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सीपी जोशी को अध्यक्ष बना भाजपा ने साधे कई निशाने, जानिए क्या है जोशी के एंट्री की गणित

सांसद चंद्र प्रकाश जोशी को राजस्थान का अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने एक तीर के कई निशाने लगाए हैं. अब देखना यह होगा कि क्या सभी तीर निशाने पर लगा है या नहीं ?

सांसद चंद्र प्रकाश जोशी
सांसद चंद्र प्रकाश जोशी
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Published : Mar 24, 2023, 11:36 AM IST

Updated : Mar 24, 2023, 1:01 PM IST

जयपुर . भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश बीजेपी में गुरुवार को बड़ा बदलाव कर दिया. इस बदलाव के साथ ही पिछले कुछ महीनों से चल रही बीजेपी में सियासी अटकलों पर भी विराम लग गया. मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चल रही प्रदेश में वर्चस्व की लड़ाई को खत्म करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है . जोशी किस नियुक्ति से आलाकमान ने एक तीर से एक दो नही बल्कि पांच निशाने साधे है. चलिए आपको बताते है जोशी की ताजपोशी के सियासी मायने क्या-क्या हैं.

मुख्यमंत्री के चेहरे पर विवाद खत्म

सांसद सीपी जोशी मेवाड़ से आते हैं. छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले सीपी जोशी भले दो बार सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हो, लेकिन उनका चेहरा निर्विवाद है. जोशी का कभी भी किसी गुटबाजी में नाम नहीं जुड़ा है. प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ दिल्ली में भी केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी अच्छी तालमेल है. जोशी को अध्यक्ष बनाने से केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में पिछले कई महीनों से चल रही मुख्यमंत्री फेस के विवाद को भी खत्म कर दिया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच वर्चस्व की खबरें लगातार आ रही थी. डॉक्टर सतीश पूनिया के 3 साल के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अदावत खुलकर कई बार सामने भी आईं. सीपी जोशी मौजूदा राजनीति के हिसाब से मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है, ऐसे में अब प्रदेश में सीएम चेहरे को लेकर चली आ गुटबाजी खत्म होगी.

क्षेत्रीय संतुलन बनाया

सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष पद तक पहुंचाने में भाजपा का क्षेत्रीय गणित भी एक वजह है माना जा रहा है. जिस तरह से गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाने के बाद मेवाड़ की सक्रिय राजनीति में भाजपा का कोई बड़ा फेस ग्राउंड पर नहीं था. उसकी वजह से सीपी जोशी को यह मौका दिया गया. जाहिर है कि केंद्र में मारवाड़ की तीन नेता मंत्री पद पर हैं. हाडोती से आने वाले ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष के पद पर हैं. इसी तरह से राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शेखावाटी की नुमाइंदगी कर रहे हैं. हाल ही में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद पूर्वी राजस्थान से किरोड़ी लाल मीणा भी खासा सक्रिय दिख रहे हैं. मेवाड़ के वैक्यूम को भरने के लिए भाजपा के पास जोशी से बेहतर विकल्प फिलहाल मौजूद नहीं था. बता दें कि पूर्वी राजस्थान में धौलपुर और हाडोती में झालावाड़ में वसुंधरा राजे का एक बड़ा आधार है. लिहाजा मेवाड़ के नेतृत्व में खाली पड़ी जगह पर अब सीपी जोशी की नियुक्ति के मायने व भाजपा की क्षेत्रीय राजनीतिज्ञों को साधनों का एक मैसेज समझा जा रहा है.

पढ़ें राजस्थान भाजपा के नए अध्यक्ष बने सीपी जोशी, सतीश पूनिया को हटाया

ब्राह्मणों को साधने की कोशिश

सीपी जोशी को अध्यक्ष बना दिल्ली आलाकमान ने ब्राह्मण वोट बैंक को भी साधा है. लंबे समय से राजस्थान बीजेपी की राजनीति में ब्राह्मण समाज को हाशिये पर रखने के आरोप लग रहे थे. ऐसे में जोशी को अध्यक्ष बना कर एक बड़े बोट बैंक को साधने की पहल के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि प्रदेश में ब्राह्मण समाज का 7 से 9 फीसदी वोट बैंक माना जाता है . हालांकि राजस्थान में ब्राह्मण वोट बैंक परम्परागत रूप से बीजेपी का ही माना जाता है. इसके बाद भी प्रदेश संगठन और केंद्र की सरकार में उचित भागीदारी नही मिलने से नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रहती थी .

दिल्ली के पास होगी प्रदेश की कमान

सीपी जोशी को अध्यक्ष बना कर दिल्ली हाईकमान यह भी साफ कर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव की कमान सीधा दिल्ली के पास रहेगा. सीपी जोशी पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भी नजदीकी माने जाते हैं. ऐसे में आने वाले चुनाव में दिल्ली प्रदेश पर सीधी पकड़ रहेगी. वैसे भी पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठकों में यह साफ कह दिया गया था कि राजस्थान में कोई भी चुनावी चेहरा नहीं होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएंगा. जोशी की नियुक्ति से स्पष्ट है कि अब सभी निर्णय सीधे दिल्ली से ही होंगे.

युवाओं को साधा

सांसद सीपी जोशी 47 साल के हैं. ऐसे में बीजेपी ने जोशी को अध्यक्ष बना कर प्रदेश के 40 फ़ीसदी युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. जोशी के जरिए एक संदेश भी दिया गया है कि बीजेपी युवाओं को प्राथमिकता के साथ आगे लाना चाह रही है. बता दें कि सांसद मौजूदा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. ऐसे में जोशी के पास युवाओं का एक बड़ा नेटवर्क भी है जो आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए लाभकारी साबित होगा. भले ही चुनाव में कुछ ही महीने शेष बचे हैं, लेकिन युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहते हुए जो नेटवर्क सीपी जोशी ने खड़ा किया था, उसका लाभ उन्हें विधानसभा चुनाव में सीधा मिलेगा.

नेताओं ने किया स्वागत

सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद में बीजेपी वरिष्ठ नेता अलका गुर्जर ने भी कहा कि सीपी जोशी के पास संगठन का एक अच्छा अनुभव है. वह युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती मिलेगी. साथ ही 2023 और 2024 के चुनाव में बीजेपी बड़े बहुमत के साथ में जीत हासिल करेगी. अलका गुर्जर ने कहा कि यह सही है कि चुनाव में अब 7 महीने का समय बचा है लेकिन सीपी जोशी पहले युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके ऐसे में उन्हें संगठन का अनुभव भी है. उनके पास एक अपनी टीम भी है, जिसका लाभ उन्हें मिलेगा. वहीं पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से युवा उत्साहित होंगे. पार्टी संगठित होकर मजबूती के साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में लड़ेगी और जीत हासिल करेगी. पार्टी में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है. सतीश पूनिया का कार्यकाल पूरा हो चुका था. इसलिये नया अध्यक्ष बना है. कांग्रेस पर निशान साधते कहा कि बीजेपी कैडर बेस पार्टी है, यहां पर कोई एक ही परिवार का व्यक्ति अध्यक्ष नियुक्त नहीं होता है.

जयपुर . भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश बीजेपी में गुरुवार को बड़ा बदलाव कर दिया. इस बदलाव के साथ ही पिछले कुछ महीनों से चल रही बीजेपी में सियासी अटकलों पर भी विराम लग गया. मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चल रही प्रदेश में वर्चस्व की लड़ाई को खत्म करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सांसद सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है . जोशी किस नियुक्ति से आलाकमान ने एक तीर से एक दो नही बल्कि पांच निशाने साधे है. चलिए आपको बताते है जोशी की ताजपोशी के सियासी मायने क्या-क्या हैं.

मुख्यमंत्री के चेहरे पर विवाद खत्म

सांसद सीपी जोशी मेवाड़ से आते हैं. छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले सीपी जोशी भले दो बार सांसद और बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हो, लेकिन उनका चेहरा निर्विवाद है. जोशी का कभी भी किसी गुटबाजी में नाम नहीं जुड़ा है. प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ दिल्ली में भी केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनकी अच्छी तालमेल है. जोशी को अध्यक्ष बनाने से केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में पिछले कई महीनों से चल रही मुख्यमंत्री फेस के विवाद को भी खत्म कर दिया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच वर्चस्व की खबरें लगातार आ रही थी. डॉक्टर सतीश पूनिया के 3 साल के कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ अदावत खुलकर कई बार सामने भी आईं. सीपी जोशी मौजूदा राजनीति के हिसाब से मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है, ऐसे में अब प्रदेश में सीएम चेहरे को लेकर चली आ गुटबाजी खत्म होगी.

क्षेत्रीय संतुलन बनाया

सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष पद तक पहुंचाने में भाजपा का क्षेत्रीय गणित भी एक वजह है माना जा रहा है. जिस तरह से गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाने के बाद मेवाड़ की सक्रिय राजनीति में भाजपा का कोई बड़ा फेस ग्राउंड पर नहीं था. उसकी वजह से सीपी जोशी को यह मौका दिया गया. जाहिर है कि केंद्र में मारवाड़ की तीन नेता मंत्री पद पर हैं. हाडोती से आने वाले ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष के पद पर हैं. इसी तरह से राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शेखावाटी की नुमाइंदगी कर रहे हैं. हाल ही में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात के बाद पूर्वी राजस्थान से किरोड़ी लाल मीणा भी खासा सक्रिय दिख रहे हैं. मेवाड़ के वैक्यूम को भरने के लिए भाजपा के पास जोशी से बेहतर विकल्प फिलहाल मौजूद नहीं था. बता दें कि पूर्वी राजस्थान में धौलपुर और हाडोती में झालावाड़ में वसुंधरा राजे का एक बड़ा आधार है. लिहाजा मेवाड़ के नेतृत्व में खाली पड़ी जगह पर अब सीपी जोशी की नियुक्ति के मायने व भाजपा की क्षेत्रीय राजनीतिज्ञों को साधनों का एक मैसेज समझा जा रहा है.

पढ़ें राजस्थान भाजपा के नए अध्यक्ष बने सीपी जोशी, सतीश पूनिया को हटाया

ब्राह्मणों को साधने की कोशिश

सीपी जोशी को अध्यक्ष बना दिल्ली आलाकमान ने ब्राह्मण वोट बैंक को भी साधा है. लंबे समय से राजस्थान बीजेपी की राजनीति में ब्राह्मण समाज को हाशिये पर रखने के आरोप लग रहे थे. ऐसे में जोशी को अध्यक्ष बना कर एक बड़े बोट बैंक को साधने की पहल के रूप में देखा जा रहा है. बता दें कि प्रदेश में ब्राह्मण समाज का 7 से 9 फीसदी वोट बैंक माना जाता है . हालांकि राजस्थान में ब्राह्मण वोट बैंक परम्परागत रूप से बीजेपी का ही माना जाता है. इसके बाद भी प्रदेश संगठन और केंद्र की सरकार में उचित भागीदारी नही मिलने से नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रहती थी .

दिल्ली के पास होगी प्रदेश की कमान

सीपी जोशी को अध्यक्ष बना कर दिल्ली हाईकमान यह भी साफ कर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव की कमान सीधा दिल्ली के पास रहेगा. सीपी जोशी पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भी नजदीकी माने जाते हैं. ऐसे में आने वाले चुनाव में दिल्ली प्रदेश पर सीधी पकड़ रहेगी. वैसे भी पिछले दिनों दिल्ली में हुई बैठकों में यह साफ कह दिया गया था कि राजस्थान में कोई भी चुनावी चेहरा नहीं होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा जाएंगा. जोशी की नियुक्ति से स्पष्ट है कि अब सभी निर्णय सीधे दिल्ली से ही होंगे.

युवाओं को साधा

सांसद सीपी जोशी 47 साल के हैं. ऐसे में बीजेपी ने जोशी को अध्यक्ष बना कर प्रदेश के 40 फ़ीसदी युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश की है. जोशी के जरिए एक संदेश भी दिया गया है कि बीजेपी युवाओं को प्राथमिकता के साथ आगे लाना चाह रही है. बता दें कि सांसद मौजूदा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. ऐसे में जोशी के पास युवाओं का एक बड़ा नेटवर्क भी है जो आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए लाभकारी साबित होगा. भले ही चुनाव में कुछ ही महीने शेष बचे हैं, लेकिन युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहते हुए जो नेटवर्क सीपी जोशी ने खड़ा किया था, उसका लाभ उन्हें विधानसभा चुनाव में सीधा मिलेगा.

नेताओं ने किया स्वागत

सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद में बीजेपी वरिष्ठ नेता अलका गुर्जर ने भी कहा कि सीपी जोशी के पास संगठन का एक अच्छा अनुभव है. वह युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती मिलेगी. साथ ही 2023 और 2024 के चुनाव में बीजेपी बड़े बहुमत के साथ में जीत हासिल करेगी. अलका गुर्जर ने कहा कि यह सही है कि चुनाव में अब 7 महीने का समय बचा है लेकिन सीपी जोशी पहले युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके ऐसे में उन्हें संगठन का अनुभव भी है. उनके पास एक अपनी टीम भी है, जिसका लाभ उन्हें मिलेगा. वहीं पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से युवा उत्साहित होंगे. पार्टी संगठित होकर मजबूती के साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में लड़ेगी और जीत हासिल करेगी. पार्टी में बदलाव एक सतत प्रक्रिया है. सतीश पूनिया का कार्यकाल पूरा हो चुका था. इसलिये नया अध्यक्ष बना है. कांग्रेस पर निशान साधते कहा कि बीजेपी कैडर बेस पार्टी है, यहां पर कोई एक ही परिवार का व्यक्ति अध्यक्ष नियुक्त नहीं होता है.

Last Updated : Mar 24, 2023, 1:01 PM IST
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