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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की निंदा, अधिवक्ताओं ने किया न्यायिक कार्य का बहिष्कार

सीएम अशोक गहलोत की ओर से न्याय व्यवस्था को (Advocates boycott judicial work ) लेकर दिए बयान के विरोध में शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने स्वैच्छिक न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. अधविक्ताओं ने सीएम गहलोत के बयान की निंदा की.

Advocates boycott judicial work,  Ashok Gehlot statement on judicial system
अधिवक्ताओं ने किया न्यायिक कार्य का बहिष्कार.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 1, 2023, 8:57 PM IST

Updated : Sep 1, 2023, 11:48 PM IST

जोधपुर/जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से न्याय व्यवस्था पर दिए बयान के विरोध में शुक्रवार को अधिवक्ताओं की ओर से स्वैच्छिक न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया गया. राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स व लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से सभी अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की निंदा करते हुए हाईकोर्ट व अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक कार्य नहीं किया.

राज्य सरकार की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त अधिवक्ताओं के साथ पक्षकारों ने अदालतों में उपस्थित होकर न्यायिक कार्य में सहयोग किया. एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री गहलोत जो स्वयं अधिवक्ता हैं तथा एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता रहे चुके हैं. तीन कार्यकाल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनकी ओर से इस प्रकार का बयान न केवल निंदा योग्य है, बल्कि अपनी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को छुपाने एवं आमजन का ध्यान अपनी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए दिया गया है.

पढ़ेंः Rajasthan : सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ जनहित याचिका दायर, न्यायपालिका पर बयानबाजी करने का आरोप, सीएम ने दी प्रतिक्रिया

इस बयान का सम्पूर्ण अधिवक्ता समुदाय निंदा करता है. मुख्यमंत्री का न्यायपालिका एवं न्याय व्यवस्था पर इस प्रकार का बयान न्यायालयों की अवमानना की श्रेणी में आता है. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान न्याय व्यवस्था की छवि धूमिल करने वाला है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत सार्वजनिक रूप से माफी मांगें अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की जाएगी. दोनो एसोसिएशन की ओर से संयुक्त रूप से स्वैच्छिक कार्य बहिष्कार होने के चलते अदालतों में न्यायिक कार्य नही हो पाया. वही, कुछ अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट की स्थापना के 75वें वर्ष को प्लेटिनम जुबली वर्ष के रूप में जयपुर बैंच में ही कार्यक्रम आयोजित करने का विरोध जताया. उन्होंने काले कोट पर सफेद पट्टी बांधकर विरोध जताया. उन्होने मांग रखी है कि कार्यक्रम का प्रारम्भ व समापन मुख्यपीठ में हो, शेष कार्यक्रम जयपुर में आयोजित कर सकते हैं.

पढ़ेंः सीएम गहलोत के बयान के विरोध में अधिवक्ता कल करेंगे स्वैच्छिक न्यायिक कार्य बहिष्कार, ये है मामला

जयपुर में भी जताया विरोधः सीएम अशोक गहलोत की ओर से न्यायपालिका पर की गई बयानबाजी के विरोध में हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट सहित सांगानेर कोर्ट में वकीलों ने स्वैच्छिक न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. इस दौरान भाजपा समर्थित वकीलों ने अदालतों में पैरवी नहीं की. वहीं हाईकोर्ट में महाधिवक्ता, अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित अन्य सरकारी वकीलों ने पैरवी में रोजमर्रा की तरह भाग लिया. इस दौरान भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता अरुण चतुर्वेदी के नेतृत्व में वकीलों ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपा. चतुर्वेदी ने कहा कि संविधान के उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का न्यायपालिका व वकीलों पर ऐसी टिप्पणी करना गंभीर और पूरे न्याय जगत के लिए अपमान सूचक है. बता दें कि बीते दिनों सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में भंयकर भ्रष्टाचार बताते हुए कहा था कि मैंने सुना है कि कई वकील फैसले टाइप कर ले जाते हैं और फिर बाद में वहीं फैसला बनकर सामने आ जाता है. वहीं बाद में इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई.

जोधपुर/जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से न्याय व्यवस्था पर दिए बयान के विरोध में शुक्रवार को अधिवक्ताओं की ओर से स्वैच्छिक न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया गया. राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स व लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से सभी अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान की निंदा करते हुए हाईकोर्ट व अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक कार्य नहीं किया.

राज्य सरकार की ओर से पैरवी के लिए नियुक्त अधिवक्ताओं के साथ पक्षकारों ने अदालतों में उपस्थित होकर न्यायिक कार्य में सहयोग किया. एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री गहलोत जो स्वयं अधिवक्ता हैं तथा एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता रहे चुके हैं. तीन कार्यकाल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनकी ओर से इस प्रकार का बयान न केवल निंदा योग्य है, बल्कि अपनी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार को छुपाने एवं आमजन का ध्यान अपनी सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए दिया गया है.

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इस बयान का सम्पूर्ण अधिवक्ता समुदाय निंदा करता है. मुख्यमंत्री का न्यायपालिका एवं न्याय व्यवस्था पर इस प्रकार का बयान न्यायालयों की अवमानना की श्रेणी में आता है. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान न्याय व्यवस्था की छवि धूमिल करने वाला है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत सार्वजनिक रूप से माफी मांगें अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की जाएगी. दोनो एसोसिएशन की ओर से संयुक्त रूप से स्वैच्छिक कार्य बहिष्कार होने के चलते अदालतों में न्यायिक कार्य नही हो पाया. वही, कुछ अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट की स्थापना के 75वें वर्ष को प्लेटिनम जुबली वर्ष के रूप में जयपुर बैंच में ही कार्यक्रम आयोजित करने का विरोध जताया. उन्होंने काले कोट पर सफेद पट्टी बांधकर विरोध जताया. उन्होने मांग रखी है कि कार्यक्रम का प्रारम्भ व समापन मुख्यपीठ में हो, शेष कार्यक्रम जयपुर में आयोजित कर सकते हैं.

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जयपुर में भी जताया विरोधः सीएम अशोक गहलोत की ओर से न्यायपालिका पर की गई बयानबाजी के विरोध में हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट सहित सांगानेर कोर्ट में वकीलों ने स्वैच्छिक न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया. इस दौरान भाजपा समर्थित वकीलों ने अदालतों में पैरवी नहीं की. वहीं हाईकोर्ट में महाधिवक्ता, अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित अन्य सरकारी वकीलों ने पैरवी में रोजमर्रा की तरह भाग लिया. इस दौरान भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता अरुण चतुर्वेदी के नेतृत्व में वकीलों ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपा. चतुर्वेदी ने कहा कि संविधान के उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का न्यायपालिका व वकीलों पर ऐसी टिप्पणी करना गंभीर और पूरे न्याय जगत के लिए अपमान सूचक है. बता दें कि बीते दिनों सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में भंयकर भ्रष्टाचार बताते हुए कहा था कि मैंने सुना है कि कई वकील फैसले टाइप कर ले जाते हैं और फिर बाद में वहीं फैसला बनकर सामने आ जाता है. वहीं बाद में इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई.

Last Updated : Sep 1, 2023, 11:48 PM IST
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