चाकसू (जयपुर). चाकसू पुलिस ने बीते 7 अप्रैल को लसाड़िया गांव के पास जानलेवा हमले के बाद अधमरी हालत में मिले एक मूकबधिर व्यक्ति के मामले में बड़ा खुलासा किया है. चाकसू थानाधिकारी बलवीर सिंह कस्वां ने बताया, आरोपी के सगे छोटे भाई शंकर मीणा निवासी नालावास लालसोट ने अपने ही मूकबधिर बड़े भाई सुरज्ञान को जयपुर घुमाने का झांसा देकर चाकसू के पास एक सुनसान जगह ले जाकर पत्थरों और चाकू से सिर पर वार कर जान से मार देने का प्रयास किया था. उस दौरान वहां एक चरवाहे को आते देखकर आरोपी फरार हो था. चाकसू पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर धारा- 365, 323 और 341 में मामला दर्ज किया है.
बता दें, घटना के बाद पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए भी घायल व्यक्ति की तस्वीर जारी कर शिनाख्ती के प्रयास किए थे. पीड़ित व्यक्ति को घटना के दो-तीन दिन बाद होश आ जाने पर भी उसके मूकबधिर होने के कारण वह अपने साथ घटित वारदात की जानकारी नहीं दे पाया. फिलहाल, बाद में कई अन्य माध्यमों से मुकबधिर भाई की पहचान सुरज्ञान मीणा पुत्र मूलचन्द मीणा निवासी नालावास थाना लालसोट जिला दौसा के रूप में हुई. उसकी पत्नी ने अज्ञात व्यक्तियों द्वारा अपने पति का अपहरण कर उस पर जानलेवा हमला कर उसे घायल कर लसाड़िया के जंगल में पटक देने की रिपोर्ट पेश की थी. इस पर चाकसू पुलिस ने धारा- 365, 323 और 341 में मामला दर्जकर अनुसंधान शुरू किया था.
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फरार अभियुक्त को पकड़ने के लिए एडिशनल पुलिस उच्चाधिकारियों के निर्देशन में एडिशनल एसपी अवनीश शर्मा, एसीपी चाकसू अर्जुनराम चौधरी के सुपरविजन में थानाधिकारी बलवीर सिहं कस्वां ने विशेष टीम गठित कर आरोपी की तलाश शुरू की. इस दौरान तलाश संदिग्ध व्यक्तियों के बारे में तकनीकी आधार पर जानकारी की गई. मामले में पीड़ित मूकबधिर सुरज्ञान मीणा के पारिवारिक सदस्यों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी गई, जिसमें उसके सबसे छोटे भाई शंकर मीणा की गतिविधियां संदिग्ध पाए जाने पर उस पर कड़ी नजर रखी गई. वह न तो अपने घायल भाई सुरज्ञान मीणा के हालचाल जानने अस्पताल आया और न ही अपने ही सगे मूकबधिर भाई के साथ घटित जघन्य वारदात के खुलासे के प्रयास किए. बल्कि वह घटना के तीसरे दिन स्वयं ही अपने घर से गायब हो गया, शक के दायरे में पुलिस आधार मानकर आरोपी शंकर मीणा के गांव नालावास पहुंचकर उसे पकड़कर मनोवैज्ञानिक तरीके से गहनता पूर्वक पूछताछ की, तो उसने सारी सच्चाई उगल दी.
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तफ्तीश से सामने आया, मुलजिम शंकर मीणा अभी कुंवारा है, जिसकी अपने बड़े भाई पीड़ित सुरज्ञान मीणा की पत्नी पर बुरी नजर थी. अपने भाई सुरज्ञान मीणा को मारकर उसकी पत्नी से विवाह करना चाहता था. मूक बधिर सुरज्ञान को भी उसके चाल-चलन पर संदेह था. इसलिये वह उसे घूरता रहता था. आरोपी शंकर अपने भाई की हत्या कर उसके हिस्से की प्रॉपर्टी भी प्राप्त करना चाहता था. वह यह भी सोचता था, भाई की हत्या के बाद सामाजिक तौर पर ही उसकी भाभी के साथ उसकी शादी कर दी जाएगी. अपने इसी योजना को मूर्तरूप देने के लिए शंकर मीणा अपने मूकबधिर भाई की हत्या की साजिश रची.