जयपुर. प्रदेश में तकरीबन 11 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. विभिन्न दलों ने इसकी तैयारी भी जोरो शोरों से शुरू कर दी है. सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां समीकरण तलाशने और साधने की जुगत करती दिख रही हैं. इस काउ बेल्ट में जातिगत समीकरण प्रभावी रहता है यही वजह है कि विभिन्न पार्टियां अपने हिसाब से वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है. आदिवासियों और गुर्जर समाज के बाद अब बीजेपी की नजर मीणाओं पर है. यही वजह है कि अगले महीने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह मीणा बेल्ट में हुंकार भरने की तैयारी कर रहे हैं. दौसा और भरतपुर का गणित समझ कर धमक के साथ उतरने को तैयार बैठे हैं.
पंच अथाई से मोदी भरेंगे हुंकार- पीएम मोदी 4 फरवरी को दौसा पहुंच सकते हैं. यहां वो दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे का लोकार्पण करेंगे. यहां तक तो विकास का एजेंडा फिट बैठता है लेकिन इसके बाद प्रधानमंत्री का एक जनसभा को संबोधित करने का भी प्लान है. नजर पूर्वी राजस्थान के मीणा मतदाताओं पर है. इसके लिए देखभाल कर पंच अथाई का चुनाव किया गया है. मीणा हाईकोर्ट परिसर को चिन्हित किया गया है जिसे मीणा समाज की पंच अथाई भी बोलते हैं. मीणाओं की आस्था जुड़ी है इस परिसर से. सोच स्पष्ट है कि केन्द्र की योजनाओं को अपने एजेंडे के साथ ब्लेंड कर पार्टी वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित कर सके. दिलचस्प बात तो ये है कि 1 सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये दूसरा राजस्थान दौरा होगा जबकि पांच महीने में चौथा.
आदिवासियों और गुर्जरों वोट बैंक को था लुभाया- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी को भीलवाड़ा के मालासेरी में गुर्जर समाज के आराध्य भगवान देवनारायण जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए. यहां भी संदेश और संकेत स्पष्ट थे. मानगढ़ में आदिवासी फिर गुर्जरों को साध पीएम कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहते हैं. कुल मिलाकर मीणा-गुर्जरों को साध भाजपा 7 जिलों के 39 सीटों को को कब्जाना चाहती है जहां कांग्रेस का अच्छा खासा दखल है.
पूर्वी राजस्थान पर तो नजर लेकिन ERCP का क्या!- ईस्टर्न कैनाल परियोजना पूर्वी राजस्थान का बड़ा मुद्दा है. परियोजना के तहत 13 जिले आते हैं, इन जिलों में पीने और सिंचाई के पानी के लिए ERCP की मांग लंबे समय से चली आ रही है. कांग्रेस इस पर ही केन्द्र को घेरती रही है. बार बार इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग रख रही है. कई प्रदर्शन भी हो चुके हैं. खुले मंच से भाजपा को चैलेंज भी किया जाता रहा है. कई मौकों पर प्रधानमंत्री को उनके वायदे भी याद दिलाए गए हैं. इस बेल्ट में आकर क्या पीएम इससे जुड़े सवालों से बच पाएंगे! ये बड़ा सवाल है. कहा ये भी जा रहा है कि हो सकता है पीएम ERCP को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर दें. हालांकि ऐसा मानगढ़ धाम और देवनारायण कॉरिडोर को लेकर भी अफवाह थी लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं.
एक्सप्रेसवे होगा खास- एक्सप्रेसवे का शिलान्यास होने के बाद जयपुर से दिल्ली का सफर मात्र 2 घंटे में पूरा किया जा सकेगा. दिल्ली और जयपुर के बीच की दूरी लगभग 270 किलोमीटर है. वहीं दिल्ली से मुंबई तक की दूरी 12 घंटे में तय की जा सकेगी, इसमें फिलहाल 24 घंटे का वक्त लगता है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा, जिसकी कुल लंबाई 1350 किलोमीटर है. इस पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ सकेंगे. दिल्ली - मुंबई एक्सप्रेसवे ज्यादा स्पीड वाले वाहनों के लिए बनाया जा रहा है.
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भरतपुर में अमित शाह के होने का मतलब- 2018 में भरतपुर, बीजेपी के हाथ से पूरी तरह निकल गया था. 19 विधानसभा सीटों में से इस बार बीजेपी के पास सिर्फ और सिर्फ एक धौलपुर सीट बची, वो भी विधायक शोभारानी कुशवाह के राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोट करने से खिसकी हुई ही मानी जा रही है. एक तरह से ये कांग्रेस के ही पाले में है. अब भाजपा जो खो चुकी है उसे पाने की जुगत में भिड़ गई है. भरतपुर संभाग में खोए जनाधार को पाने के लिए ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 6 या 7 फरवरी को बड़ी राजनीतिक सभा करने जा रहे हैं. जिसके लिए भरतपुर स्टेडियम को चिन्हित किया गया है.
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राजस्थान का जातीय समीकरण - राजस्थान में करीब साढ़े सात करोड़ की आबादी है. जिसमें से करीब सवा पांच करोड़ वोटर्स हैं. राजनीतिक लिहाज से देखें तो किसी भी जाति का 10 फीसदी वोट बैंक उसकी सत्ता में भागेदारी को मजबूत करता है. प्रदेश में जातिगत समीकरण देखें तो जाट 12 -13 फीसदी , मुस्लिम 6 - 7 फीसदी , ब्राह्मण 6 - 7 फीसदी , राजपूत 8 - 9 फीसदी, मूल ओबीसी 15-16 फीसदी, एससी 20 - 22 फीसदी , एसटी –15-16 फीसदी जिसमें मीणा 7 फीसदी के करीब माने जाते हैं. पूर्वी राजस्थान की बात करें तो दौसा, अलवर, करौली , भरतपुर , सवाई माधोपुर और जयपुर , कोटा बूंदी के कुछ हिस्सों में मीणा समाज की तादाद अच्छी खासी है. मीणा कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स माने जाते हैं.