जयपुर. बजट सत्र के दूसरे दिन भी प्रदेश में ओलावृष्टि और शीतलहर के चलते हुई फसल खराबे को लेकर पक्ष प्रतिपक्ष के बीच बहस छिड़ी. किसानों के मुआवजे को लेकर बीजेपी आक्रामक दिखी. भाजपा का आरोप है कि सरकार मुआवजा कम देने के लिए सही तरीके से गिरदावरी नही करवा रही है. विपक्ष के आरोपों पर सत्ता पक्ष ने भी हमला बोला, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने कहा कि 15 हज़ार के जूते पहनने वाले किसानों का दर्द क्या समझेंगे. बीजेपी के नेताओं को किसानों से कोई हमदर्दी नहीं है, ये केवल नौटंकी की राजनीति करते हैं.
भाजपा की तैयारी पूरी- सरकार को घेरने की तैयारी में भाजपा विगत 3 तीनों से जुटी हुई है. सदन में जाने से पहले भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने एक बार फिर आक्रामक अंदाज में मुद्दे को उठाने की बात कही. शर्मा ने कहा कि सरकार किसानों की फसल खराबे की सही तरीके से गिरदावरी नहीं करवा रही है. जिन किसानों की ज्यादा फसल खराब हुई है उनका भी औसत के लिहाज से कम दिखाया जा रहा है. शर्मा ने कहा कि विधानसभा में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाते रहेंगे और सरकार को मजबूर करेंगे कि वो किसानों की सही गिरदावरी कराकर मुआवजा समय पर दें.
कांग्रेस के महेन्द्र चौधरी ने दिया जवाब- महेंद्र चौधरी ने विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिस दिन ओलावृष्टि और बरसात हुई थी सरकार ने उसी दिन गिरदावरी कराने के आदेश दे दिए थे. इतनी जल्दी पहले कभी भी कोई आदेश नहीं हुए. कलेक्टर और पटवारियों को आदेश दिए. पटवारी अपनी रिपोर्ट भी दे रहे हैं , लेकिन बीजेपी इस मामले में भी राजनीति कर रही है और कह रही है कि सरकार ने पटवारियों को कहा है कि कम नुकसान दिखाएं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. बीजेपी किसानों के मुद्दे पर राजनीति करने की बजाए भाजपा को फील्ड में जाकर किसानों की सुध लेनी चाहिए. जानना चाहिए कि किसानों का कितना नुकसान हुआ है? चौधरी ने तंज कसा. कहा कि जो 15 हजार का जूता पहनता है उसे क्या पता किसान का दर्द क्या होता है. बीजेपी के नेता नौटंकी करके राजनीति कर सकते हैं, लेकिन कभी किसी किसान से खेत पर जाकर नहीं मिले.
चौधरी ने भाजपा को दिए टिप्स! - सदन में सरकार को घेरे जाने को लेकर भी उप मुख्य सचेतक ने राय रखी. कहा कि लंबे समय से सुन रहा हूं कि विपक्ष सदन में सरकार को घेर रहा है लेकिन घेरना किसे कहते हैं इसकी परिभाषा आज तक नहीं समझ पाया हूं. केवल सदन में 2 मिनट के लिए हो हुल्लड़ और शोर शराबा करके अपनी सीट पर बैठ जाना घेरना नहीं कहते हैं. घेरना तो उसे कहते हैं जब सदन की कार्यवाही को चलने नहीं दिया जाए, सड़कों को जाम कर दिया जाए. रास्ते रोक दिए जाएं उसे घेरना कहते हैं. जब मैं राजस्थान विश्वविद्यालय का अध्यक्ष था तब हम सड़कें जाम करते थे और विधानसभा का घेराव करते थे. सीपी जोशी विधानसभा के स्पीकर हैं उनके सामने ज्यादा हो हुल्लड़ नहीं चलता है. हां हुल्लड़ करने वाले विधायकों को किस तरह से सदन में जवाब दिया जाता है ये भी सब ने देखा है.
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12 घंटे में कार्रवाई पर थपथपाई पीठ- उप मुख्य सचेतक चौधरी ने कहा कि कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाने वालों को पता होना चाहिए कि राजस्थान में जब भी कोई घटना घटित होती है तो 12 घंटे के अंदर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है. बीजेपी वाले सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर सकते हैं, बयानबजी कर सकते हैं. धरातल पर उन्हें पता नहीं है कि प्रदेश में किस तरह से कानून व्यवस्था को कांग्रेस सरकार ने संभाल रखा है.