जयपुर. विधानसभा में 2 दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को सदन की कार्यवाही एक बार फिर से शुरू हुई, लेकिन प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया. प्रश्नकाल में सोमवार को 25 सवाल लिस्टेड थे, लेकिन दूसरे ही सवाल के जवाब के दौरान मंत्री विश्वेंद्र सिंह के रवैया पर विपक्ष उखड़ गया और सदन में महज 8 सवालों के जवाब आ पाए.
दरअसल मंत्री ने सवाल का जवाब तो दिया लेकिन साथ ही सवाल पूछने वाले बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ से यह भी पूछ लिया कि आखिर यह सवाल पूछने के पीछे उनकी मंशा क्या है.
सराफ ने पर्यटन विभाग की होटल्स को रखरखाव के लिए निजी हाथों में देने के साथ ही गढ़ और किलो को पीपीपी मोड पर संचालित करने को लेकर सवाल पूछा था. विश्वेंद्र सिंह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि अभी सरकार निजी हाथों में देने या पीपीपी मोड पर चलाने की कोई मंशा नहीं रखती है, लेकिन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने यह साफ किया.
अगर पर्यटन विभाग की अलग-अलग इकाइयों को निजी हाथों में या पीपीपी मोड पर संचालित करने की योजना पूर्वर्ती बीजेपी सरकार की थी और जून 2015 में बीजेपी सरकार ने इस पर काम शुरू किया था.
इसके साथ ही विश्वेंद्र सिंह ने कालीचरण सराफ पर चुटकी लेते हुए कहा कि आखिर सवाल पूछने के पीछे आपकी मंशा क्या है.दरअसल मंशा की बात विश्वेंद्र सिंह ने चुटकी भरे अंदाज में कहीं और इसको लेकर सदन में कालीचरण सराफ के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने नाराजगी जताई.
स्पीकर ने प्रश्न का जवाब पूरा आया हुआ मानकर अगले सवाल के लिए विधायक छगन सिंह का नाम पुकार लिया. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने पूरे मामले में दखल देना चाहा लेकिन स्पीकर ने अगले सवाल का हवाला देते हुए नेता प्रतिपक्ष को इजाजत नहीं दी.
स्पीकर के रवैए को लेकर विपक्ष उखड़ गया और सदन के वेल में आकर नारेबाजी करने लगा हंगामे और नारेबाजी के बीच ही मंत्री अगले सवालों के जवाब देते रहे. इस दौरान उत्तर पूरा होने पर स्पीकर ने अगले प्रश्न कर्ता का नाम पुकारा इस बीच बीजेपी के कुछ विधायकों ने वेल में नारेबाजी के दौरान ही अपना प्रश्न बोला लेकिन स्पीकर ने वेल से सवाल पूछने की इजाजत नहीं दी.
उन्होंने कहा कि अगर किसी विधायक को सवाल पूछना है तो वह अपनी सीट पर जाकर ही सवाल पूछ सकता है. इस दौरान पूरे प्रश्नकाल में बीजेपी के विधायकों ने हंगामे के बाद एक भी सवाल नहीं पूछा प्रश्नकाल में 25 सवाल लिस्टेड होने के बावजूद केवल 8 सवालों के जवाब आए.
प्रश्नकाल की कार्यवाही महज 34 मिनट ही चल पाई. उसके बाद स्थगित कर दी गई ,लेकिन भाजपा विधायक वेल में ही धरने पर बैठे रहे हैं. दोपहर 12 बजे जब से शुरू हुआ तब एक बार फिर हंगामे की स्थिति बनी लेकिन सदन में मौजूद पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने इस बार मोर्चा संभाल लिया.
विश्वेंद्र सिंह के सदन में जवाब आने के बाद या गतिरोध टूटा और शून्यकाल की कार्यवाही चल पाई.शून्यकाल में करीब 17 विधायकों के सवालों के जवाब हंगामे के चलते नहीं आ पाया इनमें 16 विधायक तो भाजपा के ही थे.