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Rajasthan High Court: पति पर संतान के अपहरण का आरोप, हाईकोर्ट ने बच्चों को पेश करने के दिए आदेश

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Published : Dec 29, 2022, 7:56 PM IST

2 नाबालिग बच्चों के पिता की ओर से अपहरण के आरोप के एक मामले (Allegation of children kidnap on father in Jaipur) में याचिकाकर्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट से अपील की है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पिता को नोटिस देकर जवाब मांगा है. साथ ही अतिरिक्त म​हाधिवक्ता से कहा है कि दोनों बच्चों को 10 जनवरी को कोर्ट में पेश करें.

Allegation of children kidnap on father in Jaipur, court orders to present kids in court
Rajasthan High Court: पति पर संतान के अपहरण का आरोप, हाईकोर्ट ने बच्चों को पेश करने के दिए आदेश

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 6 और 4 साल की दो संतानों का अपहरण कर अपने पास अवैध रूप से रखने के मामले में उनके पिता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को कहा है कि वह दोनों बच्चों को 10 जनवरी को हाईकोर्ट में पेश (Orders to present kids in court) करे. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कम्पूरी देवी मीना की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति मुकेश कुमार ने कोविड संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में याचिकाकर्ता और उसकी दो नाबालिग संतानों को उसके अलवर स्थित पिता के घर छोड़ा था. वहीं लॉकडाउन खत्म होने के बाद याचिकाकर्ता और उसके पिता ने मुकेश कुमार को कई बार कहा कि वह उन्हें वापस ले जाए. इसके बावजूद भी मुकेश उन्हें लेने नहीं आया.

पढ़ें: 5 साल की मासूम ने जज से कहा- दादा, दादी नहीं मौसी के साथ रहना है...और कोर्ट ने सौंप दी कस्टडी

याचिका में कहा गया कि गत 7 दिसंबर को मुकेश कुमार घर के बाहर खेल रहे दोनों बच्चों का अपहरण कर अपने साथ ले गया और उन्हें बंधक बना लिया. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने गुमशुदगी कराने के लिए थाने में परिवाद दिया, लेकिन पुलिस ने उसे दर्ज नहीं किया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की संतानों को उसके पिता से रिहा कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुकेश कुमार को नोटिस जारी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता को दोनों बच्चों को 10 जनवरी को अदालत में पेश करने को कहा है.

प्रतिनियुक्ति आदेश पर रोक: राजस्थान हाईकोर्ट ने यूनानी चिकित्सा में असिस्टेंट डायरेक्टर और सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर लगाने पर प्रमुख आयुर्वेद सचिव, उप सचिव और निदेशक यूनानी मेडिसिन सहित अन्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने गत 13 दिसंबर के प्रतिनियुक्ति आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश मोहम्मद शमीम खान व अन्य की याचिकाओं पर दिए.

पढ़ें: पति द्वारा पत्नी की हत्या की गवाह बच्ची को दादा की कस्टडी में सौंपने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, सुनवाई 8 दिसंबर को

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि पीजी योग्यता रखने वाले याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2000 और बाद में यूनानी मेडिकल ऑफिसर के पदों पर नियुक्त किया गया था. वहीं अब याचिकाकर्ता करीब 15 से 20 साल का अनुभव रखते हुए सीनियर मेडिकल ऑफिसर और असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि विभाग ने गत 13 दिसंबर को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को टोंक की यूनानी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर प्रतिनियुक्ति पर लगा दिया. यह पद याचिकाकर्ताओं के पदों से काफी नीचे आता है.

पढ़ें: तीन संतानों का त्याग करके प्रेमी के संग महिला ने जाने की जताई इच्छा

नियमानुसार पीजी के साथ 10 साल का अनुभव रखने वाले को प्रोफेसर पद दिया जाता है. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए सिर्फ पीजी होना ही पर्याप्त है और अनुभव की कोई जरूरत नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया कि जिस कॉलेज में याचिकाकर्ताओं को प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए हैं, वहां के प्रिंसिपल याचिकाकर्ताओं से काफी जूनियर हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता अपने जूनियर अधिकारी के अधीन काम कैसे कर सकते हैं. ऐसे में याचिकाकर्ताओं के प्रतिनियुक्ति आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रतिनियुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 6 और 4 साल की दो संतानों का अपहरण कर अपने पास अवैध रूप से रखने के मामले में उनके पिता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को कहा है कि वह दोनों बच्चों को 10 जनवरी को हाईकोर्ट में पेश (Orders to present kids in court) करे. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस बीरेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कम्पूरी देवी मीना की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति मुकेश कुमार ने कोविड संक्रमण के दौरान लॉकडाउन में याचिकाकर्ता और उसकी दो नाबालिग संतानों को उसके अलवर स्थित पिता के घर छोड़ा था. वहीं लॉकडाउन खत्म होने के बाद याचिकाकर्ता और उसके पिता ने मुकेश कुमार को कई बार कहा कि वह उन्हें वापस ले जाए. इसके बावजूद भी मुकेश उन्हें लेने नहीं आया.

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याचिका में कहा गया कि गत 7 दिसंबर को मुकेश कुमार घर के बाहर खेल रहे दोनों बच्चों का अपहरण कर अपने साथ ले गया और उन्हें बंधक बना लिया. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने गुमशुदगी कराने के लिए थाने में परिवाद दिया, लेकिन पुलिस ने उसे दर्ज नहीं किया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की संतानों को उसके पिता से रिहा कराया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुकेश कुमार को नोटिस जारी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता को दोनों बच्चों को 10 जनवरी को अदालत में पेश करने को कहा है.

प्रतिनियुक्ति आदेश पर रोक: राजस्थान हाईकोर्ट ने यूनानी चिकित्सा में असिस्टेंट डायरेक्टर और सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर लगाने पर प्रमुख आयुर्वेद सचिव, उप सचिव और निदेशक यूनानी मेडिसिन सहित अन्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने गत 13 दिसंबर के प्रतिनियुक्ति आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश मोहम्मद शमीम खान व अन्य की याचिकाओं पर दिए.

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याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि पीजी योग्यता रखने वाले याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2000 और बाद में यूनानी मेडिकल ऑफिसर के पदों पर नियुक्त किया गया था. वहीं अब याचिकाकर्ता करीब 15 से 20 साल का अनुभव रखते हुए सीनियर मेडिकल ऑफिसर और असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि विभाग ने गत 13 दिसंबर को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं को टोंक की यूनानी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर प्रतिनियुक्ति पर लगा दिया. यह पद याचिकाकर्ताओं के पदों से काफी नीचे आता है.

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नियमानुसार पीजी के साथ 10 साल का अनुभव रखने वाले को प्रोफेसर पद दिया जाता है. वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए सिर्फ पीजी होना ही पर्याप्त है और अनुभव की कोई जरूरत नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया कि जिस कॉलेज में याचिकाकर्ताओं को प्रतिनियुक्ति पर भेजने के आदेश हुए हैं, वहां के प्रिंसिपल याचिकाकर्ताओं से काफी जूनियर हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता अपने जूनियर अधिकारी के अधीन काम कैसे कर सकते हैं. ऐसे में याचिकाकर्ताओं के प्रतिनियुक्ति आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रतिनियुक्ति आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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