जयपुर. राजधानी जयपुर में बिना किसी नीति के चल रहे ई-रिक्शा को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बना दिया है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने बयान जारी कर शहर में बिना रजिस्ट्रेशन और नीति के बड़ी संख्या में चल रहे ई-रिक्शा पर सवाल उठाए. चतुर्वेदी ने ई-रिक्शा चालकों की पहचान को भी मुद्दा बनाते हुए कहा कि जयपुर में बम कांड जैसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो. इसलिए गहलोत सरकार ई-रिक्शा के लिए नीति बनाए और इन सभी ई-रिक्शा चालकों की पहचान को चिन्हित करें
सरकार को लगा रहे चूना: अरुण चतुर्वेदी ने जयपुर में पर्यावरण की रक्षा के लिए ई-रिक्शा की जरूरत बताते हुए उन्हें परिवहन विभाग के नियमों के तहत लाकर जयपुर शहर की बेतरतीब यातायात व्यवस्था को सुधारने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कुछ रसूखदारों ने ई-रिक्शा नीति नहीं होने के कारण गरीब की रोटी छीनने का का काम किया है. जयपुर में चल रहे हजारों की संख्या में ई-रिक्शा के लिए कोई नियम और प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़क हादसे बढ़ रहे हैं. साथ ही ई-चार्जिंग स्टेशन नहीं होने के कारण कुछ रसूखदार लोग जिन्होंने बड़ी संख्या में ई रिक्शे खरीद रखे हैं. सरकारी बिजली के खंभे से अवैध रूप से बिजली लेकर ई-रिक्शा को चार्ज कर सरकारी कोष को चूना लगा रहे हैं.
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चतुर्वेदी ने कहा कि जयपुर में पहले बड़ी संख्या में मानव चालित रिक्शे चलते थे. इन रिक्शा के लिए नगर निगम से नीति बनी हुई थी, जिससे गरीब आदमी को रोजगार मिल रहा था. लेकिन ई-रिक्शा नीति और नियम नहीं होने से वास्तविकता में जिस गरीब को रोजगार मिलना चाहिए. उसकी रोजी-रोटी पर रसूखदार का कब्जा हो गया. नियम के अभाव में शहर प्रशासन गलत और बेतरतीब ई-रिक्शा चालकों पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर पा रहा है.
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पहचान चिन्हित हो: डॉ चतुर्वेदी ने भारी संख्या में चल रहे ई-रिक्शा चालकों की नागरिकता को लेकर भी संदेह प्रकट किया है. साथ ही शहर प्रशासन को ई-रिक्शा नीति बनाने के साथ ही उनके सत्यापन कराने की भी मांग करते हुए कहा कि जयपुर वासियों की सुरक्षा को देखते हुए ई-रिक्शा चालकों और मालिक का सर्वे कराया जाए. उन्होंने कहा कि अकेले जयपुर में इस समय दस हजार से ज्यादा ई-रिक्शा चल रहे हैं जो रामगंज बाजार, ईदगाह, बड़ी चौपड़, सुभाष चौक, रेलवे स्टेशन की यातायात व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं.
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चतुर्वेदी ने कहा कि हम इस बात से सहमत हैं कि रोजगार के अवसर मिलना चाहिए, लेकिन इसकी आड़ में कई बार कुछ विषय रहते हैं जो जागरूकता से जुड़े भी हैं. विशेष रूप से जो व्यक्ति ई-रिक्शा चला रहा है उसकी पहचान होना जरूरी है. क्योंकि ऐसा नहीं होने की लापरवाही से सामाजिक दृष्टि से बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. इसलिए मेरी सरकार से मांग है कि इस पर नीति बनाकर ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन चेक करवाया जाए. इसके साथ ही जयपुर पुलिस कमिश्नर से भी मांग रहेगी कि एक अभियान के जरिये इन सभी ई-रिक्शा चालकों की नागरिकता की भी जांच की जाए.