जयपुर. चुनावी साल में एक तरफ अलग-अलग समाजों के लोग अपनी ताकत दिखा रहे हैं. इस बीच अब राजपूत और ब्राह्मण समाज का एक धड़ा एकजुट होकर सामने आया है. इनकी मांग है कि अगले 30 साल तक ब्राह्मण या राजपूत समाज से ही मुख्यमंत्री बनाया जाए. इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में राजपूत समाज को 71 और ब्राह्मण समाज को 70 टिकट देने और आरक्षित 59 सीटों पर चुनाव लड़ने का अधिकार बहाल करने की भी मांग रखी है. दोनों समाज से जुड़े लोगों ने गुरुवार को प्रेस वार्ता कर अपनी मांगें रखी.
'मिशन हम भारत के ब्राह्मण' के संयोजक योगेश्वर नारायण शर्मा ने प्रेस वार्ता में कहा कि ब्राह्मण और राजपूत समाज को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया है. अब हमने सबसे बड़ी मांग की है कि हमें मुख्यमंत्री का पद चाहिए. सीएम ब्राह्मण या राजपूत समाज से होना चाहिए और एक कार्यकाल नहीं बल्कि 30 साल के लिए होना चाहिए. इसके लिए हमने 71 सीट राजपूत समाज को और 70 सीट ब्राह्मण समाज के लिए मांगी है.
आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने का अधिकार भी हो बहाल : योगेश्वर नारायण शर्मा ने कहा कि दोनों पार्टियों से हमारी मांग है कि वे क्या करती हैं और कैसे करती हैं, ये वो जानें. हमारी तीन पीढ़ियों ने बहुत कुछ भुगता है और बेशक हमें उसकी कीमत चाहिए. उन्होंने कहा कि जो 59 सीटें आरक्षित हैं, उसपर चुनाव लड़ने का हमारा अधिकार वर्ष 1961 तक था. उसे बहाल किया जाए. इसके लिए हमारी मीटिंग चल रही है. पूरे प्रदेश के हर जिले, हर तहसील और गांव-गांव में मीटिंग चल रही है.
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घोषणा पत्र में हो जिक्र, नहीं तो नोटा का करेंगे प्रयोग : शर्मा ने कहा कि हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि आरक्षित 59 सीटों के मामले को दोनों पार्टियां अपने चुनावी घोषणा पत्र में डालेंगी. हमें पता है उसके लिए संविधान संशोधन होगा. यदि चुनाव से पहले दोनों पार्टियां इसे घोषणा पत्र में नहीं डालती है, तो हम एक कठोर निर्णय लेंगे. ऐसे में यह भी संभव है कि पूरे राजस्थान में राजपूत और ब्राह्मण समाज एकजुट होकर 'नोटा' का प्रयोग कर सकता है, आवश्यकता होने पर हम यह अपील कर सकते हैं. अभी हम प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारी पीड़ा को समझा जाए. उन्होंने कहा कि हमारी नीति है क्रोध नहीं, विरोध नहीं. हम विरोध भी करेंगे तो सात्विक विरोध करेंगे. 'नोटा' हमारा संविधानिक अधिकार है, उसका प्रयोग करना सात्विक विरोध है. दोनों समाजों की खोई हुई प्रतिष्ठा अब दोनों पार्टियों को देनी है.
आबादी के अनुपात में मांग रहे हैं अपना हक : सामाजिक कार्यकर्ता दलपत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में मांगने का अधिकार है, देना या नहीं देना पार्टियों के हाथ में है. पूरे राजस्थान में एक भी ऐसा जिला या एक भी ऐसा गांव नहीं है, जहां ब्राह्मण और राजपूत नहीं रहते हों. वो कौमें जो सात-आठ जिलों में रहती हैं और बड़ी-बड़ी मांगें कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि हमें आबादी के अनुपात में हक दिया जाए. हम किसी को हराने के लिए या किसी को जिताने के लिए वोट नहीं करेंगे. हम बैठकर विचार करेंगे कि या तो 'नोटा' का उपयोग करें या फिर कोई तीसरे विकल्प का चुनाव करें.