हनुमानगढ़. श्रवण कुमार हिन्दू धर्म ग्रंथ रामायण में उल्लेखित पात्र है, ये अपने माता पिता से अतुलनीय प्रेम के लिए जाने जाते थे, लेकिन आज के कलयुग में बेटों ने संपत्ति और धन के लालच में अपने माता-पिता की ऐसी दुर्दशा कर दी है कि उन्हें उम्र के पड़ाव में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. मामला हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के मेहराणा गांव का है, यहां एक बुजुर्ग दंपती का आरोप है कि बेटे और बहू ने उनको मारपीट कर घर से निकाल दिया. इतना ही नहीं, जब रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला तो उनके साथ भी मारपीट करने लगे. अपनी सगी बहन को भी नहीं छोड़ा. उसका भी गला काट दिया. ऐसे में अब बुजुर्ग दंपती पुलिस थाने के चक्कर काटने को मजबूर है.
जानकारी के अनुसार, हरि सिंह और हरि सिंह की पत्नी इंद्रावती अपने बच्चों के साथ खुशहाल जीवन बिता रहे थे. लेकिन, छोटे बेटे की कुछ समय पूर्व मौत हो गई. इसके बाद फिर बड़े बेटे, बहू, पौत्र और दिवंगत बेटे की पत्नी और समधन ने बुजुर्ग दंपती के हिस्से की 14 बीघा जमीन हड़पने के लिए उन पर सितम ढहाना शुरू कर दिया. उनसे आये दिन मारपीट करने लगे. अंत में उन्हें घर से निकाल दिया. दोनो गांव में ही अलग रहने लगे. इतने पर भी बेटे के जुल्मों सितम कम नहीं हुए. अगर कोई भी रिश्तेदार दंपती की सार-संभाल करने और हालचाल जानने आता, तो बेटा उनके साथ भी मारपीट करता.
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सगी बहन को भी नहीं छोड़ा...
बुजुर्ग दंपती ने बताया कि उसके बेटे निहाल ने अपनी सगी बहन को भी नहीं छोड़ा. जब वो बेटी का फर्ज निभाते के लिए अपने मां-बाप को संभालने उनके घर आई, तो निहाल ने उसके साथ जमकर मारपीट की. उसका धारदार हथियार से उसका गला तक काट दिया, जिसका इलाज भादरा अस्पताल में चल रहा है. अपने बाप का ट्रैक्टर तक अपने कब्जे में कर लिया व जमीन तक पर कब्जा कर लिया है.
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पुलिस भी नहीं कर रही कार्रवाई...
जुल्मों की इंतहा होने पर परेशान बाप ने भिरानी थाने में बेटे और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, लेकिन पुलिस उससे भी दो कदम आगे निकली. न्याय दिलवाने के बजाय पीड़ित पक्ष को ही धमकाना-डराना शुरू कर दिया. अब बुजुर्ग दंपती जिला कलेक्टर से न्याय की आस में गुहार लगाने कलक्ट्रेट पहुंचे. DM ने आश्वासन दिया कि शीघ्र उचित कार्रवाई कर उन्हें न्याय दिलवाया जाएगा.
खास बात ये की हरी सिंह ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत भादरा उपखंड अधिकारी के समक्ष प्राथना पत्र पेश किया, जिस पर निर्णय पारित करते हुए उपखंड अधिकारी ने बेटे निहाल सिंह को मां-बाप के हिस्से की जमीन देने के आदेश पारित किए. लेकिन, बेटे निहाल ने उन आदेशों को भी नहीं माना. अब आलम ये है कि बेटे और पुलिस के रवैये से दुखी और परेशान बुजुर्ग दंपती आराम करने की उम्र में अपनों के ही जुल्मों सितम की मार सहकर न्याय के लिए दर ब दर ठोकरें खा रहे हैं.