हनुमानगढ़: जिले से निकलने वाला नेशनल हाइवे निर्माण नींव पड़ने से पहले ही विवादों में आ गया है. ये विवाद थमने की बजाए लगातार बढ़ता ही जा रहा है. वर्तमान में जिला प्रशासन जिस तरीके से अधिग्रहित भूमि का कब्जा नेशनल हाइवे ऑथोरिटी को दिला रहा है वही नाराजगी का मूल कारण है. हाल ही में प्रशासन ने किसानों की पकी पकाई फसल पर बुलडोजर चलवा दिया. इसे किसान अपनी रोजी रोटी पर आया संकट बता रहे हैं.
दरअसल, कुछ किसानों ने तो जमीन ठेके पर लेकर और पानी खरीद कर खेती की थी. अब उनकी फसल का आंखों के सामने से यूं उजड़ जाना उनके दिल को भेद रहा है.
आंदोलनरत प्रभावित किसान
बता दें कि अमृतसर-जामनगर भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत हनुमानगढ़ जिले से 64 किलोमीटर का हाईवे निकाला जाना है. जिसके लिए सरकार और प्रशासन भूमि अवाप्ति की कार्रवाई कर रहा है. हलांकि इस प्रक्रिया और उचित मुआवजे को लेकर विरोध पिछले ढाई साल से चल रहा है, लेकिन अब प्रशासन एक्शन में आया है. प्रशासन ने पीलीबंगा, संगरिया और टिब्बी तहसीलों में 12 किलोमीटर कृषि भूमि पर बुलडोजर चलाकर पकी-पकाई फसल बर्बाद कर दी. इसके साथ ही भूमि को कब्जे में ले लिया. इस कार्रवाई से किसान भड़क गए.उन्होंने प्रशासन व सरकार पर विश्वासघात के गंभीर आरोप लगाते हुए आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.
कलेक्टर की दो टूक
प्रशासन ने बची भूमि को अवाप्त करने के लिए किसानों की मांग मानते हुए 15 अक्टूबर तक का समय तो दे दिया है लेकिन जिला कलेक्टर ने बर्बाद हुई फसल और तय सरकारी दर से ऊपर अवाप्त भूमि का मुआवजा देने से साफ इंकार कर दिया है.
बेबस हो रहा किसान
कृषि प्रधान हनुमानगढ़ जिले में इन दिनों खरीफ की प्रमुख फसल नरमा-कपास में फूल और टिड्डे लग रहे हैं. दूसरी फसलें भी बढ़वार व पकाई की अवस्था में हैं. पर्याप्त नहरी पानी नहीं मिलने की वजह से महंगी बिजली खरीद कर ट्यृबवेल से खेतों को सिंचित कर रहे हैं. मगर अब जिला प्रशासन की ओर से अचानक की जा रही कार्रवाई के चलते हालात बदल रहे हैं. एक्सक्वेटर मशीन चलाकर किसानों की आंखों के सामने उनकी फसलों को तबाह किया जा रहा है. अब किसानों की मांग है कि खराब की जा रही फसल का मुआवजा सरकार दे.
हो सकता है बड़ा आंदोलन
जिला प्रशासन ने 15 अक्टूबर तक का समय किसानों को दिया है. वहीं किसान अब एनएचएआई की गाईडलाईन की पालना ना करने पर 15 अक्टूबर को भी भूमि अवाप्ति के विरोध की बात कर रहे हैं. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अवाप्ति, जिला प्रशासन के गले की फांस बनती जा रही है. एक बड़े किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि भी बनती दिख रही है.
क्या है प्रोजेक्ट की रूप रेखा
जिले में नेशनल हाइवे 60 किलोमीटर गुजरेगा. हाइवे के लिए जिले में करीब 2 हजार काश्तकारों की 357 हेक्टेयर कृषि भूमि अधिग्रहित की गई है. इसमें अकेले हनुमानगढ़ तहसील की 217 हेक्टेयर कृषि भूमि शामिल है. जिन किसानों की जमीन अवाप्त की गई है उन्हें डीएलसी रेट से ढाई गुणा मुआवजा देने का अवार्ड जारी किया गया है. 5 तहसीलों हनुमानगढ़, संगरिया,टिब्बी,रावतसर व पीलीबंगा तहसील के 25 गांव इसके अंतर्गत आते हैं.
हनुमानगढ़ तहसील क्षेत्र की 50 फाइलों के निस्तारण के लिए 8.36 करोड़ रुपए की राशि डीजे कोर्ट में जमा करवाई जा चुकी है. यानी अब किसानों को डीजे कोर्ट से मुआवजा लेना पड़ेगा. जिन किसानों का मुआवजा राशि कोर्ट में जमा करवाई जा रही है, उस जमीन का नामांतरण एनएचआई (NHAI) के नाम दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिससे शीघ्र ही नेशनल हाइवे का निर्माण कार्य शुरू हो सके. नेशनल हाइवे निर्माण को लेकर संबंधित अधिकारी का कहना है कि भूमि का कब्जा मिलने पर २०२२ में सड़क निर्माण कार्य पूर्ण किया जाएगा.
ये सब कुछ आराम से हो पाएगा अब इसे लेकर संदेह पैदा हो गया है. क्योंकि बर्बाद फसल, जिद्द पर अड़ा किसान और नियमों की दुहाई देता प्रशासन आमने सामने है.