जयपुर. भले ही सूबे के सीएम अशोक गहलोत पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांग कर जयपुर लौट (Gehlot returned Rajasthan) आए हों, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्हें माफी मिली है या नहीं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि अब भी पार्टी के भीतर अंधरूनी कलह जारी है. एक ओर सीएम गहलोत पूरे 5 साल तक सरकार चलाने की बात कह रहे हैं तो वहीं, दूसरी ओर उनके समर्थक विधायक अपने अडिग रुख पर (Angry Gehlot supporters MLA) कायम है. बावजूद इसके मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना तय माना जा रहा है.
शनिवार को सीएम गहलोत बीकानेर, हनुमानगढ़ और गंगानगर जिलों के दौरे पर थे. इस दौरान सीएम ने बयान (CM Gehlot statement in Bikaner) दिया कि सूबे में पूरे 5 साल तक सरकार चलेगी, लेकिन अगला सीएम कौन होगा, इसपर फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है. इधर, संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal deadline) ने जो 48 घंटे का समय दिया था, वह शनिवार को पूरा हो गया.
राजस्थान में फिर से आएंगे पर्यवेक्षक: सियासी जानकारों की मानें तो राजस्थान में फिर से विधायक दल की बैठक होगी और इसके लिए दिल्ली से पर्यवेक्षक आएंगे. दिल्ली से आने वाले पर्यवेक्षक विधायकों की नब्ज टटोलेंगे. लेकिन इस बार पर्यवेक्षक बदले जा सकते हैं, क्योंकि पहले आए पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खड़गे अब कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन (Nomination of Congress National President) दाखिल कर चुके हैं तो अजय माकन को लेकर विधायकों में भारी रोष है.
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ऐसे में लगता है कि आलाकमान बीच का रास्ता निकालते हुए दूसरे पर्यवेक्षकों के जरिए रायशुमारी और प्रस्ताव पास करवाने का काम करेगा. नए पर्यवेक्षक कौन होंगे यह तो साफ नहीं हो पाया है. लेकिन फिलहाल मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी और कमलनाथ के नामों की चर्चा है. उधर कहा जा रहा है कि संसदीय कार्य मंत्री सीपी जोशी अभी विधायकों से लगातार संपर्क में है, ताकि अचानक कोई निर्णय लेना हो तो तुरंत विधायकों से बातचीत की जा सके.
टकराव की संभावना बढ़ी: भले सीएम गहलोत सोनिया गांधी से मिलकर माफी मांग चुके हो, लेकिन उनके समर्थक विधायक अब भी अपने रुख पर कायम है. ऐसे में आगे सचिन पायलट के नाम को सीएम पद के लिए प्रस्तावित किया जाता है तो फिर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इधर, नाराज विधायकों का इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी के पास पड़ा है. जिस पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है. वहीं, जानकारों की मानें तो मौजूदा सियासी हालातों को देखते हुए आगे टकराव की संभावना लगातार बढ़ रही है. ऐसे में आलाकमान के लिए भी कोई फैसला लेना आसान नहीं होगा.