जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा को 67 दिन पूरे हो चुके हैं. यात्रा महाराष्ट्र पहुंच चुकी है और वहां से मध्य प्रदेश होते हुए 3 दिसंबर को यह यात्रा राजस्थान (Bharat Jodo Yatra in Rajasthan) पहुंचेगी. हालांकि अब तक कार्यक्रम के अनुसार इस यात्रा को राजस्थान में झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, दौसा और अलवर जिले से होकर निकलना है.
इन जिलों में यह यात्रा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कि विधानसभा क्षेत्र झालरापाटन, रामगंज मंडी कोटा, लालसोट, बांदीकुई, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, अलवर ग्रामीण, अलवर और तिजारा सहित करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, लेकिन अब तक राजस्थान में इस यात्रा के रूट को लेकर संगठन और सरकार की ओर से कोई मुहर नहीं लगाई है. कारण साफ है कि अभी राजस्थान का कांग्रेस नेतृत्व यह सोच रहा है कि क्या इस यात्रा को वर्तमान रूट की जगह किसी दूसरे रूट से भी निकाला जा सकता है या नहीं.
यही कारण है कि अब तक राजस्थान में यात्रा का अंतिम रूट तैयार (Bharat Jodo Yatra Route not final) नहीं हो सका है. क्योंकि यात्रा राजस्थान में प्रवेश करने जा रही है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के अग्रिम संगठनों को भी इस काम में लगा दिया गया है. राजस्थान के करीब 22 सौ से ज्यादा सेवा दल कार्यकर्ता इस यात्रा में अनुशासन के साथ पूरे उत्साह के साथ नजर आएंगे. वही सेवा दल की ओर से 15 नवंबर से 25 नवंबर के बीच हर जिला मुख्यालय पर भारत जोड़ो पदयात्रा भी निकाली जाएगी.
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इसी तरह से कांग्रेस पार्टी के अलग-अलग संगठनों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है कि राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा सफलतापूर्वक निकले. हालांकि बड़ा सवाल यह है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट में जिस तरह से दूरियां बनी हुई हैं और कुर्सी को लेकर रस्साकशी चल रही है, उसमें पायलट के गढ़ माने जाने वाले पूर्वी राजस्थान में यह यात्रा कैसे निकलेगी. संभावना यह भी जताई जा रही है कि शह और मात के लिए कोई भी इस यात्रा में विरोध प्रदर्शन करवा सकता है. ऐसे में इस यात्रा के रूट को फाइनल करने में राजस्थान कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस फूंक-फूंक कदम उठा रही है.