उन्होंने सदन में आंकड़े रखते हुए कहा कि राजस्थान में समग्र विकास वाला बजट पेश हुआ है. बीते 10 साल में प्रति व्यक्ति आय 18 फीसदी और इस साल 14 फीसदी बढ़ी है. गहलोत ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में जहां पूर्ववर्ती सरकार में राजस्थान 16 और 17 नंबर पर था वह अब साल 2020 -21 में नौवें स्थान पर आ गया है.

प्रधानमंत्री के कमेंट फेडरल सिस्टम पर कर रहे चोटः गहलोत ने बजट पर अपने रिप्लाई में कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यसभा और दौसा में जिस तरह की बातें कही और कमेंट किए, वह देश के फेडरल डेमोक्रेसी में उचित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्यों की इज्जत करनी चाहिए और हमारे यहां उलटी गंगा बह रही है. उन्होंने भारत सरकार पर विभिन्न मदों में लगातार कटौती करने के भी आरोप लगाए. साथ ही कहा कि केंद्र सरकार एक और तो कटौती कर रही है और दूसरी और नई इनकम टैक्स स्लैब से देश के लोगों को भ्रमित कर रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ जिस तरह से भेदभाव कर रही है, उसका उदाहरण है कि जिन योजनाओं में केंद्र सरकार 100 फीसदी से लेकर 75 फीसदी तक हिस्सेदारी देती थी, उसे अब 60-40 में परिवर्तित कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि 60 फीसदी केंद्र की हिस्सेदारी और 40 फीसदी राज्य की हिस्सेदारी. उन्होंने कहा कि इस पैटर्न के साथ ही केंद्र सरकार ने यह अप्रोच भी अपना ली है कि अब पैसा बैंकों में जमा करवाया जा रहा है, जिसे राज्यों की लिक्विडिटी समाप्त हो रही है.

पैसा भले ही बैंकों में पड़ा रहे, केंद्र सरकार को इसकी उन्हें चिंता नहीं. लेकिन स्टेट के पास पैसा पीडीएफ खातों में नहीं हो वह इस पर ध्यान दे रहे हैं. गहलोत ने कहा कि अब तो केंद्र सरकार नया पायलट प्रोजेक्ट लेकर आ रही है, जिसके तहत राज्य सरकार और केंद्र सरकार का पूरा अंश पहले राज्य सरकार खर्च करेगी, उसके बाद केंद्र सरकार अपने हिस्से का अंश राज्य को देगा. कर्ज को लेकर गहलोत ने कहा कि जब 2013 में हमने सरकार छोड़ी तो प्रदेश पर 23.58 परसेंट जीडीपी का कर्ज था. जब आपने सत्ता छोड़ी तो यह कर्ज बढ़कर 34.16 फीसदी हुआ जबकि पिछले 4 साल में हमने केवल ढाई प्रतिशत जीडीपी पर कर्ज लिया है और यह कर्जा 36.78 फीसदी हुआ है. इससे साफ पता लगता है कि किस सरकार के समय कितना कर्जा लिया गया. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार के वित्तीय प्रबंधन शानदार है और इसी के चलते फिस्कल डेफिसिट और रिवेन्यू डिफिसिट के मामले में राजस्थान सरकार केंद्र सरकार से कहीं बेहतर है.

इसे भी पढ़ें - 1 lakh recruitment next year: गहलोत ने फिर खोला 'पिटारा': 1 लाख नई भर्तियों की घोषणा, किसानों को दी राहत

अध्यक्ष का बड़ा रुतबा होता है - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल मनोनीत किए जाने के बाद भाजपा के राजस्थान अध्यक्ष सतीश पूनिया की ओर से बात रखी जाने पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि हमारे 25 सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं और पहले भी कई राज्यो के सभी दलों के नेता मिलकर केंद्र सरकार के पास जाकर राज्य हित की बात कर चुके हैं. गहलोत ने कहा कि आप अध्यक्ष हैं और अध्यक्ष का अलग रूतबा होता है. पार्टी के सभी लोग अध्यक्ष की रिस्पेक्ट करते हैं मैं भी तीन बार अध्यक्ष रहा, ऐसे में क्या आपको ईआरसीपी योजना को लेकर प्रधानमंत्री से बात नहीं करनी चाहिए. जबकि 2005 में भाजपा सरकार के समय ही मध्य प्रदेश से हमारा एमओयू साइन हुआ और उसी आधार पर मध्य प्रदेश ने अपने क्षेत्र में 2 बांध भी बनाए. लेकिन अब हमारी बारी आने पर आनाकानी हो रही है. इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह राज क्या है, ऐसा क्यों हो रहा है "क्या इसका कारण यह है कि यह योजना वसुंधरा राजे के समय की है और इसलिए जानबूझकर इस योजना को आप लोग आगे नहीं बढ़ाना चाहते".

हमारे कहने पर फ्री करनी पड़ी कोरोना वैक्सीन - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की गलत कोविड नीति पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने फरवरी 2020 में ही चेतावनी दे दी थी लेकिन उसके बाद भी केंद्र सरकार ने कोई तैयारी नहीं की. उन्होंने कहा कि गुजरात में जिस तरह से सड़क पर लोगों को ड्रिप लग रही थी और जो फेलियर कोरोना में गुजरात में हुआ उसके चलते ही गुजरात के मुख्यमंत्री और कैबिनेट को हटाना पड़ा. गहलोत ने कहा कि हमारे बार-बार दबाव के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैक्सीन फ्री करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि आप गौ भक्त हैं या सत्ता पक्ष के लोग यह बता दें, क्योंकि मैने गो निदेशालय बनाया, जिसे आपने केवल विभाग बना कर इतिश्री कर ली. हमने बीते 4 साल में 2313 करोड़ का अनुदान गायों के लिए दिया.

उन्होंने कहा कि लंपी के समय भी हमने कहा था कि लंपी को कोविड - 19 की तरह ट्रीट किया जाए और लोगों को मुआवजा दिया जाए, लेकिन हमारी बात स्वीकार नहीं की गई, जबकि हमने राजस्थान में मरने वाली हर गाय को 40,000 प्रति गाय मुआवजा देने का निर्णय लिया है. ऐसे में आप बताएं कि राम भक्त और गौ भक्त कौन हैं?. उन्होंने कहा कि आप राम भक्त और गौ भक्त उस समय हो जाते हैं, जब वोट लेने हो. जबकि आपको गाय के प्रति कोई हमदर्दी नहीं है. गहलोत ने इस दौरान कहा कि भाजपा हिंदू-मुस्लिम कर राज में आ गई और अब भी इस उम्मीद में है कि हमारी शानदार परफॉर्मेंस और एंटी इंकंबेंसी नहीं होने के बावजूद हिंदू मुस्लिम के नाम पर वह सत्ता में आ जाएगी.

अडानी-मोदी की दूरी दिखाने के लिए लगा रहे आरोप - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ओपीएस की पैरवी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को अभी समय रहते मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए ओपीएस लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक जो कभी भी अपनी सैलरी बढ़ा लेते हैं क्या वह अपना पैसा एनपीएस में लगाएंगे?. उन्होंने कहा कि अडानी का शेयर जिस तरह नीचे आया अब सबको मालूम पड़ गया कि पैसा एनपीएस का कहां लगता है. उन्होंने अडानी को जमीन देने के आरोपों पर बोलते हुए कहा कि आप के समय में अडानी को कॉल ब्लॉक दिया गया. हमने भी उनको जमीने दी और आप के समय में भी अडानी को जमीनें दी गई. इसके साथ ही गहलोत ने सदन में भाजपा विधायकों की ओर से अडानी का नाम लेने पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि मुझे इसमें यह राज लगता है की शायद आपको ऊपर से इशारा हुआ है कि अडानी और मोदी की दूरी दिखाओ इसलिए आप सदन में अडानी को लेकर बातें रख रहे हैं.

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