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Sardarshahar By Election: कांग्रेस के गढ़ में सेंध मारने के लिए बीजेपी जाट उम्मीदवार पर खेल सकती है दांव

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Published : Nov 14, 2022, 8:02 PM IST

झुंझुनू में दो दिन चली कार्यसमिति की बैठक में 5 दिसंबर को सरदारशहर सीट के लिए होने वाले उप चुनाव रणनीति पर भी चर्चा हुई. पूर्व के प्रत्याशी के चुना नहीं लड़ने की इच्छा के बाद अब बीजेपी नए उम्मीदवार के चुनाव को अंतिम रूप देने में लगी (BJP candidate for Sardarshahar by election) है. सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार जाट बाहुल्य सीट पर जाट को ही चुनावी मैदान में उम्मीदवार बना सकती है.

BJP candidate for Sardarshahar by election could be a Jat
कांग्रेस के गढ़ में सेंध मारने के लिए बीजेपी जाट उम्मीदवार पर खेल सकती है दांव

जयपुर. चूरू के सरदारशहर विधानसभा सीट पर 5 दिसम्बर को उपचुनाव होना है. नामांकन दाखिल करने की तारीख भी नजदीक आ रही है. दोनों ही दलों ने अभी उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं अभी तक किया है. सम्भावना जताई जा रही है कांग्रेस स्वर्गीय भंवर लाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही (Congress candidate for Sardarshahar by election) है. जबकि बीजेपी पिछली बार के प्रत्याशी अशोक पींचा के चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा के बाद अब जाट बाहुल्य सीट पट किसी जाट उम्मीदवार को मैदान में उतरने की तैयारी में है. सूत्रों की माने तो में बीजेपी कांग्रेस के इस गढ़ में सेंधमारी करने के लिए जाट उम्मीदावर के नाम पर मन बना रही है. बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में भी इसी बात को लेकर ज्यादा समर्थन रहा कि इस बार किसी जाट को चुनावी उम्मीदवार बनाया जाए.

ये है दावेदार: सरदारशहर उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए 17 नवंबर की तारीख नजदीक आती जा रही है. बीजेपी ने अपने उम्मीदवार का नाम अभी तक फाइनल नहीं कर पाई है. चुनाव मैदान में बीजेपी के उम्मीदवार के नाम को लेकर झुंझुनूं में हुई कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी के नेताओं के बीच चर्चा हुई. बीजेपी अब जल्द अपना कैंडिडेट फाइनल करने जा रही है. बताया जा रहा है कि भाजपा में पूर्व विधायक अशोक पिंचा ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है. जबकि विधि प्रकोष्ठ के पूर्व सह-संयोजक शिवचंद साहू, पूर्व प्रधान सत्यनारायण सारण, पूर्व केंद्रीय मंत्री दौलतराम सारण की पुत्रवधु सुशीला सारण, सत्यनारायण झांझड़िया, गिरधारीलाल पारीक, प्रधान प्रतिनिधि मधुसूदन राजपुरोहित ने अपनी अपनी दावेदारी रखी है. सूत्रों की माने तो बीजेपी इनमें से किसी जाट नेता को उम्मीदवार बना सकती है.

पढ़ें: सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव में राजस्थान बसपा नहीं उतारेगी प्रत्याशी

यह है वोटों का गणित: सरदारशहर के मतदाता की बात करें तो यहां पर अब तक जातिगत प्रभाव न रहकर व्यक्ति प्रभाव ज्यादा रहता है. ब्राह्मण वोटर संख्या बल के लिहाज से तीसरे नंबर पर हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चुनाव ब्राह्मण समाज से आने वाले दिवंगत भंवर लाल शर्मा ने जीते. सरदारशहर विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या करीब 2 लाख 80 हजार के करीब है. संख्या बल के लिहाज से करीब 70 हजार जाट पहले नंबर पर हैं, दूसरे स्थान पर SC मतदाता आते हैं जिनके वोटों की संख्या करीब 55,000 है. तीसरे नंबर ब्राह्मण आते हैं जिनकी संख्या 40 हजार के करीब है.

पढ़ें: सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव में दांव पर BJP के दो नेताओं की प्रतिष्ठा, एक की जन्मभूमि तो दूसरे की है कर्मभूमि

चौथे नंबर पर मुस्लिम वोटर जिनकी संख्या 25,000 के करीब है. पांचवें नंबर पर राजपूत समाज है जिनकी वोटर संख्या 20000 के करीब है. उसके बाद माली-11000, कुम्हार-10000, स्वामी-9000, सोनी-8000, सुथार-7000, जैन-5000 और अग्रवाल समाज के करीब 4500 मतदाता हैं. अन्य जातियों के करीब 30 हजार वोटर हैं. सरदारशहर में सर्वाधिक जाट मतदाता हैं. इसलिए जाटों के वोट बहुत ज्यादा महत्व रखेंगे. जाट नेताओं ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों से दावेदारी जताई है. हालांकि, अभी किसी भी पार्टी ने टिकट को लेकर फैसला नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस सहानुभूति का कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे को ही टिकट दे सकती है. जबकि बीजेपी से भंवरलाल शर्मा के भाई श्याम लाल शर्मा ने बीजेपी से टिकट मांगा है. लेकिन बीजेपी जाट बाहुल्य सीट पर जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारने का मन बना रही है.

आरएलपी खेल सकती है दांव: जाट बाहुल्य सीट के लिहाज से हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पार्टी भी अपना दांव खेल सकती है. हनुमान बेनीवाल जाट वोटर पर अपना प्रभाव रखते हैं. बेनीवाल की नजर हमेशा बीजेपी और कांग्रेस के उन नाराज नेताओं पर रहती है जिन्हें कांग्रेस और बीजेपी की ओर से टिकट नहीं मिलता. पिछले दिनों वल्लभनगर में हुए उपचुनाव में बीजेपी के बागी उदयलाल डांगी को हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा था, जो दूसरे नंबर पर रहे थे. उदयलाल ने बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाया और कांग्रेस के प्रत्याशी प्रीति शक्तावत ने जीत दर्ज की थी. ऐसा ही दांव आरएलपी सरदारशहर में खेल सकती है. अगर आरएलपी किसी जाट प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारती है तो बीजेपी का गणित गड़बड़ा जाएगा. वैसे भी आरएलपी अपना प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस के बाद ही तय करती है.

पढ़ें: सरदारशहर उपचुनाव: सतीश पूनिया कौन पता नहीं, लेकिन टिकट मिलने पर कांग्रेस के मोर उड़ाने का दावा

बीजेपी सिर्फ दो बार जीती: सरदारशहर सीट के उपचुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं है. 1951 से लेकर 2018 तक सरदारशहर विधानसभा सीट पर हुए 15 चुनाव के आंकड़ों को देखें, तो बीजेपी सिर्फ दो ही बार ही जीत दर्ज कर पाई है. 1980 और 2008 में ही बीजेपी को इस सीट पर जीत मिल पाई है. जबकि कांग्रेस की बात करें, तो 15 में से 9 चुनाव सरदारशहर सीट पर जीते हैं, जिसमे दिवंगत भंवर लाल शर्मा 6 और चंदनमल बैद 4 बार सरदारशहर से विधायक रहे हैं. जबकि जनता दल, लोकदल, जेएनपी और एक बार निर्दलीय भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं. सबसे लम्बी पारी भंवरलाल शर्मा ने खेली. शर्मा ने चार बार कांग्रेस, एक बार लोक दल और एक बार जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचे.

सरदारशहर के मतदाताओं का आजादी के बाद से अब तक ये रहा मिजाज:

  • 1951- चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1957 - चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1962 -चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1967-आर सिंह, निर्दलीय
  • 1972 - चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1976 - हजारी मल, जेएनपी
  • 1980 - मोहन लाल, बीजेपी
  • 1985 - भंवर लाल शर्मा, लोकदल
  • 1990 - भंवर लाल शर्मा, जनता दल
  • 1993 - नरेंद्र बुडानिया, कांग्रेस
  • 1998 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2003 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2008 - अशोक कुमार, बीजेपी
  • 2013 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2018 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस

जयपुर. चूरू के सरदारशहर विधानसभा सीट पर 5 दिसम्बर को उपचुनाव होना है. नामांकन दाखिल करने की तारीख भी नजदीक आ रही है. दोनों ही दलों ने अभी उम्मीदवारों के नामों का एलान नहीं अभी तक किया है. सम्भावना जताई जा रही है कांग्रेस स्वर्गीय भंवर लाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही (Congress candidate for Sardarshahar by election) है. जबकि बीजेपी पिछली बार के प्रत्याशी अशोक पींचा के चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा के बाद अब जाट बाहुल्य सीट पट किसी जाट उम्मीदवार को मैदान में उतरने की तैयारी में है. सूत्रों की माने तो में बीजेपी कांग्रेस के इस गढ़ में सेंधमारी करने के लिए जाट उम्मीदावर के नाम पर मन बना रही है. बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में भी इसी बात को लेकर ज्यादा समर्थन रहा कि इस बार किसी जाट को चुनावी उम्मीदवार बनाया जाए.

ये है दावेदार: सरदारशहर उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए 17 नवंबर की तारीख नजदीक आती जा रही है. बीजेपी ने अपने उम्मीदवार का नाम अभी तक फाइनल नहीं कर पाई है. चुनाव मैदान में बीजेपी के उम्मीदवार के नाम को लेकर झुंझुनूं में हुई कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी के नेताओं के बीच चर्चा हुई. बीजेपी अब जल्द अपना कैंडिडेट फाइनल करने जा रही है. बताया जा रहा है कि भाजपा में पूर्व विधायक अशोक पिंचा ने चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जताई है. जबकि विधि प्रकोष्ठ के पूर्व सह-संयोजक शिवचंद साहू, पूर्व प्रधान सत्यनारायण सारण, पूर्व केंद्रीय मंत्री दौलतराम सारण की पुत्रवधु सुशीला सारण, सत्यनारायण झांझड़िया, गिरधारीलाल पारीक, प्रधान प्रतिनिधि मधुसूदन राजपुरोहित ने अपनी अपनी दावेदारी रखी है. सूत्रों की माने तो बीजेपी इनमें से किसी जाट नेता को उम्मीदवार बना सकती है.

पढ़ें: सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव में राजस्थान बसपा नहीं उतारेगी प्रत्याशी

यह है वोटों का गणित: सरदारशहर के मतदाता की बात करें तो यहां पर अब तक जातिगत प्रभाव न रहकर व्यक्ति प्रभाव ज्यादा रहता है. ब्राह्मण वोटर संख्या बल के लिहाज से तीसरे नंबर पर हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चुनाव ब्राह्मण समाज से आने वाले दिवंगत भंवर लाल शर्मा ने जीते. सरदारशहर विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या करीब 2 लाख 80 हजार के करीब है. संख्या बल के लिहाज से करीब 70 हजार जाट पहले नंबर पर हैं, दूसरे स्थान पर SC मतदाता आते हैं जिनके वोटों की संख्या करीब 55,000 है. तीसरे नंबर ब्राह्मण आते हैं जिनकी संख्या 40 हजार के करीब है.

पढ़ें: सरदारशहर विधानसभा उपचुनाव में दांव पर BJP के दो नेताओं की प्रतिष्ठा, एक की जन्मभूमि तो दूसरे की है कर्मभूमि

चौथे नंबर पर मुस्लिम वोटर जिनकी संख्या 25,000 के करीब है. पांचवें नंबर पर राजपूत समाज है जिनकी वोटर संख्या 20000 के करीब है. उसके बाद माली-11000, कुम्हार-10000, स्वामी-9000, सोनी-8000, सुथार-7000, जैन-5000 और अग्रवाल समाज के करीब 4500 मतदाता हैं. अन्य जातियों के करीब 30 हजार वोटर हैं. सरदारशहर में सर्वाधिक जाट मतदाता हैं. इसलिए जाटों के वोट बहुत ज्यादा महत्व रखेंगे. जाट नेताओं ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों से दावेदारी जताई है. हालांकि, अभी किसी भी पार्टी ने टिकट को लेकर फैसला नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस सहानुभूति का कार्ड खेलते हुए दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा के बेटे को ही टिकट दे सकती है. जबकि बीजेपी से भंवरलाल शर्मा के भाई श्याम लाल शर्मा ने बीजेपी से टिकट मांगा है. लेकिन बीजेपी जाट बाहुल्य सीट पर जाट प्रत्याशी को मैदान में उतारने का मन बना रही है.

आरएलपी खेल सकती है दांव: जाट बाहुल्य सीट के लिहाज से हनुमान बेनीवाल की आरएलपी पार्टी भी अपना दांव खेल सकती है. हनुमान बेनीवाल जाट वोटर पर अपना प्रभाव रखते हैं. बेनीवाल की नजर हमेशा बीजेपी और कांग्रेस के उन नाराज नेताओं पर रहती है जिन्हें कांग्रेस और बीजेपी की ओर से टिकट नहीं मिलता. पिछले दिनों वल्लभनगर में हुए उपचुनाव में बीजेपी के बागी उदयलाल डांगी को हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा था, जो दूसरे नंबर पर रहे थे. उदयलाल ने बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाया और कांग्रेस के प्रत्याशी प्रीति शक्तावत ने जीत दर्ज की थी. ऐसा ही दांव आरएलपी सरदारशहर में खेल सकती है. अगर आरएलपी किसी जाट प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारती है तो बीजेपी का गणित गड़बड़ा जाएगा. वैसे भी आरएलपी अपना प्रत्याशी बीजेपी और कांग्रेस के बाद ही तय करती है.

पढ़ें: सरदारशहर उपचुनाव: सतीश पूनिया कौन पता नहीं, लेकिन टिकट मिलने पर कांग्रेस के मोर उड़ाने का दावा

बीजेपी सिर्फ दो बार जीती: सरदारशहर सीट के उपचुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं है. 1951 से लेकर 2018 तक सरदारशहर विधानसभा सीट पर हुए 15 चुनाव के आंकड़ों को देखें, तो बीजेपी सिर्फ दो ही बार ही जीत दर्ज कर पाई है. 1980 और 2008 में ही बीजेपी को इस सीट पर जीत मिल पाई है. जबकि कांग्रेस की बात करें, तो 15 में से 9 चुनाव सरदारशहर सीट पर जीते हैं, जिसमे दिवंगत भंवर लाल शर्मा 6 और चंदनमल बैद 4 बार सरदारशहर से विधायक रहे हैं. जबकि जनता दल, लोकदल, जेएनपी और एक बार निर्दलीय भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं. सबसे लम्बी पारी भंवरलाल शर्मा ने खेली. शर्मा ने चार बार कांग्रेस, एक बार लोक दल और एक बार जनता दल के टिकट पर विधानसभा पहुंचे.

सरदारशहर के मतदाताओं का आजादी के बाद से अब तक ये रहा मिजाज:

  • 1951- चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1957 - चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1962 -चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1967-आर सिंह, निर्दलीय
  • 1972 - चन्दन मल बैद, कांग्रेस
  • 1976 - हजारी मल, जेएनपी
  • 1980 - मोहन लाल, बीजेपी
  • 1985 - भंवर लाल शर्मा, लोकदल
  • 1990 - भंवर लाल शर्मा, जनता दल
  • 1993 - नरेंद्र बुडानिया, कांग्रेस
  • 1998 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2003 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2008 - अशोक कुमार, बीजेपी
  • 2013 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
  • 2018 - भंवर लाल शर्मा, कांग्रेस
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