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जयपुर: जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में जेडीए भूमि पर बसी कच्ची बस्ती वासियों को 3 दिन का अल्टीमेटम

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Published : Feb 4, 2020, 11:59 PM IST

जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से जोन 11 में जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में जेडीए भूमि पर बसी कच्ची बस्ती के अतिक्रमियों को उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में 3 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है. जिसके तहत या तो वो स्वयं के स्तर पर अतिक्रमण हटाएं, या फिर जेडीए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करेगा. ऐसे में समस्त हर्जा-खर्चा अतिक्रमियों से वसूला जाएगा.

अलवर की खबर, ultimatum to JDA land settlements
जयपुर विकास प्राधिकरण का मुख्यालय

जयपुर. जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में बसी अवैध बस्ती के 700 परिवारों को लेकर हाईकोर्ट ने इसी महीने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. यहां करीब 500 से ज्यादा परिवारों के पास कोई दस्तावेज और आधार नहीं है. वहीं कलेक्टर स्तर पर कराए गए सर्वे में जो 703 यूनिट सामने आई है, इनमें से महज 150 परिवार 2009 से पहले के बताए जा रहे हैं.

जेडीए भूमि पर बसी कच्ची बस्ती वासियों को 3 दिन का अल्टीमेटम

ऐसे में अब पुनर्वास के लिए किस का चयन करें, और किस को अतिक्रमण माने इस पर मंथन जारी है. वहीं मंगलवार को जेडीए की टीम ने मौके पर पहुंचकर कच्ची बस्ती परिवारों को उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत करवाया. साथ ही जेडीए की भूमि से शांतिपूर्वक स्वयं के स्तर पर अतिक्रमण हटाने की समझाइश की गई.

पढ़ें: जयपुर: 31वें सड़क सुरक्षा सप्ताह में 'सड़क सरिता' किताब का विमोचन

जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत सभी को नोटिस जारी किए गए है. इनमें से अधिकांश ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं, जिनका परीक्षण किया गया. इनमें से अधिकतर 15 अगस्त 2009 के बाद का होना पाया गया, जिनका पुनर्वास किए जाने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में 17 जनवरी 2020 को उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, 4 सप्ताह में भूमि से अतिक्रमण हटाकर पालना रिपोर्ट पेश करनी है, जिसे लेकर ये कार्रवाई की जा रही है.

जयपुर. जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में बसी अवैध बस्ती के 700 परिवारों को लेकर हाईकोर्ट ने इसी महीने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. यहां करीब 500 से ज्यादा परिवारों के पास कोई दस्तावेज और आधार नहीं है. वहीं कलेक्टर स्तर पर कराए गए सर्वे में जो 703 यूनिट सामने आई है, इनमें से महज 150 परिवार 2009 से पहले के बताए जा रहे हैं.

जेडीए भूमि पर बसी कच्ची बस्ती वासियों को 3 दिन का अल्टीमेटम

ऐसे में अब पुनर्वास के लिए किस का चयन करें, और किस को अतिक्रमण माने इस पर मंथन जारी है. वहीं मंगलवार को जेडीए की टीम ने मौके पर पहुंचकर कच्ची बस्ती परिवारों को उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत करवाया. साथ ही जेडीए की भूमि से शांतिपूर्वक स्वयं के स्तर पर अतिक्रमण हटाने की समझाइश की गई.

पढ़ें: जयपुर: 31वें सड़क सुरक्षा सप्ताह में 'सड़क सरिता' किताब का विमोचन

जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत सभी को नोटिस जारी किए गए है. इनमें से अधिकांश ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं, जिनका परीक्षण किया गया. इनमें से अधिकतर 15 अगस्त 2009 के बाद का होना पाया गया, जिनका पुनर्वास किए जाने का प्रावधान नहीं है. ऐसे में 17 जनवरी 2020 को उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, 4 सप्ताह में भूमि से अतिक्रमण हटाकर पालना रिपोर्ट पेश करनी है, जिसे लेकर ये कार्रवाई की जा रही है.

Intro:जयपुर - जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा जोन 11 में जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में जेडीए भूमि पर बसी कच्ची बस्ती के अतिक्रमियों को उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना में 3 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। जिसके तहत या तो वो स्वयं के स्तर पर अतिक्रमण हटाए, अन्यथा जेडीए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करेगा। जिसका समस्त हर्जा-खर्चा अतिक्रमियों से वसूला जाएगा।


Body:जयसिंहपुरा बास भांकरोटा में बसी अवैध बस्ती के 700 परिवारों को लेकर हाईकोर्ट ने इसी महीने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यहां करीब 500 से ज्यादा परिवारों के पास कोई दस्तावेज और आधार नहीं है। वहीं कलेक्टर स्तर पर कराए गए सर्वे में जो 703 यूनिट सामने आई है, इनमें से महज 150 परिवार 2009 से पहले के बताए जा रहे हैं। अब पुनर्वास के लिए किस का चयन करें, और किस को अतिक्रमण माने इस पर मंथन जारी है। वहीं मंगलवार को जेडीए की टीम ने मौके पर पहुंचकर कच्ची बस्ती परिवारों को उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत करवाया। और जेडीए की भूमि से शांति पूर्वक स्वयं के स्तर पर अतिक्रमण हटाने की समझाइश की गई।
बाईट - रघुवीर सैनी, जेडीए विजिलेंस


Conclusion:जयपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 72 के अंतर्गत सभी को नोटिस जारी किए गए है। इनमें से अधिकांश ने अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं। जिन का परीक्षण किया गया। इनमें से अधिकतर 15 अगस्त 2009 के बाद का होना पाया गया। जिन का पुनर्वास किए जाने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में 17 जनवरी 2020 को उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, 4 सप्ताह में भूमि से अतिक्रमण हटाकर पालना रिपोर्ट पेश करनी है। जिसे लेकर ये कार्रवाई की जा रही है।
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