जयपुर. भाजपा मुख्यालय में जब सौम्या गुजर के कामकाज का फीडबैक लिया जा रहा था तभी दूसरी ओर राज्य सरकार ने भाजपा पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाने का आदेश जारी कर दिया. भाजपा मुख्यालय में देर शाम मालवीय नगर और सांगानेर विधानसभा क्षेत्र सहित कुछ अन्य भाजपा पार्षदों को पार्टी मुख्यालय बुलाया गया.
यहां पांच-पांच पार्षदों को कमरे में बुलाकर जयपुर शहर अध्यक्ष राघव शर्मा, पूर्व पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, पूर्व महापौर और विधायक रहे मोहनलाल गुप्ता ने इनसे निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के कामकाज को लेकर सवाल पूछे. यह भी जाना कि क्या 7 माह के महापौर के कामकाज से वे संतुष्ट हैं. फीडबैक के दौरान अधिकतर पार्षदों ने अपनी असंतुष्टि जताई,
वहीं कुछ पार्षदों ने अपने वार्ड के कामकाज और घटनाक्रमों के उदाहरण देकर भी नाराजगी जताई. हालांकि कुछ एक पार्षद ने कामकाज को लेकर संतुष्टि की बात कही लेकिन यह संख्या बेहद कम थी.
फीडबैक लेने की जरूरत क्यों पड़ी ?
सौम्या गुर्जर को जब महापौर बनाए जाने का निर्णय हुआ था तभी भाजपा पार्षदों के बीच विवाद शुरू हो गया था. सौम्या गुर्जर करौली से थी लेकिन जयपुर मैं उन्हें पार्षद का टिकट देकर चुनाव लड़ाया गया और फिर महापौर भी बना दिया गया. उस दौरान तो संगठन के स्तर पर जिन पार्षदों या अन्य नेताओं ने विरोध किया उन्हें दबा दिया गया लेकिन अब राज्य सरकार द्वारा जब सौम्या गुर्जर को निलंबित कर दिया गया और भाजपा भी सरकार की इस कार्रवाई का एकजुट होकर विरोध कर रही है.
बकायदा धरने प्रदर्शन के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं लेकिन जिस निलंबित महापौर के पक्ष में तमाम धरने प्रदर्शन और विरोध के कार्यक्रम हो रहे हैं उसके ही कामकाज का फीडबैक लेने की आखिर आवश्यकता पार्टी को आखिर क्यों पड़ी यह भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय है.
शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाने पर यह बोले सतीश पूनिया
सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी रही कि अब जब भाजपा वरिष्ठ पार्षद व पूर्व महापौर शील धाभाई को जब कार्यवाहक महापौर बनाए जाने के आदेश सरकार ने दे दिए तो क्या भाजपा इस पर सहमत है. वहीं पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार राज्य सरकार ने यह निर्णय भी भाजपा के दबाव में ही लिया है. क्योंकि यदि बहुमत वाले भाजपा बोर्ड के पार्षद के अलावा किसी अन्य दल के पार्षद को कार्यवाहक महापौर बनाए जाने का आदेश निकालते तो नैतिक आधार पर राज्य सरकार को बुराई मिलती.
ऐसे में राज्य सरकार ने भाजपा के दबाव में ही भाजपा पार्षदों में से ही कार्यवाहक महापौर बनाया. हालांकि सतीश पूनिया कहते हैं कि सरकार ने निलंबन की जो कार्रवाई की है उसका पार्टी स्तर पर लगातार विरोध जारी रहेगा और कानूनी रूप से भी यह लड़ाई लड़ी जाएगी.