जयपुर. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल मनोनीत होने पर गुरुवार को विपक्ष की ओर से विधानसभा में चल रहे बजट सत्र में आमेर से विधायक और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सदन में बोलने की जिम्मेदारी निभाई. पूनिया ने अपने करीब 45 मिनट के जवाब में गहलोत सरकार के न केवल चार साल की खामियों को गिनाया बल्कि इस सरकार के आखिरी बजट को जनता को लगने वाली चपत करार दिया. उन्होंने कहा कि चुनाव आ रहे हैं, तो घोषणाओं का अंबार लगा दिया, जबकि यही घोषणा अगर 2018 में करते और 2019 में पूरा करते तो सरकार की नियत दिखाई देती. पूनिया ने किसान, बेरोजगार, महिला, कानून-व्यवस्था, स्वास्थ्य सहित तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरा.
बजट की टैग लाइन पर कसा तंज: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जगह बजट पर विपक्ष की तरफ से बोलते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि मैं उम्र और अनुभव में सबसे छोटा हूं. मेरी स्थिति परीक्षार्थी की तरह है. जब मैं एग्जाम दे रहा हूं और ऊपर मेरी कॉपी कोई जांच रहा है. पूनिया ने कहा बजट की टैग लाइन पर तंज कसा. उन्होंने बजट बहस के दौरान कहा कि यह बजट बचत, राहत और बढ़त का नहीं, बल्कि राजस्थान की जनता को चपत का है, यह डूबत है राजस्थान की. पूनिया ने कहा कि जो बजट में घोषणा हुई है, वह पूरी होने वाली नहीं है. अगर सरकार की नियत इतनी अच्छी होती, तो इन घोषणाओं को अपने पहले पेश हुए बजट में करते ताकि वह धरातल पर उतर सकती.
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कांग्रेस की सियासी गुटबाजी पर साधा निशाना: पूनिया ने इस दौरान कांग्रेस की 4 साल में आपसी गुटबाजी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार में जिस तरीके से आपसी खींचतान चली, उसका खामियाजा प्रदेश की आम आवाम को उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि आज राजस्थान में कोई बच्चा पैदा होगा, तो उस पर 90 हजार रुपए का कर्जा होगा. सरकार हैप्पीनेस इंडेक्स की बात कर रही थी. मगर इसकी सबसे ज्यादा जरूरत मेरे सामने वाला पक्ष को है. जिनकी सरकार 52 दिन तक बाड़े में बंद रही और राजभवन में शपथ ग्रहण के दौरान दूसरे मुख्यमंत्री के नारे लगे. प्रदेश में आज तक मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है.
जिस तरह पेपर लीक, वैसे ही बजट लीक: पूनिया ने पेपर लीक के साथ-साथ बजट लीक पर भी सरकार को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से 4 सालों में 16 से ज्यादा पेपर लीक हुए, उसी तरीके से उसका असर इस कदर पड़ा की सरकार का बजट पेश होने से पहले लीक हो गया. पूनिया ने बजट पेश करते वक्त पुराने बजट की कॉपी के पढ़ने के मामले पर भी कहा कि प्रदेश के मुखिया को इस बात का भी पता नहीं था कि वह पुराने बजट की कॉपी पढ़ रहे थे. पूनिया ने कहा कि पीआर एजेंसी के जरिए बजट को चमकाने की कोशिश की गई, लेकिन यह बजट चमका नहीं बल्कि आम जनता को चपत लगा गया.
किसान और अपराध पर निशाना: प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर पूनिया ने कहा कि राजस्थान में अपराध का ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा. एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत 9 लाख मुकदमे दर्ज हुए, जो अब तक का रिकॉर्ड है. इस सरकार में गैंगवार, बलात्कार की घटनाओं के साथ तुष्टिकरण के आरोप लगे. इस गैंगवार की दोषी सरकार है. किसानों की कर्जमाफी पर पूनिया ने राहुल गांधी को घेरा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने माधुरी दीक्षित की फिल्म तेजाब के गाने 'एक, दो, तीन...' की तर्ज पर राजस्थान में 10 दिन में कर्जामाफी की बात कही थी, लेकिन 1500 दिन गुजर जाने के बाद भी कर्ज माफ नहीं हो पाया है. 200 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की और इन किसानों की आत्महत्या की दोषी राजस्थान सरकार है.
हर 12 किमी पर ट्रैप: पूनिया ने भ्रष्टाचार पर भी सरकार को सदन में घेरा. उन्होंने कहा कि 600 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी हर साल ट्रैप हो रहे हैं. हर 12 किमी पर राजस्थान में भ्रष्टाचार हो रहा है. यही नहीं हद तो तब हो गई, जब सीएम की मौजूदगी में पूछा गया कि तबादलों के लिए पैसे लिए जाते हैं, तो लोग कहते हैं कि पैसे लिए जाते है. तबादला को सरकार ने एक उद्योग बना दिया, जो प्रदेश की राजनीति के लिए कलंक है.
70 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं: पूनिया ने स्कूलों की दुर्दशा का मुद्दा भी उठाया और कहा कि शिक्षा पर खर्च 6 प्रतिशत है. मगर 70 प्रतिशत प्राइमरी स्कूल्स में बिजली नहीं हैं. कई स्कूलों में शौचालय नहीं है. अंग्रेजी माध्यम स्कूल्स की दशा खराब है. ना फेकल्टी है और ना ही अन्य कोई सुविधाएं यहां मिल रही हैं. पूनिया ने बजट घोषणा की पूर्ति को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सरकार के 4 साल में जो बजट घोषणा की गई, उसमें 49 फीसदी भी पूरी नहीं हुई. अभी भी 51 फीसदी घोषणाएं अधूरी पड़ी हैं.