जयपुर. कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह और बिखराव का दौर जारी है. अब कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को छोड़ (Ghulam Nabi Azad Resignation) दिया है. आजाद के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी सदमे में हैं. वहीं सचिन पायलट ने भी उनके इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि वे अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटे हैं.
सीएम गहलोत ने कहा कि गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने और उनके इस तरह के बयान से मुझे भी व्यक्तिगत रूप से आघात लगा है. मैं खुद सदमे में हूं. उन्होंने कहा कि आजाद ने इस तरह का फैसला क्यों किया? जबकि कांग्रेस ने 42 साल तक उन्हें सब कुछ दिया है. उन्होंने प्रतिक्रिया देने के दौरान यह तक कह दिया कि गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के नजदीक माने जाते थे. उन्हें उस वक्त चापलूस कहा जाता था और उसका फायद उन्हें हमेशा मिला है.
सीएम गहलोत ने कहा मैं गुलाम नबी आजाद के फैसले और उनकी ओर से लिखे गए पत्र से सदमे में हूं. वे मेरे मित्र हैं. आजाद साहब का जो आज बयान आया है उससे मुझे आघात लगा है. मैं बयां नहीं कर सकता आज के पत्र को किस रूप में कमेंट करूं, क्योंकि 42 साल तक पार्टी ने उनको मौका दिया. वह व्यक्ति इस तरह का बयान दे रहा है. गहलोत ने कहा कि गांधी परिवार ने एक नौजवान लड़का समझ कर आगे बढ़ाया, कांग्रेस ने 42 साल तक सब कुछ दिया. प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया, मुख्यमंत्री बनाया. इन 42 सालों में कुछ न कुछ पद हमेशा उनके पास रहा और आज वो इस तरह के बयान दे रहे हैं.
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सब को पद मिले ये संभव नहींः गहलोत ने कहा कि सब को पद मिले यह संभव नहीं है. 135 करोड़ की आबादी है, 100 से ज्यादा लोगों की हमारी टीम है, जो दिल्ली हाईकमान से सीधी जुड़ी हुई है. हाईकमान सब को पद नहीं दे सकते. इसका मतलब ये नहीं कि हम जो पहले मिला उसे (ghulam nabi azad resigns congress) भूल जाएं. हमारी पहचान कांग्रेस से है. इसलिए यह बात हमें हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए. गहलोत ने कहा आजाद से इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं थी. पहले जब सोनिया गांध बीमार थी तब भी लोगों ने पत्र लिखा. जब हमारी नेता बीमार हैं, भर्ती हैं उस समय पत्र क्यों लिखा गया. उन्होंने कहा कि एक बार फिर सोनिया गांधी चेकअप के लिए अमेरिका गई हैं, उस समय पत्र लिखकर क्या संदेश देना चाहते हैं. गहलोत ने कहा कि यह संवेदनशील बात है कि जब हमारे नेता अस्पताल में उपचार करा रहे हो, उस समय हम इस तरह का पत्र लिखें.
संजय गांधी के चापलूस नेता रहे हैंः गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी के वक्त भी चापलूसी की बात कही जा रही (Gehlot on ghulam nabi resignation) है. यही चापलूसी की बात संजय गांधी के वक्त भी कही जाती थी. गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के नजदीकी माने जाते थे और उन्हें उस वक्त चापलूस कहा जाता था. उसका फायदा उन्हें हमेशा मिला. 42 साल के राजनीतिक करियर में वह हमेशा किसी न किसी पद पर रहे. हम खिलाफत करने वालों में से थे, लेकिन हमें भी कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है. इसलिए आज इस तरह के बयान देना मैं सही नहीं मानता.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सुबह सीतापुरा स्थित जेइसीसी में महिला समानता दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान महिला निधि का शुभारंभ किया.
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बता दें, गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस (Congress) पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया. आजाद ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्नों का इस्तीफा भेजा है. जानकारी के मुताबिक आजाद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सानियर नेताओं को लगातार साइडलाइन किया जा रहा है. उन्होंने सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे में लिखा कि बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है. आजाद ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए.
सचिन पायलट ने कहा- जिम्मेदारी से पीछे हटे नबी : सचिन पायलट ने गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर (Sachin Pilot on Ghulam Nabi) प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वे इस्तीफे के समय को गलत मानते हैं. उन्होंने कहा कि गुलाम नबी इन 50 सालों में तमाम पद यूथ कांग्रेस, मंत्री, सांसद, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष पर रह चुके हैं. भाजपा के खिलाफ बेरोजगारी, महंगाई जैसे तमाम मुद्दों को उठाने के लिए कांग्रेस पार्टी 4 तारीख को रैली कर रही है. 7 तारीख को भारत जोड़ो यात्रा पूरे देश में निकाली जा रही है. आज पार्टी को उनकी जरूरत थी, भाजपा के खिलाफ संघर्ष करने के लिए. ऐसे समय पर पार्टी छोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि चिट्ठी में लिखी बातें सच्चाई से परे हैं. आज सभी को साथ काम करने की जरूरत है, चाहे वो अनुभवी हो या युवा. लेकिन वे ऐसे समय पर पार्टी छोड़कर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटे हैं. फिर भी कांग्रेस पार्टी भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद करती रहेगी और उनकी कुशासन के खिलाफ संघर्ष करती रहेगी.