जयपुर. राजस्थान में बर्ड फ्लू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को भी जयपुर, झुंझुनू, टोंक, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, पाली, कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ से पक्षियों की मौत के मामले सामने आए. हालांकि, अजमेर से एक राहत भरी खबर सामने आई है.
बर्ड फ्लू से अजमेर पूरी तरह से सुरक्षित...
बर्ड फ्लू एक ऐसी बीमारी है, जिसमें एक वायरस पक्षियों के संपर्क में आने से एक दूसरे में फैलता है और इसमें पक्षी लगातार मरते चले जाते हैं. पिछली बार बर्ड फ्लू बीमारी के आने से पोल्ट्री व्यवसायी में हाहाकार मच गया था. लाखों मुर्गियों को मार कर जमीन में गाड़ने पड़ा था, ताकि यह भी अन्य पक्षियों तक नहीं फैले. लोगों ने अंडे और मुर्गी खाना बिल्कुल बंद कर दिया था. आज के समय जो बीमारी की शुरुआत हुई है, वह बर्डफ्लू से मिलती-जुलती भले ही लगती हो पर इसकी शुरुआत कौओं से देखी गई है.
बात अजमेर की करें तो डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक यह बीमारी मुर्गियों तक नहीं पहुंची है. इसलिए इसको बर्ड फ्लू कहा जाना सही नहीं होगा. इस पर अभी शोध चल रहा है. जल्दबाजी नहीं की जा सकती. वहीं, दूसरी ओर बर्ड फ्लू एक ऐसी बीमारी है, उसका पता तब चलता है, जब यह पूरी तरह से फैल जाती है और एक एक करके पक्षी मरने लगते हैं. ऐसे में जब तक हमें पता चलेगा कि बर्ड फ्लू है, तब तक पक्षियों के मरने के अलावा और कोई समाधान हमारे पास नहीं बचेगा.
पोल्ट्री व्यवसाय को भी नहीं है कोई भी खतरा...
साथ ही कहा कि अजमेर के पोल्ट्री व्यवसाय में इस प्रकार की कोई भी घटना अभी तक नहीं देखी गई है. भोपाल स्थित मुख्य परीक्षण लैब में इसके सैंपल भिजवाए गए हैं. रिपोर्ट आने के बाद ही इसको प्रमाणित किया जा सकेगा. इससे पहले किसी प्रकार की घबराहट या हिचकिचाहट रखने की जरूरत नहीं है, परंतु सभी जन सावधानी जरूर बढ़ते हम इतना ही कहना चाहते हैं.
राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित अन्य पक्षियों की अकाल मौत दुखदः हिम्मताराम भांभू
राजस्थान के कई जिलों में इन दिनों राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित अन्य पक्षियों की प्राकृतिक रूप से मौत के मामले सामने आ रहे हैं. नागौर जिले में भी नए साल की शुरुआत से ही पक्षियों के मरने की जानकारी लगातार मिल रही है. पक्षियों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार पक्षियों के मरने की खबर मिलने के साथ ही अब जिला प्रशासन की चिंता भी बढ़ गई है. पदम श्री पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भांबू ने भी राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित अन्य पक्षियों की अकाल मौत हो जाने पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मरने वाले पक्षियों की मौत के कारणों को जानने के लिए वन विभाग में पशुपालन विभाग के की ओर से उनके सैंपल भोपाल भेजे गए हैं. सैंपल की रिपोर्ट आने के साथ ही मौत के कारणों का खुलासा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रेमियों के लिए पक्षियों की मौत की खबर दुखदाई है.
पढ़ें : बर्ड फ्लू को लेकर वन विभाग हुआ सतर्क, ब्लाॅक स्तर पर बनाए कंट्रोल रूम
जोधपुर में बर्ड फ्लू का खौफः प्रशासन ने चिड़ियाघर में जाने पर लगाया प्रतिबंध...
जोधपुर में भी कुछ दिन पहले कौओं की मौत हुई थी. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने पशुपालन विभाग की मदद से कौओं के शवों की जांच के लिए उन्हें भोपाल लैब में भिजवाया, जहां से उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. जिसके बाद जोधपुर वन विभाग ने राहत की सांस ली. लेकिन, उसके बाद वन विभाग ने सतर्कता बरतनी भी शुरू कर दी है. वन विभाग ने जोधपुर के माचिया बालाजी के पार्क में बने चिड़ियाघर में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. सभी दर्शकों को चिड़िया घर से दूर रहने की हिदायत दी है. माचिया बायोलॉजिकल पार्क के मुख्य गेट के एंट्रेंस पर भी एक नोटिस चस्पा किया गया है. चिड़ियाघर सहित अन्य पिंजरों में काम करने वाले केयरटेकर को पीपीई किट मास्क दिए गए हैं.
राजस्थान में आज की स्थिति...
प्रदेश में आज यानी शुक्रवार को कुल 329 पक्षियों की हुई मौत है, जिसमें 223 कौओं की मौत का मामला है. वहीं, अब तक कुल 2,166 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जबकि 211 सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे गए हैं.