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बच्चों को नहीं मिल रही नैतिक शिक्षा, इसलिए बुजुर्ग हो रहे हैं परेशान...जानें पूरा मामला

शहर के एक निजी होटल में हेल्पज इंटरनेशनल और ग्रावीस संस्था की ओर से बुजुर्गों की जल, पोषण और उनके स्वास्थ्य अधिकारों को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

बुजुर्गों के स्वास्थ्य अधिकारों पर संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Mar 30, 2019, 8:55 PM IST

जयपुर. बुजुर्गों की जल,पोषण और उनकेस्वास्थ्य अधिकारों को लेकर आयोजित की गई संगोष्ठी में मुख्य अतिथी पदमश्री डीआर मेहता रहे. उन्होंने बुजुर्गों के अधिकारों और जल,पोषण वस्वास्थ्य को लेकर चर्चा की. कार्यक्रम में संस्था की सचिव शशि त्यागी, डॉ. मीरा शिवा, नरेंद्र गुप्ता और महितोश सहित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया. ग्राविस की सचिव शशि त्यागी ने कहा कि बुजुर्गों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं को लेकर इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा की गई कि बुजुर्गों की समस्याओं का समाधान कैसे हो,उनके जीवन में प्रसन्नता कैसे आए.

बुजुर्गों के अधिकारों और जल, पोषण, स्वास्थ्य पर की चर्चा

उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव और नैतिक शिक्षा की कमी के चलते बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है.यहां के युवा पढ़ लिख कर के दूसरे शहरों में बुजुर्गों को अकेला छोड़ कर चले जाते हैं.गांवों में बुजुर्गोंको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाए. नैतिक शिक्षा के आधार पर ही बच्चे अपने बुजुर्गों का सम्मान करना सीख सकेंगे. शशि त्यागी ने यह भी कहा कि गांव में ही बुजुर्गों को ऐसी सहायता उपलब्ध कराएं कि वह छोटा-मोटा काम करने लगे.

उन्होंने कहा कि उनके घरों में ही एक छोटा बगीचा बनवा दें,जहां से वह फल-सब्जी आदि का उत्पादन कर सकें. इसी से उन्हें न्यूट्रिशन मिल सके. उन्होंने महिलाओं के लिए महिला स्वयं सहायता समूह बनाने की बात कही. पैसा जमा होने के बाद महिलाएं उसका इस्तेमाल अपने लिए कर सकेगी.उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने बुजुर्गों के लिए योजनाएं तो बनाई है लेकिन योजनाएं बुजुर्गों तक नहीं पहुंच पा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह बुजुर्गों तक पहुंचे और उनकी योजनाओं का लाभ उनको दिलाएं.गांव के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है. शशि त्यागी ने सरकार की ओर से बुजुर्गों को दी जा रही पेंशन को भी कम बताया उन्होंने कहा इस महंगाई के जमाने में थोड़ी पेंशन दी जा रही है, इसमें उनका खर्च चलाना मुश्किल होता है.

जयपुर. बुजुर्गों की जल,पोषण और उनकेस्वास्थ्य अधिकारों को लेकर आयोजित की गई संगोष्ठी में मुख्य अतिथी पदमश्री डीआर मेहता रहे. उन्होंने बुजुर्गों के अधिकारों और जल,पोषण वस्वास्थ्य को लेकर चर्चा की. कार्यक्रम में संस्था की सचिव शशि त्यागी, डॉ. मीरा शिवा, नरेंद्र गुप्ता और महितोश सहित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया. ग्राविस की सचिव शशि त्यागी ने कहा कि बुजुर्गों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं को लेकर इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा की गई कि बुजुर्गों की समस्याओं का समाधान कैसे हो,उनके जीवन में प्रसन्नता कैसे आए.

बुजुर्गों के अधिकारों और जल, पोषण, स्वास्थ्य पर की चर्चा

उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव और नैतिक शिक्षा की कमी के चलते बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है.यहां के युवा पढ़ लिख कर के दूसरे शहरों में बुजुर्गों को अकेला छोड़ कर चले जाते हैं.गांवों में बुजुर्गोंको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाए. नैतिक शिक्षा के आधार पर ही बच्चे अपने बुजुर्गों का सम्मान करना सीख सकेंगे. शशि त्यागी ने यह भी कहा कि गांव में ही बुजुर्गों को ऐसी सहायता उपलब्ध कराएं कि वह छोटा-मोटा काम करने लगे.

उन्होंने कहा कि उनके घरों में ही एक छोटा बगीचा बनवा दें,जहां से वह फल-सब्जी आदि का उत्पादन कर सकें. इसी से उन्हें न्यूट्रिशन मिल सके. उन्होंने महिलाओं के लिए महिला स्वयं सहायता समूह बनाने की बात कही. पैसा जमा होने के बाद महिलाएं उसका इस्तेमाल अपने लिए कर सकेगी.उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने बुजुर्गों के लिए योजनाएं तो बनाई है लेकिन योजनाएं बुजुर्गों तक नहीं पहुंच पा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह बुजुर्गों तक पहुंचे और उनकी योजनाओं का लाभ उनको दिलाएं.गांव के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है. शशि त्यागी ने सरकार की ओर से बुजुर्गों को दी जा रही पेंशन को भी कम बताया उन्होंने कहा इस महंगाई के जमाने में थोड़ी पेंशन दी जा रही है, इसमें उनका खर्च चलाना मुश्किल होता है.

Intro:जयपुर। शहर के एक निजी होटल में हेल्पज इंटरनेशनल और ग्रावीस संस्था की ओर से बुजुर्गों की जल पोषण और उनकी स्वास्थ्य अधिकारों को लेकर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य पदमश्री डीआर मेहता रहे उन्होंने बुजुर्गों के अधिकारों और जल पोषण स्वास्थ्य को लेकर चर्चा की। कार्यक्रम में संस्था की सचिव शशि त्यागी, डॉ मीरा शिवा, नरेंद्र गुप्ता और महितोश समित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।


Body:ग्राविस की सचिव शशि त्यागी ने कहा कि बुजुर्गों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक समस्याओं को लेकर के इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। संगोष्ठी में इस बात पर भी चर्चा की गई कि बुजुर्गी की समस्याओं का समाधान कैसे हो उनके जीवन में प्रसन्नता कैसे आए। उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव और नैतिक शिक्षा की कमी के चलते बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है यहां युवा पर पढ़ लिख कर के दूसरे शहरों में बुजुर्गों को अकेला छोड़ कर चले जाते हैं। गांवों में बुजुर्गो को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले बच्चो को नैतिक शिक्षा दी जाए नैतिक शिक्षा के आधार पर ही बच्चे अपने बुजुर्गों का सम्मान करना सीख सकेंगे।


Conclusion:शशि त्यागी ने यह भी कहा कि गांव में ही बुजुर्गों को ऐसी सहायता उपलब्ध कराएं कि वह छोटा मोटा काम करने लगे। उन्होंने कहा कि उनके घरों में ही एक छोटा बगीचा बनवा दे जहां से वह फल सब्जी आदि का उत्पादन कर सके ताकि उन्हें न्यूट्रिशन मिल सके। उन्होंने महिलाओं के लिए महिला स्वयं सहायता समूह बनाने की बात कही। पैसा जमा होने के बाद महिलाएं उसका इस्तेमाल अपने लिए कर सकेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने बुजुर्गों के लिए योजनाएं तो बनाई है लेकिन योजनाएं बुजुर्गों तक नहीं पहुंच पा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह बुजुर्गों तक पहुंचे और उनकी योजनाओ का लाभ उनको दिलाएं उन्हें कहा कि गांव के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं इसलिए उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
शशि त्यागी ने सरकार द्वारा बुजुर्गों को दी जा रही पेंशन को भी कम बताया उन्होंने कहा इस महंगाई के जमाने में थोड़ी पेंशन दी जा रही है, इसमे उनका खर्च चलाना मुश्किल होता है।


बाईट शशी त्यागी सचिव ग्रामीण विकास विज्ञान समिति

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