जयपुर. चुनावी साल में भाजपा हर स्तर पर सरकार को घेरने में जुटी हुई है. अब छबड़ा से भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने मिड डे मील योजना की 7500 करोड़ रुपए की टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसमें बड़े पैमाने पर धांधली और भ्रष्टाचार के आरोप लगाया है. साथ ही कॉनफैड और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच करने की मांग की है.
प्रताप सिंह सिंघवी ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि 15 मार्च 2022 को महिला बाल विकास विभाग और कॉनफैड ने एक साल के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का टेंडर किया, लेकिन वास्तविकता में यह टेंडर 7500 करोड़ रुपए का है. इसमें संबंधित फर्म को फायदा देने के लिए चालाकी बरती गई है. टेंडर के अनुबंध में यह शर्त डाली गई है कि यह टेंडर पांच साल के लिए किया गया है.
जनता को धोखे में रखा : साथ ही आरोप है कि अनुबंध में ढाई साल की एक ऐसी कंडीशन डाल दी कि 50 फीसदी वृद्धि आपसी सहमति से की जा सकती है. ऐसे में यह ठेका पंचा साल बाद ढाई साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है, इसलिए यह ठेका एक हजार करोड़ का नहीं होकर 7500 करोड़ का है. राजस्थान की जनता को धोखे में रखा गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बहुत बड़ा धोखा महिला बाल विकास विभाग और कॉनफैड के मार्फत किया गया है.
बिड सिक्योरिटी में भी घपले का आरोप : प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि जब कोई टेंडर लगाता है तो बिड सिक्योरिटी जमा होती है. यह कुल राशि की पांच फीसदी होती है. इस लिहाज से बिड सिक्योरिटी के तौर पर साढ़े सात साल के 375 करोड़ रुपए जमा होने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि महज पांच करोड़ रुपए ही बिड सिक्योरिटी जमा करवाई गई है. ऐसे में संवेदक को 370 करोड़ रुपए का संवेदक को सीधा-सीधा फायदा पहुंचाया गया है.
एक महीने की जगह दिया केवल 9 दिन का समय : प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि अमूमन किसी भी टेंडर में कम से कम एक महीने का समय दिया जाता है. यदि टेंडर की तिथि कम हो तो उस पर शॉर्ट नोटिस या अल्पकालीन निविदा लिखा जाता है. उन्होंने दावा किया कि महज 9 दिन में इस टेंडर को खोल दिया. यह भी शक पैदा करता है कि इसमें घपला हुआ है. यह टेंडर महिला बाल विकास विभाग ने कॉनफैड के माध्यम से करवाया, जबकि टेंडर खुद महिला बाल विकास विभाग भी करवा सकता था. उनका आरोप है कि इसमें घपला करने के लिए यह टेंडर कॉनफैड के माध्यम से करवाया गया. इससे विभाग को वित्तीय नुकसान भी हुआ है. प्रताप सिंह सिंघवी का आरोप है कि टेंडर की शर्तों में अनुभव और टर्न ओवर की शर्तों को लेकर भी संदेह पैदा होता है.