जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर भर्ती 2022 में अभ्यर्थियों के चयन और उनको नियुक्ति देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री होती ही नहीं है, तो ऐसी डिग्री नहीं रखने वालों को अपात्र क्यों माना जा रहा है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश नेहा भडाना की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि ऐसे कई अभ्यर्थियों को चयन के लिए अपात्र घोषित किया गया है, जो वरीयता सूची में शामिल थे. इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाना उचित है.
याचिका में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने बेसिक कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर के 9862 पदों के लिए वर्ष 2022 में भर्ती निकाली. भर्ती विज्ञापन में उन अभ्यर्थियों को पात्र माना बताया गया, जिनके पास स्नातक की डिग्री में कंप्यूटर साइंस विषय रहा हो. याचिकाकर्ता ने बीएससी में कंप्यूटर एप्लीकेशन विषय तीन साल तक पढ़ा है. यह विषय कंप्यूटर साइंस के बराबर ही है. वहीं दस्तावेज सत्यापन के दौरान याचिकाकर्ता को यह कहते हुए अपात्र कर दिया कि विभाग ऐसे अभ्यर्थियों को पात्र नहीं मानता, जो कंप्यूटर साइंस में स्नातक नहीं हैं.
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इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि स्नातक के दौरान याचिकाकर्ता ने तीन साल तक कंप्यूटर विषय की पढ़ाई की है, तो इसे कंप्यूटर साइंस में स्नातक ही माना जाना चाहिए. क्योंकि कंप्यूटर साइंस में स्नातक नाम से कोई कोर्स ही अस्तित्व में नहीं है. कंप्यूटर सांइस एक विषय के रूप में ही स्नातक पाठ्यक्रम में होता है. ऐसे में भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए और याचिकाकर्ता को चयन प्रक्रिया में शामिल कर नियुक्ति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.