हनुमानगढ़. टाउन क्षेत्र की मुखर्जी कॉलोनी में कब्जे किए गए 3 मकानों को नगर परिषद दस्ते ने जमीदोंज कर दिया था. इन तीनों मकानों में एक विधवा महिला अपनी विधवा बेटी और छोटे-छोटे बच्चों के साथ रह रही थी. घर गिरने के बाद सभी सड़क पर आ गए हैं. भीषण गर्मी में मकान गिरने के 12 दिन बाद तक ये पूरा परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ खुले में खाने-पीने और सोने को मजबूर है. एक बेटी में पढ़ाई का जज्बा कुछ ऐसा दिखा कि सब बर्बाद होने के बाद भी सड़क पर बैठकर पढ़ती दिखी.
बेघर हुए पीड़ित परिवार की 12 दिन बाद भी शासन-प्रशासन किसी ने कोई सुध नहीं ली. उनके हलात देख किसी का मन भी पसीज जाए. टूटे-फूटे बर्तन, हर तरफ मलबा ही मलबा, मलबे में दबी किताबें और अन्य जरूरत का समान. पीड़ित परिवार ने बताया कि नगर परिषद अपनी मनमर्जी कर रहा है. बिना किसी नोटिस के उनके मकानों को ध्वस्त कर दिया. उन्हें समान व घर में बंधे पशु तक नहीं निकालने दिए. दो बकरियां भी मलबे में दबकर मर गईं.
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पीड़ित महिलाओं ने बताया कि जब उन्होंने समान बाहर निकालने की गुहार लगाई तो उन्होंने उनको धंधे वाली बोलकर अपमानित किया. इतना ही नहीं पीड़ित पक्ष ने नगर परिषद पर पक्षपात के आरोप लगाते हुए बताया कि उनके तो मकान 10 मिनट तोड़ कर चले गए, लेकिन उनके साथ अतिक्रमण की जद में आने वाले कुछ अन्य मकान और गोदाम से सामान निकालने का समय दे दिया. क्योंकि उनके ऊंचे रसूख वाले लोग हैं. नगर परिषद के पास मूल नक्शा तक नहीं है.
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वहीं गोदाम मालिक ने बताया कि उसे गोदाम से सामान निकालने का समय दिया गया है. इस पर नगर परिषद कमिश्नर शैलेंद्र ने कहा कि नियमानुसार कब्जे तोड़े जा रहे हैं. किसी से पक्षपात नहीं किया जा रहा है. वहीं नगर परिषद के पक्षपाती रवैये पर कब्जाधारी गोदाम मालिक स्वयं ही मोहर लगा रहे हैं कि उन्हें समान निकालने का समय दिया गया.