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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ व्रत, जयपुर में साकर हुई पूर्वांचल की सभ्यता

Chhath Pooja 2023, लोक आस्था के महापर्व छठ का सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हो गया. वहीं, इस दौरान जयपुर के गलता तीर्थ आमेर स्थित मावठा सहित अन्य कई जगहों पर कृत्रिम जलाशयों में खड़े होकर महिला व्रतियों ने उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया.

Chhath Pooja 2023
Chhath Pooja 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 20, 2023, 4:31 PM IST

जयपुर. सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ का सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ समापन हो गया. इसके साथ ही छठी मैया को समर्पित 36 घंटे का कठिन व्रत भी पूर्ण हो गया और व्रतियों ने पारण किया. इस दौरान गलता तीर्थ पर मेले जैसा नजारा देखने को मिला. वहीं, पूर्वांचल की सभ्यता राजधानी जयपुर में साकार होती नजर आई. जयपुर के गलता तीर्थ आमेर स्थित मावठा सहित अन्य कई जगहों पर कृत्रिम जलाशयों में खड़े होकर महिला व्रतियों ने उगते सूर्य को सोमवार सुबह दूसरा अर्घ्य दिया. साथ ही सूर्य देव और छठी माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की समृद्धि की कामना की.

इस दौरान जयपुर में रह रहे पूर्वांचल के प्रवासी बड़ी संख्या में जलाशयों तक पहुंचे, जहां सभी श्रद्धा और भक्ति में लीन नजर आए. वहीं, युवा और बच्चों में भी पर्व का उत्साह दिखा. ऐसे में उन्होंने जमकर आतिशबाजी भी की. गलता जी में होने वाले छठ पूजा आयोजन के व्यवस्थापक जितेंद्र झा ने बताया कि चार दिन से चल रहे छठ महापर्व का सोमवार को समापन हो गया. व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर धन-धान्य, पुत्र प्राप्ति, ऐश्वर्य, वैभव, सुख-शांति की कामना की. इसके साथ ही लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत था, उसकी भी पूर्णाहुति हो गई. व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भोजन ग्रहण किया. उन्होंने कहा कि छठ का व्रत बहुत कठिन माना जाता है. विशेषकर पूर्वांचल में इस त्योहार को मनाया जाता है.

इसे भी पढ़ें - उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आज महापर्व छठ का समापन, जानें अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

जयपुर में विशेष कर गलता जी, आमेर मावठा और कई जगह कृत्रिम जलाशय बनाकर इस त्योहार को मनाते हैं. आपको बता दें कि महिलाएं संतान की सुख-समृद्धि के साथ-साथ पति के लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए भी छठी माता का व्रत करती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य पूर्वजों को कारक माना जाता है. ऐसे में यह पर्व पवित्रता का भी प्रतीक है और सूर्य देवता की पूजा करने से आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास प्राप्त होता है.

जयपुर. सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ का सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ समापन हो गया. इसके साथ ही छठी मैया को समर्पित 36 घंटे का कठिन व्रत भी पूर्ण हो गया और व्रतियों ने पारण किया. इस दौरान गलता तीर्थ पर मेले जैसा नजारा देखने को मिला. वहीं, पूर्वांचल की सभ्यता राजधानी जयपुर में साकार होती नजर आई. जयपुर के गलता तीर्थ आमेर स्थित मावठा सहित अन्य कई जगहों पर कृत्रिम जलाशयों में खड़े होकर महिला व्रतियों ने उगते सूर्य को सोमवार सुबह दूसरा अर्घ्य दिया. साथ ही सूर्य देव और छठी माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की समृद्धि की कामना की.

इस दौरान जयपुर में रह रहे पूर्वांचल के प्रवासी बड़ी संख्या में जलाशयों तक पहुंचे, जहां सभी श्रद्धा और भक्ति में लीन नजर आए. वहीं, युवा और बच्चों में भी पर्व का उत्साह दिखा. ऐसे में उन्होंने जमकर आतिशबाजी भी की. गलता जी में होने वाले छठ पूजा आयोजन के व्यवस्थापक जितेंद्र झा ने बताया कि चार दिन से चल रहे छठ महापर्व का सोमवार को समापन हो गया. व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर धन-धान्य, पुत्र प्राप्ति, ऐश्वर्य, वैभव, सुख-शांति की कामना की. इसके साथ ही लगातार 36 घंटे का निर्जला व्रत था, उसकी भी पूर्णाहुति हो गई. व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देने के बाद भोजन ग्रहण किया. उन्होंने कहा कि छठ का व्रत बहुत कठिन माना जाता है. विशेषकर पूर्वांचल में इस त्योहार को मनाया जाता है.

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जयपुर में विशेष कर गलता जी, आमेर मावठा और कई जगह कृत्रिम जलाशय बनाकर इस त्योहार को मनाते हैं. आपको बता दें कि महिलाएं संतान की सुख-समृद्धि के साथ-साथ पति के लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए भी छठी माता का व्रत करती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य पूर्वजों को कारक माना जाता है. ऐसे में यह पर्व पवित्रता का भी प्रतीक है और सूर्य देवता की पूजा करने से आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास प्राप्त होता है.

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