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उदयपुर-अहमदाबाद रेल ट्रैक ब्लास्ट मामला: राजस्थान में अलर्ट, बदमाशों की धरपकड़ के लिए अलग-अलग जिलों में छापेमारी

उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर ब्लॉस्ट और डूंगरपुर में बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने पूरे राजस्थान में अलर्ट जारी किया (Alert in Rajasthan after rail track blast case) है. इस मामले में बदमाशों की धरपकड़ के लिए राज्य के अलग-अलग जिलों में छापेमारी की है.

Alert released in Rajasthan after Udaipur Ahmedabad railway track blast
राजस्थान में अलर्ट, बदमाशों की धरपकड़ के लिए अलग-अलग जिलों में छापेमारी
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Published : Nov 16, 2022, 10:03 PM IST

जयपुर. उदयपुर-अहमदाबाद रेल मार्ग पर केवड़ा की नाल स्थित ओढ़ा रेलवे पुल पर रेलवे ट्रैक पर हुए ब्लास्ट के घटनाक्रम और डूंगरपुर के भबराना पुल के नीचे बड़ी तादाद में विस्फोटक सामग्री मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय से पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया (Alert in Rajasthan after rail track blast case) है. ब्लास्ट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों की धरपकड़ के लिए राजस्थान एटीएस व एसओजी विभिन्न जिला पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं.

डीजीपी उमेश मिश्रा का कहना है कि प्रकरण की बेहद बारीकी से और विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है. इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कोई आतंकी संगठन है या कोई समूह या फिर यह किसी स्थानीय व्यक्ति की कारस्तानी हैं, इन तमाम सवालों का जवाब जांच पूरी होने के बाद ही दिया जा सकेगा. हालांकि यह पूरा मामला बेहद संवेदनशील है जिसके चलते इसकी जांच के लिए बेस्ट ऑफिसर्स को लगाया गया है. साथ ही पूरे मामले पर पुलिस मुख्यालय से भी लगातार नजर रखी जा रही है और डायरेक्शन दिए जा रहे हैं.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद ट्रैक पर धमाके से सहम गए थे ओडा के ग्रामीण, संदीप की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

एनएसजी, एनआईए, एटीएस, आरपीएफ और इंटेलिजेंट मिलकर कर रहे जांच: उदयपुर में रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट और डूंगरपुर में बड़ी तादाद में विस्फोटक मिलने के (explosive seized in Dungarpur) प्रकरण की जांच विभिन्न जांच एजेंसियां एक साथ मिलकर कर रही है. एनएसजी, एनआईए और सेंट्रल आईबी के साथ ही राजस्थान एटीएस, इंटेलिजेंस और रेलवे पुलिस साथ मिलकर काम कर रही है. घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोगों से जानकारी जुटाई जा रही है, वहीं संदिग्ध लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है.

डूंगरपुर में बरामद किया गया विस्फोटक पदार्थ धौलपुर की एक फर्म द्वारा बनाए जाने की पुष्टि होने पर धौलपुर में भी विभिन्न जांच एजेंसियों ने अपनी टीम भेज जानकारी जुटाई है. प्रकरण में रोजाना जो भी कार्रवाई की जा रही है उसकी रिपोर्ट केंद्रीय जांच एजेंसियां, केंद्रीय गृह मंत्रालय को और राजस्थान पुलिस व अन्य जांच एजेंसी पुलिस मुख्यालय को भेज रही है. पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट गृह विभाग व मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जा रही है.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद रेल सेवा बहाल, NIA, ATS, NSG और RPF कर रही ट्रैक ब्लास्ट की जांच

कई पहलुओं को ध्यान में रखकर की जा रही जांच: रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट और विस्फोटक पदार्थ मिलने के प्रकरण की जांच कई पहलुओं को ध्यान में रखकर की जा रही है. जिस प्रकार से हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर बैन लगाया गया है, इसके मद्देनजर संगठन से जुड़े अंडरग्राउंड चल रहे लोगों व स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके साथ ही इस पूरे घटनाक्रम का कनेक्शन मध्य प्रदेश के अलसुफा आतंकी संगठन से जोड़कर भी देखा जा रहा है. जिनकी जयपुर को दहलाने की साजिश को इस साल चित्तौड़गढ़ में नाकाम किया गया था. वहीं रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के लिए किस तरह से जिलेटिन व डेटोनेटर का प्रयोग किया गया है, उसे देखते हुए इस पूरे घटनाक्रम का नक्सलवादी कनेक्शन भी देखा जा रहा है. डूंगरपुर में बड़ी तादाद में विस्फोटक मिलने के बाद गुजरात एटीएस भी एक्टिव हुई है और उन्होंने भी अपना रुख राजस्थान की ओर किया है.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट का मामला, डूंगरपुर में मिले विस्फोटक ने बढ़ाई चिंता

लाइसेंस होने पर ही खरीदा जा सकता है डेटोनेटर: रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट के लिए जिस डेटोनेटर का प्रयोग किया गया, उसका प्रयोग आसपास के क्षेत्रों में अधिकतर माइनिंग में ब्लास्ट के लिए किया जाता है. हालांकि कोई भी व्यक्ति दुकान पर जाकर सीधे डेटोनेटर नहीं खरीद सकता है. लाइसेंसशुदा मैगजीन ही डेटोनेटर बेचता है. साथ ही डेटोनेटर खरीदने वाले व्यक्ति के पास भी लाइसेंस का होना जरूरी होता है. इसके साथ ही डेटोनेटर को बेचने के रिकॉर्ड को ऑनलाइन अंकित भी करना होता है.

हालांकि डेटोनेटर बेचने वाले लाइसेंसशुदा मैगजीन कभी भी इस बात की जानकारी नहीं रखते हैं कि जिस व्यक्ति को डेटोनेटर बेचा गया है, उसने कितनी मात्रा में इसका प्रयोग किया है और बचे हुए डेटोनेटर को कहां सुरक्षित रखा गया है. हालांकि सरकार के लाख कहने के बावजूद भी अवैध तरीके से डेटोनेटर बिना लाइसेंस धारियों को बेच दिया जाता है और उनसे मुंह मांगी कीमत वसूली जाती है.

200 वर्ग फीट को तबाह कर सकती है 2.5 किलो जिलेटिन: डूंगरपुर में भबराना पुल के नीचे लगातार दो दिन से भारी तादाद में विस्फोटक व जिलेटिन छड़ों के मिलने का सिलसिला जारी है. विशेषज्ञों की मानें तो 2.5 किलो जिलेटिन में इतनी ताकत होती है कि उसके विस्फोट से 200 वर्ग फीट का क्षेत्र तबाह हो सकता है. हालांकि विस्फोट के लिए डेटोनेटर का होना जरूरी है. वहीं जिस तरह से पिछले 2 दिनों में भबराना पुल के नीचे से 686 किलो विस्फोटक मिला है, वह हजारों वर्ग फीट के क्षेत्र को तबाह कर सकता है. भबराना पुल के नीचे से बरामद किया गया विस्फोटक धौलपुर से खरीदा गया है और उसे किस व्यक्ति द्वारा खरीद कर यहां तक लाया गया, इसके बारे में गहनता से पड़ताल की जा रही है.

जयपुर. उदयपुर-अहमदाबाद रेल मार्ग पर केवड़ा की नाल स्थित ओढ़ा रेलवे पुल पर रेलवे ट्रैक पर हुए ब्लास्ट के घटनाक्रम और डूंगरपुर के भबराना पुल के नीचे बड़ी तादाद में विस्फोटक सामग्री मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय से पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया (Alert in Rajasthan after rail track blast case) है. ब्लास्ट की वारदात को अंजाम देने वाले बदमाशों की धरपकड़ के लिए राजस्थान एटीएस व एसओजी विभिन्न जिला पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं.

डीजीपी उमेश मिश्रा का कहना है कि प्रकरण की बेहद बारीकी से और विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है. इस पूरे घटनाक्रम के पीछे कोई आतंकी संगठन है या कोई समूह या फिर यह किसी स्थानीय व्यक्ति की कारस्तानी हैं, इन तमाम सवालों का जवाब जांच पूरी होने के बाद ही दिया जा सकेगा. हालांकि यह पूरा मामला बेहद संवेदनशील है जिसके चलते इसकी जांच के लिए बेस्ट ऑफिसर्स को लगाया गया है. साथ ही पूरे मामले पर पुलिस मुख्यालय से भी लगातार नजर रखी जा रही है और डायरेक्शन दिए जा रहे हैं.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद ट्रैक पर धमाके से सहम गए थे ओडा के ग्रामीण, संदीप की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

एनएसजी, एनआईए, एटीएस, आरपीएफ और इंटेलिजेंट मिलकर कर रहे जांच: उदयपुर में रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट और डूंगरपुर में बड़ी तादाद में विस्फोटक मिलने के (explosive seized in Dungarpur) प्रकरण की जांच विभिन्न जांच एजेंसियां एक साथ मिलकर कर रही है. एनएसजी, एनआईए और सेंट्रल आईबी के साथ ही राजस्थान एटीएस, इंटेलिजेंस और रेलवे पुलिस साथ मिलकर काम कर रही है. घटनास्थल के आसपास रहने वाले लोगों से जानकारी जुटाई जा रही है, वहीं संदिग्ध लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है.

डूंगरपुर में बरामद किया गया विस्फोटक पदार्थ धौलपुर की एक फर्म द्वारा बनाए जाने की पुष्टि होने पर धौलपुर में भी विभिन्न जांच एजेंसियों ने अपनी टीम भेज जानकारी जुटाई है. प्रकरण में रोजाना जो भी कार्रवाई की जा रही है उसकी रिपोर्ट केंद्रीय जांच एजेंसियां, केंद्रीय गृह मंत्रालय को और राजस्थान पुलिस व अन्य जांच एजेंसी पुलिस मुख्यालय को भेज रही है. पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट गृह विभाग व मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी जा रही है.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद रेल सेवा बहाल, NIA, ATS, NSG और RPF कर रही ट्रैक ब्लास्ट की जांच

कई पहलुओं को ध्यान में रखकर की जा रही जांच: रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट और विस्फोटक पदार्थ मिलने के प्रकरण की जांच कई पहलुओं को ध्यान में रखकर की जा रही है. जिस प्रकार से हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई पर बैन लगाया गया है, इसके मद्देनजर संगठन से जुड़े अंडरग्राउंड चल रहे लोगों व स्लीपर सेल के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके साथ ही इस पूरे घटनाक्रम का कनेक्शन मध्य प्रदेश के अलसुफा आतंकी संगठन से जोड़कर भी देखा जा रहा है. जिनकी जयपुर को दहलाने की साजिश को इस साल चित्तौड़गढ़ में नाकाम किया गया था. वहीं रेलवे ट्रैक पर विस्फोट के लिए किस तरह से जिलेटिन व डेटोनेटर का प्रयोग किया गया है, उसे देखते हुए इस पूरे घटनाक्रम का नक्सलवादी कनेक्शन भी देखा जा रहा है. डूंगरपुर में बड़ी तादाद में विस्फोटक मिलने के बाद गुजरात एटीएस भी एक्टिव हुई है और उन्होंने भी अपना रुख राजस्थान की ओर किया है.

पढ़ें: उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट का मामला, डूंगरपुर में मिले विस्फोटक ने बढ़ाई चिंता

लाइसेंस होने पर ही खरीदा जा सकता है डेटोनेटर: रेलवे ट्रैक पर ब्लास्ट के लिए जिस डेटोनेटर का प्रयोग किया गया, उसका प्रयोग आसपास के क्षेत्रों में अधिकतर माइनिंग में ब्लास्ट के लिए किया जाता है. हालांकि कोई भी व्यक्ति दुकान पर जाकर सीधे डेटोनेटर नहीं खरीद सकता है. लाइसेंसशुदा मैगजीन ही डेटोनेटर बेचता है. साथ ही डेटोनेटर खरीदने वाले व्यक्ति के पास भी लाइसेंस का होना जरूरी होता है. इसके साथ ही डेटोनेटर को बेचने के रिकॉर्ड को ऑनलाइन अंकित भी करना होता है.

हालांकि डेटोनेटर बेचने वाले लाइसेंसशुदा मैगजीन कभी भी इस बात की जानकारी नहीं रखते हैं कि जिस व्यक्ति को डेटोनेटर बेचा गया है, उसने कितनी मात्रा में इसका प्रयोग किया है और बचे हुए डेटोनेटर को कहां सुरक्षित रखा गया है. हालांकि सरकार के लाख कहने के बावजूद भी अवैध तरीके से डेटोनेटर बिना लाइसेंस धारियों को बेच दिया जाता है और उनसे मुंह मांगी कीमत वसूली जाती है.

200 वर्ग फीट को तबाह कर सकती है 2.5 किलो जिलेटिन: डूंगरपुर में भबराना पुल के नीचे लगातार दो दिन से भारी तादाद में विस्फोटक व जिलेटिन छड़ों के मिलने का सिलसिला जारी है. विशेषज्ञों की मानें तो 2.5 किलो जिलेटिन में इतनी ताकत होती है कि उसके विस्फोट से 200 वर्ग फीट का क्षेत्र तबाह हो सकता है. हालांकि विस्फोट के लिए डेटोनेटर का होना जरूरी है. वहीं जिस तरह से पिछले 2 दिनों में भबराना पुल के नीचे से 686 किलो विस्फोटक मिला है, वह हजारों वर्ग फीट के क्षेत्र को तबाह कर सकता है. भबराना पुल के नीचे से बरामद किया गया विस्फोटक धौलपुर से खरीदा गया है और उसे किस व्यक्ति द्वारा खरीद कर यहां तक लाया गया, इसके बारे में गहनता से पड़ताल की जा रही है.

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