जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान नए जिलों के गठन को अंतिम रूप दिया गया. साथ ही जयपुर ग्रामीण और जोधपुर ग्रामीण के नाम से अलग जिले बनाने को लेकर निर्णय किया गया है. कैबिनेट बैठक के दौरान विद्यालयों में संविधान की उद्देशिका एवं मौलिक कर्तव्यों का पाठन, कार्मिकों के हित में प्रथम वेतन वृद्धि 6 माह में करने, प्रदेश के युवाओं को राजकीय सेवा में ज्यादा अवसर देने के संबध में निर्णय लिए गए. कैबिनेट की बैठक में संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा और राजस्थान आईएलडी स्किल्स यूनिवर्सिटी का नाम ‘दी विश्वकर्मा स्किल्स यूनिवर्सिटी‘ करने सहित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.
जयपुर और जोधपुर में बनेंगे ग्रामीण जिलेः मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जिलों को लेकर जो विवाद था उसको लगभग सुलझा लिया गया है. जयपुर के दो टुकड़े नहीं होंगे. जयपुर सिटी जिला रहेगा, जिसमें ग्रेटर और हेरिटेज दोनों निगम के सभी वार्ड शामिल होंगे. जयपुर ग्रामीण अलग से जिला होगा जिसमें फुलेरा, सांभर, फागी, रेनवाल जहां से भी नाराजगी थी कि वह दूदू जिले में शामिल नहीं होंगे. उन्हें जयपुर ग्रामीण में शामिल किया जाएगा. इसी तरह से जोधपुर में भी जोधपुर ग्रामीण के नाम से अलग जिला बनेगा.
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नवीन जिलों के गठन पर चर्चा पूरीः कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बताया कि मंत्रिमण्डल की बैठक में नवीन जिलों के गठन के लिए बनाई गई राम लुभाया कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा पूरी हो गई. इन नवीन जिलों से राज्य के विकास को एक नई गति मिलेगी और आमजन की सुगमता बढ़ेगी. साथ ही विकास संबंधी योजनाओं का क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग अधिक प्रभावी ढंग से होगी, जिससे आमजन को सरकारी योजनाओं, सुविधाओं और सेवाओं का लाभ शीघ्र मिल सकेगा.
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खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश के पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों तक जिला प्रशासन एवं उसके माध्यम से सरकार की पहुंच और अधिक सुगम होगी, जिससे इन क्षेत्रों के लोगो की समस्याओं का शीघ्र निराकरण होगा . साथ ही जमीन संबंधी और दीवानी मामलों के न्यायालय नजदीक होने से आमजन के समय और धन की बचत होगी. इन मामलों का त्वरित निस्तारण हो सकेगा. खाचरियावास ने कहा कि आमजन से सीधे जुड़े विभिन्न विभागों के नवीन कार्यालय खुलने से सेवा प्रदान और समस्या निवारण जल्दी हो सकेगा.
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खाचरियावास ने कहा कि जिलों का आकार संतुलित होने से कानून व्यवस्था पर अधिक प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा, जिससे अपराधों पर अंकुश लगेगा . इससे आमजन एवं जिला प्रशासन में सवांद बढ़ेगा तथा जन अभाव अभियोगों का शीघ्र एवं प्रभावी निस्तारण संभव होगा. प्रताप सिंह ने कहा कि नए जिला मुख्यालयों के कारण जिला मुख्यालय एवं आसपास के क्षेत्र में शहरीकरण तथा औद्योगीकरण में बढ़ोतरी से निवेश ओर रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे.
स्कूलों में होगा संविधान की उद्देशिका एवं मौलिक कर्तव्यों का पाठनः खाचरियावास ने कहा कि मंत्रिमण्डल की बैठक में प्रत्येक विद्यालय में संविधान की उद्देशिका एवं मौलिक कर्तव्यों का पाठन आरंभ करने का निर्णय लिया गया है. इससे प्रदेश की युवा पीढ़ी का देश के महान संविधान, लोकतंत्र एवं राष्ट्रीयता पर विश्वास तथा गर्व और अधिक सुदृढ़ हो सकेगा. यह पाठन विद्यालयों में प्रति शनिवार (नो बैग डे) पर किया जाएगा. नई प्रकाशित होने वाली पाठ्य पुस्तकों में भी संविधान की उद्देशिका एवं मौलिक कर्तव्यों को प्रकाशित किया जाएगा.
अब ‘दी विश्वकर्मा स्किल्स यूनिवर्सिटी’: कैबिनेट मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘दी राजस्थान आईएलडी स्किल्स यूनिवर्सिटी, जयपुर (चेन्ज ऑफ नेम एण्ड अमेन्डमेन्ट) बिल 2023’ के प्रारूप को मंजूरी दी गई है. इसके तहत राजस्थान आईएलडी स्किल्स यूनिवर्सिटी का नाम ‘दी विश्वकर्मा स्किल्स यूनिवर्सिटी’ करने का निर्णय लिया है. इससे कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया, बोर्ड ऑफ मैनेजमेन्ट के गठन और नए प्रावधानों के लिए ऑर्डिनेन्स लाने आदि की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी. इस निर्णय से विश्वविद्यालय का कार्य सुगमता और त्वरित गति से हो सकेगा. मंत्रिमण्डल की इस स्वीकृति से यह विधेयक विधानसभा में प्रस्तुत किया जा सकेगा.
अब वेतन वृद्धि की होगी दो तिथियांः ममता भूपेश ने कहा कि मंत्रिमण्डल ने राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इससे कार्मिक की पदोन्नति या एसीपी लगने पर पदोन्नति पद के पे-लेवल में समान सेल होने पर आगामी सेल में वेतन नियत हो सकेगा. इससे कार्मिक के वेतन में वृद्धि होगी. साथ ही, वर्तमान में एक ही वेतन वृद्धि की तिथि के स्थान पर अब दो वेतन वृद्धि की तिथियां (1 जनवरी और 1 जुलाई) निर्धारित की गई हैं. इससे कार्मिकों को प्रथम वेतन वृद्धि 6 माह में ही मिल जाएगी. इन संशोधनों से विभिन्न सेवाओं के पदनाम भी सेवा नियमों के अनुरूप हो जाएंगे.
राज्य के अभ्यर्थियों को मिल सकेंगे अधिक अवसरः मंत्रिमण्डल ने राजकीय सेवाओं में प्रदेश के अभ्यर्थियों को अधिक से अधिक नियोजित करने और शीघ्रलिपि में दक्ष अभ्यर्थी उपलब्ध कराने के उद्देश्य संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इसके तहत राजस्थान अधीनस्थ कार्यालय लिपिकवर्गीय सेवा नियम 1999, राजस्थान सचिवालय लिपिकवर्गीय सेवा नियम 1970 तथा राजस्थान लोकसेवा आयोग (लिपिकवर्गीय एवं अधीनस्थ सेवा) नियम और विनियम 1999 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है. इसके अंतर्गत शासन सचिवालय, अधीनस्थ कार्यालयों एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग से संबंधित मंत्रालयिक सेवा नियमों में शीघ्रलिपिक व निजी सहायक ग्रेड-।। के पाठ्यक्रम में राजस्थान के सामान्य ज्ञान को वेटेज देने का प्रावधान किया गया है. साथ ही फेज-।। के लिए विज्ञापित पदों में 15 गुणा विद्यार्थियों को सम्मिलित करने तथा शीघ्रलिपि को वेटेज देने संबंधी प्रावधान भी किए गए हैं.
महिला कार्मिकों को राहतः मंत्रिमण्डल ने महिला राजकीय कार्मिकों को गर्भावस्था के दौरान स्थानांतरण पर होने वाली परेशानियों से राहत देने के लिए राजस्थान सिविल सर्विसेज (अलॉटमेंट ऑफ रेजिडेंशियल एकोमोडेशन) रूल्स 1958 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है. इस संशोधन से महिला राजकीय कर्मचारी, जिसको राजकीय आवास आवंटित किया जा चुका है, वह उस आवास को मातृत्व अवकाश की समाप्ति तक सामान्य किराए पर रख सकेंगी.
संस्कृत विद्यालयों में होगी कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्थाः अब प्रदेश के विभिन्न संस्कृत विद्यालयों में विद्यार्थियों को कंप्यूटर की शिक्षा मिल सकेगी. मंत्रिमंडल ने संस्कृत शिक्षा विभाग में राजस्थान संस्कृत शिक्षा राज्य एवं अधीनस्थ सेवा (विद्यालय शाखा) नियम, 2015 में वरिष्ठ कंप्यूटर अनुदेशक एवं बेसिक कंप्यूटर अनुदेशक के पदों को सम्मिलित करने के प्रारूप का अनुमोदन किया है. साथ ही नई अनुसूची जोड़कर इन पदों पर भर्ती के संबंध में स्कीम एवं सिलेबस को शामिल करने के प्रारूप का अनुमोदन किया है. इस स्वीकृति से संस्कृत विद्यालयों में कंप्यूटर अनुदेशकों का पदस्थापन हो सकेगा और विद्यार्थियों को कंप्यूटर की शिक्षा मिल सकेगी.
उद्योग विभाग का नाम होगा उद्योग एवं वाणिज्य विभागः मंत्रिमण्डल ने राजस्थान उद्योग सेवा नियम 1960, राजस्थान उद्योग अधीनस्थ सेवा नियम 1966 एवं राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) नियम-1999 में परिशिष्ट ‘च’ में संशोधन किया है. इनमें उद्योग विभाग का नाम उद्योग एवं वाणिज्य विभाग करने का निर्णय लिया है. नाम परिवर्तन होने से विभाग के अधिकारियों का पदनाम भी संशोधित हो जाएगा.