जयपुर. राजनीति में हर बात के और हर कार्यक्रम के अपने सियासी मायने होते हैं. खासतौर से जब मौका चुनावी माहौल का हो तो निश्चित ही इसे सियासी हलचल से जोड़कर देखा जाता है. ठीक उसी तरह जैसे की राजनेता के जन्मदिन पर होने वाले कार्यक्रम को सियासत से जोड़कर देखा जाता है. दरअसल, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का 21 अप्रैल यानी आज को जन्मदिन है. इससे पहले प्रदेश में राठौड़ के जन्मदिन के मौके पर मानव सेवा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. सात दिन से चल रहे इस रक्तदान शिविर में 46 हजार से ज्यादा यूनिट ब्लड डोनेट करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन विधानसभा चुनाव ठीक पहले और नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद हो रहे इस बड़े आयोजन को सियासी गलियारों में शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है. चर्चा यह है कि राठौड़ ब्लड डोनेशन कैंप के जरिए अपनी फैन फॉलोइंग का आलाकमान को एहसास कराना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि उनके पास भी जनाधार कम नहीं हैं.
33 जिलों में हुआ ब्लड डोनेशन कैम्प : नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्व कल्याण और जनसेवा की भावना से प्रेरित होकर अपने जन्मदिन को मानव सेवा सप्ताह के रूप में मनाया. 15 अप्रैल से 21 अप्रैल तक चले इस मानव सेवा सप्ताह में प्रदेश के सभी 33 जिलों में 270 ब्लड डोनेशन कैम्प लगाए गए, इन कैम्पों में कुल 46,318 यूनिट रिकॉर्ड ब्लड एकत्रित किया गया और आज यानी 21 अप्रैल को भी प्रदेशभर में सैकड़ों रक्तदान शिविर आयोजित होंगे, जिसमें रक्तदान करने वाले रक्तवीर नया रिकॉर्ड कायम करने का दावा है.
शक्ति प्रदर्शन तो नहीं ! : राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी जननेता के जन्मदिन के मौके पर प्रदेश के दूर दराज इलाकों और बॉर्डर से सटे हुए गांवों में भी रक्तदान शिविरों में पहुंचकर आमजन रक्त कर रहे हैं. खास बात ये है कि कार्यकर्ताओं और समर्थकों की ओर से हो रहे इस रक्तदान शिविर में स्वयं नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और उनके बेटे पराक्रम राठौड़ पहुंचकर हौसला बढ़ा रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे इस कार्यक्रम को राठौड़ के सियासी शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है. राज्य के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि जब से आलाकमान राजेंद्र राठौड़ को उप नेता प्रतिपक्ष से नेता प्रतिपक्ष बनाया है, उसके बाद से प्रदेश भर में उनकी सक्रियता बढ़ गई है और जन्मदिन के बहाने राठौड़ अपना शक्ति प्रदर्शन भी कर रहे हैं. कांग्रेस भी इन दिनों यही कह रही है कि राठौड़ को जब से नेता प्रतिपक्ष बनाया है उसके बाद से वो अपने आप को मुख्यमंत्री का दावेदार मानने लगे हैं.
जन्मदिन कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं : प्रदेश भर में सप्ताह भर से चल रहे ब्लड डोनेशन कैंप को लेकर सियासी गलियारों में हो रही चर्चाओं पर राठौड़ ने अपना बयान जारी कर कहा कि जन्मदिन का मौका शक्ति प्रदर्शन करने का नहीं बल्कि निःस्वार्थ भाव से जनसेवा करने का होना चाहिए. रक्तदान शिविरों के माध्यम से ही राजस्थान में जो खून की कमी देखने को मिलती है वो पूरी तरह दूर हो जाए और किसी प्रकार की आपात स्थिति में जरूरतमंद के लिए रक्त का हर कतरा वरदान साबित हो.
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उन्होंने कहा कि ये कोई पहला मौका नहीं है. इससे पहले साल 1993 में जब चिकित्सा राज्य मंत्री बने थे तब उन्होंने खून की भारी कमी को देखते हुए इसकी महत्ती आवश्यकता को जाना और उनके आह्वान पर समर्थकों ने विशाल रक्तदान शिविर लगाकर उनके वजन के बराबर खून एकत्रित किया था. साल 2009 में उनके जन्मदिवस पर 25 हजार से ज्यादा यूनिट ब्लड संग्रहित हुआ था जो उस समय का रिकॉर्ड था. रक्तदान कर रिकॉर्ड बनाने का यह अनूठा सफर बीते साल 2022 में भी जारी रहा. जब 190 रक्तदान शिविर लगाये गए थे जिसमें करीब 45 हजार यूनिट ब्लड संग्रहित हुआ था.
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8 लाख ब्लड की आवश्यकता : प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में ब्लड की काफी कमी है. जिसकी चलते हर साल 12 हजार लोग मौत के शिकार हो जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में हर साल आठ लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. जबकि देश मे प्रति वर्ष करीब 15 मिलियन ब्लड यूनिट की आवश्यकता होती है, हर साल जबकि उपलब्धता सिर्फ 11 मिलियन यूनिट की ही हो पाती है. 4 मिलियन यूनिट ब्लड की कमी देश में हमेशा बनी रहती है.