जयपुर. कांग्रेस की पूर्व सांसद और राजीव गांधी पंचायत संगठन की अध्यक्ष मीनाक्षी नटराजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रमों पर तंज कसा है. राजीव गांधी पंचायत संगठन के संवाद कार्यक्रम में शिरकत करने जयपुर पहुंची मीनाक्षी नटराजन ने कहा कि मन की बात कितना एकतरफा कार्यक्रम है, यह हम सब जानते हैं. उसमें कभी किसान के मन की बात नहीं सुनी गई. जबकि किसान एक साल तक आंदोलनरत रहे. तपती गर्मी, कड़ाके की सर्दी और बरसात में किसान बैठे रहे. कभी महिलाओं के मन की बात सुनने की कोशिश नहीं की गई.
खेलों से जुड़ी बेटियां आज भी जंतर-मंतर पर बैठकर आंदोलन कर रही हैं. जिस तरह से उनके साथ यौन शोषण हुआ. उसे लेकर वे मुखर हैं, लेकिन उनके मन की बात जानने की कोशिश कभी नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाएं बाहर निकलीं और आंदोलन किए, लेकिन उनके मन की बात जानने की भी कभी कोशिश नहीं हुई. कोविड की दूसरी लहर में जब लोग ऑक्सीजन के लिए तड़पते रहे. पहली लहर में लोग हजारों किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हुए. उनके भी मन की बात जानने की कभी कोशिश नहीं की गई. हां यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में क्या-क्या है, यह जानने की बात वह जरूर करते हैं. जिस तरह से में आतंकवादी घटनाओं में और नक्सली मुठभेड़ों में हमारे जवान शहीद हुए. उन शहीदों के परिवारों के मन की बात भी कभी जानने की कोशिश नहीं की गई.
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राहुल गांधी ने किया लोगों के मन की बात जानने का प्रयास : मीनाक्षी नटराजन ने कहा कि असल में अगर किसी ने लोगों के मन की बात को सुनने की कोशिश की है तो वे राहुल गांधी हैं. लोगों के मन की बात इसी तरह से जानी जाती है. जब आप धूप और गर्मी, कड़ाके की सर्दी और बारिश की परवाह किए बिना 5 महीने तक लगातार पैदल चलते हैं और लाखों लोगों की भावनाओं को समझते हैं. असल में उसे मन की बात जानना कहते हैं. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद देश में यह विश्वास लौटा है कि हमारा देश प्रेम और सद्भाव का देश है. जो भी नफरत, ध्रुवीकरण और डर हम देखते हैं. वह अपवाद है. एक जागरूक समाज उसी को कहते हैं. जो इन अपवादों से भी सचेत हो. भारत जोड़ो यात्रा एक महान अभियान था. उसी से हम अपने सर्वोदय संकल्प शिविर को भी जोड़ कर देखते हैं.
संवाद से सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाएंगे : राजीव गांधी पंचायत संगठन के संवाद कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि राजस्थान की सरकार ने जिस तरह से लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया है. जनप्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार देने की पहल हुई है. दलितों-आदिवासियों के लिए काम हुआ है. उन सभी योजनाओं को भी हम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे. पंचायत के प्रतिनिधि इसका सबसे अच्छा माध्यम होते हैं, क्योंकि उनकी पहुंच हर घर तक होती है. हमारे पंचायत के प्रतिनिधि और स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधि दो तरफा काम करते हैं. जन भावनाओं से सरकार और पार्टी संगठन को अवगत कराते हैं और पार्टी संगठन के सिद्धांत और नीतियों से और सरकार के कार्यक्रमों व योजनाओं से आमजन को अवगत कराते हैं.