जयपुर. अतिरिक्त सत्र न्यायालय क्रम-9 महानगर प्रथम ने एंबुलेंस संचालन के ठेके देने में हुए घोटाले में सीबीआई की ओर से से पेश प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. सीबीआई ने मामले में विदेशी शेयरधारिता का पता लगाने और साक्ष्य एकत्र करने के लिए अमेरिका और मॉरीशस को लेटर रोगेटरी जारी करने का अनुरोध किया था.
अदालत ने कहा कि आरोपी कंपनी का कार्यालय मुंबई में स्थित है. ऐसे में सीबीआई को इस संबंध में पहले भारत में स्थित कंपनी और विभागों से ही दस्तावेज प्राप्त करने चाहिए थे. वहीं, अगर कंपनी सीबीआई को दस्तावेज और वांछित साक्ष्य उपलब्ध कराने से इनकार करती, तब सीबीआई लेटर रोगेटरी जारी करने का अनुरोध करती. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह कोर्ट के लिए बाध्यकारी नहीं है कि वह हर मामले में लेटर रोगेटरी जारी करने की प्रार्थना को स्वीकार करे. अदालत न्यायिक विवेक से ऐसा करने से इनकार भी कर सकती है.
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टेंडर शर्तों में छेड़छाड़ किया गया : सीबीआई की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि वर्ष 2008 में राज्य सरकार ने चिकित्सा सुविधाओं के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किया, जिसके लिए टेंडर शर्तों में छेड़छाड़ कर मैसर्स जिकित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड को काम सौंपा गया. सीबीआई की ओर से कुछ आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है, जबकि प्रकरण में अग्रिम अनुसंधान चल रहा है. मामले में कंपनी को पात्र बनाने के लिए जाति दस्तावेज तैयार किए गए.
प्रकरण में जिकित्सा हेल्थ केयर में विदेशी शेयरधारिता का पता लगाने और अन्य साक्ष्य एकत्र करने के लिए अमेरिका और मॉरीशस को लेटर रोगेटरी जारी किया जाए, जिसका विरोध करते हुए आरोपी पक्ष की ओर से कहा गया कि सीबीआई अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर क्षेत्राधिकार से बाहर अनुसंधान करना चाहती है. मामले में विदेशी शेयरधारकों की अनुसंधान में कोई भूमिका नहीं है. यदि उनकी कोई भूमिका भी है तो उसकी जांच ईडी कर सकती है. कंपनी ने विदेशी निवेशकों के संबंध में सीबीआई को पूर्व में दस्तावेज दे दिए हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने सीबीआई का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है.