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हनुमानगढ़ः जननी सुरक्षा योजना की खस्ताहाल एम्बुलेंस

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Published : Nov 4, 2020, 1:56 AM IST

हनुमानगढ़ के रावतसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण गर्भवती महिलायों के रेफरल परिवहन की व्यवस्था के लिए 104 एम्बुलेंस लगाई गई है. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की 104 एम्बुलेंस खुद बीमार हो रही है और इसी खस्ताहाल के चलते बीच राह में एम्बुलेंस बन्द हो गई.

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जननी सुरक्षा योजना की खस्ताहाल एम्बुलेंस

हनुमानगढ़. जिले के रावतसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण गर्भवती महिलायों के रेफरल परिवहन की व्यवस्था के लिए 104 एम्बुलेंस लगाई गई है. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की 104 एम्बुलेंस खुद बीमार हो रही है और इसी खस्ताहाल के चलते बीच राह में एम्बुलेंस बन्द हो गई.

समय के साथ खस्ताहाल हो रखी 104

स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रमुख अरुण चमड़िया से बात की तो उन्होंने स्वयं माना कि जिले में अधिकतर एम्बुलेंस खस्ताहाल है. उनका कहना है रावतसर 104 की समस्या से अवगत करवाया गया है. उसको स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों के साथ बात कर इसकी जांच करवाएंगे है. उन्होंने कहा कि शीघ्र उचित व्यवस्था की जायेगी.

पढ़ेंः जोधपुर दक्षिण नगर निगम में भाजपा का दबदबा, 80 में से 43 सीटों पर जमाया कब्जा


जिले में एम्बुलेंस की संख्या पूरी

अगर बात करे 104 एम्बुलेंस की तो कुल संख्या 17 है और 108 एम्बुलेंस की संख्या 18 है. लेकिन अधिकतर खस्ताहाल है. इसके साथ ही आपातकालीन चिकित्सा वाहन मात्र चालकों के सहारे दौड़ रहे है. जिसके चलते आपातकालीन सेवा में संबंधित को इलाज नहीं मिल पाता. वहीं रावतसर में 104 का हाल भी हम आपको दिखा चुके है. कमोबेश जिले में अधिकतर आपातकालीन सेवाओं में प्रयोग होने वाली एम्बुलेंस कमियों की मार झेल रही है.

एक तरफ सरकारे आम आदमी और खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता के दावे करती है. लाखों करोड़ों खर्च कर योजनाएं भी चलाती है. वहीं दूसरी तरफ धरातल पर इस तरह के हालात. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वास्तव में सरकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंच पाता है. या सिर्फ कागज में सिमटकर रह जाती है.

हनुमानगढ़. जिले के रावतसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण गर्भवती महिलायों के रेफरल परिवहन की व्यवस्था के लिए 104 एम्बुलेंस लगाई गई है. लेकिन स्वास्थ्य केंद्र की 104 एम्बुलेंस खुद बीमार हो रही है और इसी खस्ताहाल के चलते बीच राह में एम्बुलेंस बन्द हो गई.

समय के साथ खस्ताहाल हो रखी 104

स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रमुख अरुण चमड़िया से बात की तो उन्होंने स्वयं माना कि जिले में अधिकतर एम्बुलेंस खस्ताहाल है. उनका कहना है रावतसर 104 की समस्या से अवगत करवाया गया है. उसको स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों के साथ बात कर इसकी जांच करवाएंगे है. उन्होंने कहा कि शीघ्र उचित व्यवस्था की जायेगी.

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जिले में एम्बुलेंस की संख्या पूरी

अगर बात करे 104 एम्बुलेंस की तो कुल संख्या 17 है और 108 एम्बुलेंस की संख्या 18 है. लेकिन अधिकतर खस्ताहाल है. इसके साथ ही आपातकालीन चिकित्सा वाहन मात्र चालकों के सहारे दौड़ रहे है. जिसके चलते आपातकालीन सेवा में संबंधित को इलाज नहीं मिल पाता. वहीं रावतसर में 104 का हाल भी हम आपको दिखा चुके है. कमोबेश जिले में अधिकतर आपातकालीन सेवाओं में प्रयोग होने वाली एम्बुलेंस कमियों की मार झेल रही है.

एक तरफ सरकारे आम आदमी और खासकर महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता के दावे करती है. लाखों करोड़ों खर्च कर योजनाएं भी चलाती है. वहीं दूसरी तरफ धरातल पर इस तरह के हालात. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वास्तव में सरकारी योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंच पाता है. या सिर्फ कागज में सिमटकर रह जाती है.

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