जयपुर. राजस्थान में डॉक्टरों के तबादलों को लेकर आने वाली सिफारिशों पर सीएम गहलोत ने कहा कि कई बार एक डॉक्टर के तबादले को लेकर हाईकोर्ट जज से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक का फोन आ जाता है. अगर सभी को शहरों में ही पोस्टिंग देने लगें तो ग्रामीण पीएचसी तो खाली ही रह जाएंगी. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने आरटीएच बिल को लेकर हुई डॉक्टरों की हड़ताल पर भी चुटकी ली और कहा कि भगवान नाराज होते हैं, लेकिन भक्तों को मरने के लिए ऐसे ही नहीं छोड़ देते.
दरअसल, प्रदेश में तबादलों को लेकर आने वाली सिफारिशों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मन की बात जुबां पर आ गई. उन्होंने कहा कि एक तबादला कर दो तो हाईकोर्ट के जज से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक का फोन आ जाएगा. गहलोत बुधवार को झालाना स्थित राजस्थान इन्टरनेशनल सेन्टर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में नवनियुक्त चिकित्सकों को शपथ ग्रहण समारोह में डॉक्टरों से तबादलों को लेकर अपने मन की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने आरटीएच बिल को लेकर हुई डॉक्टरों की हड़ताल को भी गलत बताया. गहलोत ने चुटकी लेते हुए कहा कि डॉक्टर्स को धरती का भगवान कहते हैं. भगवान भक्तों से कई बार नाराज होते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो उन्होंने मरने के लिए छोड़ दें.
डॉक्टरों की हड़ताल से हुई बदनामी : सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि आरटीएच बिल को लेकर हुई डॉक्टर की हड़ताल पर डॉक्टर्स को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि राजस्थान अपनी मेडिकल सेवाओं के लिए देश में अपनी पहचान रखता है. यहां की स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा सब जगह होती है, लेकिन पिछले दिनों आरटीएच कानून लेकर जो हड़ताल हुई, उसकी भी देश भर में काफी चर्चा हुई. आरटीएस को लेकर अखबारों में लिखा गया. सब ने तारीफ की, लेकिन एक गलतफहमी कितना नुकसान पहुंचाती है, इसका अंदाजा इस हड़ताल से लगाया जा सकता है.
इस बिल पर गर्व होना चाहिए था. जिस प्रदेश के आप डॉक्टर हैं, वहां पर देश में सबसे पहले आम जनता को स्वस्थ्य का अधिकार मिला है. अनावश्यक उसको लेकर 17 दिन हड़ताल कर दी. डॉक्टर को धरती का भगवान मानते हैं. भगवान भक्तों से नाराज तो होते हैं, लेकिन ऐसे नहीं होते कि उनको उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दें. ऐसी हड़ताल कभी नहीं करनी चाहिए. गहलोत ने कहा कि अगर स्ट्राइक करने की जगह पर काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराते तो यह स्ट्राइक 7 दिन में खत्म हो जाती. अनावश्यक 17 दिन तक लोग परेशान होते रहे और हम पूरे देश में बदनाम हो गए. जो कुछ हुआ वह ठीक नहीं हुआ.
ओपीएस और आरटीएच लागू करके रहेंगे : आरटीएच (राइट टू हेल्थ) बिल को लेकर गहलोत ने कहा कि अब केंद्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों को भी राइट टू हेल्थ बिल लाना पड़ेगा. ये देश की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य, ये दो सोशल सिक्योरिटी देश की जरूरत है. इन दोनों को राजस्थान में लागू किया गया है. गहलोत ने इस मौके पर ओपीएस का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों के हित में सोचा है. किसी भी कर्मचारी को शेयर मार्केट के भरोसे नहीं छोड़ सकते. इसलिए राजस्थान में न्यू पेंशन स्कीम की जगह हमने फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया. मुख्यमंत्री ने तीखे अंदाज में कहा कि कोई कितनी टिप्पणी कर ले या फिर कितनी ही अड़चनें पैदा कर ले, लेकिन राजस्थान में ओपीएस और आरटीएच जैसी योजनाओं के लागू करके दिखाएंगे.
तबादलों को लेकर फोन : इस दौरान गहलोत ने तबादलों को लेकर भी अपने मन की बात कही. गहलोत ने कहा कि आप सब मेरे परिवार के लोग हो, लेकिन कई बार तबादलों को लेकर अजीब सी स्थिति बन जाती है. कोई भी गांव में रहना नहीं चाहता, लेकिन ये समझने की जरूरत है कि स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत वहां भी है. कई बार तबादलों को लेकर इतनी सिफारिश आती है और आप उन्हें ना नहीं बोल सकते.
एक तबादले के लिए हाईकोर्ट का जज का फोन आ जाएगा, पूर्व मुख्यमंत्री का फोन जाएगा, मंत्री का या किसी नेता का फोन आ जाएगा और कहेंगे कि साहब इसको तो रखना ही पड़ेगा. उसके बाद मजबूरी में तबादला कैंसिल करना पड़ता है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र की जो पीएचसी है वह खाली रहती हैं. गहलोत ने चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा की तारीफ करते हुए कहा कि जब चिकित्सा मंत्री का जिम्मा दिया, तब ही इन्होने कहा दिया था कि अस्थाई डॉक्टर सिस्टम को बंद करेंगे. किसी भी सिफारिश पर कोई तबदला नहीं होगा और उन्होंने वो करके दिखाया. आज ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टर उपलब्ध हैं.